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यूपी बीजेपी मंडल अध्यक्ष चुनाव: ऊंची सिफारिशें, जरूरत से ज्यादा दावेदार, आखिर नाम घोषित करने में देरी क्यों?, जानिए - UP BJP NEWS

1918 मंडल अध्यक्ष पदों के लिए अभी तक 60 फीसदी नाम ही तय हो सके हैं. प्रदेश अध्यक्ष बोले, जल्द घोषित किए जाएंगे नाम.

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यूपी बीजेपी जल्द घोषित करेगी मंडल अध्यक्षों के नाम. (photo credit: etv bharat archive)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 29, 2024, 8:52 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की सियासत में भारतीय जनता पार्टी के मंडल अध्यक्ष बड़ा रहस्य बन गए हैं. हर जिले में सैकड़ो कार्यकर्ताओं ने मंडल अध्यक्ष पद के लिए नामांकन किया है. संख्या इतनी ज्यादा हो गई है कि अब चयन काफ़ी मुश्किल हो गया है. यही वजह है कि पिछले करीब 20 दिन में मंडल अध्यक्ष के नाम पार्टी नहीं घोषित कर सकी है. माना जा रहा है कि जनवरी के पहले सप्ताह तक मंडल अध्यक्ष के नाम घोषित कर दिए जाएंगे.

नए साल में नाम घोषित होने की उम्मीदः भाजपा मंडल अध्यक्षों का ऐलान अब नए साल में ही होने की उम्मीद है. उत्तर प्रदेश के 403 विधानसभा क्षेत्र में 1918 मंडल अध्यक्ष के पद हैं. ये भारतीय जनता पार्टी के कार्यक्रमों और चुनाव अभियान को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. पार्टी जिला अध्यक्ष के बाद मंडल अध्यक्ष के माध्यम से नीचे तक अपनी पकड़ बनाती है. इसके साथ ही विधायकों को भी अपने चुनाव अभियान व अपने कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने में इन ही लोगों की मदद लेनी पड़ती है. हर विधानसभा क्षेत्र में औसतन पांच मंडल अध्यक्ष हैं.

ढेर सारे नामांकन तो वजह नहींः भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि इतने ज्यादा नामांकन हो गए कि पहले जिलास्तर पर सहमति नहीं बन पाई. सभी नाम प्रदेश पदाधिकारियों को भेज दिए गए हैं. अब प्रदेश स्तर पर भी स्क्रीनिंग और सहमति बनाने में वक्त लग रहा है. भाजपा संगठन चुनाव की प्रक्रिया अक्टूबर में शुरू हुई थी. प्रदेश में कुल 1,62,204 बूथ पर चुनाव हो चुका है. मंडल अध्यक्षों का चुनाव 15 दिसंबर तक होना था लेकिन अभी तक करीव 60% मंडल अध्यक्षों के नाम तय हो पाए हैं. हर मंडल में 10-15 नामांकन हो गए. इनमें से तीन-तीन नामों का पैनल वहां के लिए नियुक्त किए गए चुनाव अधिकारियों और जिले के अधिकारियों को तैयार करना था. उन्होंने तीन-तीन नामों का पैनल तैयार करने के बजाय सभी नाम प्रदेश पदाधिकारियों को भेज दिए. लगातार स्क्रीनिंग का काम चल रहा है. प्रदेश में संगठन की दृष्टि से कुल 98 जिलों में 1,918 मंडल हैं. इनमें से अभी 60% में ही सहमति बन सकी है. यही वजह है कि ऐलान अव जनवरी तक ही होने की उम्मीद है.

ऊंची सिफारिश तो देरी की वजह नहींः संगठन चुनाव में बड़ी संख्या में नामांकन हो गए. सभी अपने स्तर से सिफारिशें भी लगवा रहे हैं. उधर, राष्ट्रीय और प्रदेशस्तर के पदाधिकारियों की भी चुनाव पर नजर है. पर्याप्त संख्या में चुनाव अधिकारी और पर्यवेक्षक तैनात किए गए हैं. ऐसे में जिला स्तरीय पदाधिकारियों ने सोचा कि वे खुद कोई रिस्क क्यों लें. यही वजह है कि उन्होंने जितने नाम आए, सभी प्रदेश पदाधिकारियों के निर्णय के ऊपर छोड़ दिए. इतने ज्यादा नामों में से स्क्रीनिंग करना भी आसान नहीं है. उम्र सीमा में कुछ छूट तो दी जा सकती है लेकिन यह भी देखना है कि वह पार्टी का दो बार का सक्रिय सदस्य हो, समर्पित कार्यकर्ता हो और बेदाग छवि हो. यही वजह है कि मंडल अध्यक्ष के नामों का चयन करने से पहले काफी सोच-विचार किया जा रहा है, ताकि बाद में कोई विवाद न हो.

जल्द घोषित होंगे नामः इस बारे में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का कहना है कि मंडल अध्यक्षों की चयन प्रक्रिया तेजी से चल रही है. बहुत जल्द ही सभी नाम घोषित कर दिए जाएंगे.

ये भी पढ़ेंः फर्रुखाबाद में 1000 हजार साल पुराने शिव मंदिर से हटा अवैध कब्जा; भूसे-उपलों में दबे मिले नंदी और महादेव

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की सियासत में भारतीय जनता पार्टी के मंडल अध्यक्ष बड़ा रहस्य बन गए हैं. हर जिले में सैकड़ो कार्यकर्ताओं ने मंडल अध्यक्ष पद के लिए नामांकन किया है. संख्या इतनी ज्यादा हो गई है कि अब चयन काफ़ी मुश्किल हो गया है. यही वजह है कि पिछले करीब 20 दिन में मंडल अध्यक्ष के नाम पार्टी नहीं घोषित कर सकी है. माना जा रहा है कि जनवरी के पहले सप्ताह तक मंडल अध्यक्ष के नाम घोषित कर दिए जाएंगे.

नए साल में नाम घोषित होने की उम्मीदः भाजपा मंडल अध्यक्षों का ऐलान अब नए साल में ही होने की उम्मीद है. उत्तर प्रदेश के 403 विधानसभा क्षेत्र में 1918 मंडल अध्यक्ष के पद हैं. ये भारतीय जनता पार्टी के कार्यक्रमों और चुनाव अभियान को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. पार्टी जिला अध्यक्ष के बाद मंडल अध्यक्ष के माध्यम से नीचे तक अपनी पकड़ बनाती है. इसके साथ ही विधायकों को भी अपने चुनाव अभियान व अपने कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने में इन ही लोगों की मदद लेनी पड़ती है. हर विधानसभा क्षेत्र में औसतन पांच मंडल अध्यक्ष हैं.

ढेर सारे नामांकन तो वजह नहींः भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि इतने ज्यादा नामांकन हो गए कि पहले जिलास्तर पर सहमति नहीं बन पाई. सभी नाम प्रदेश पदाधिकारियों को भेज दिए गए हैं. अब प्रदेश स्तर पर भी स्क्रीनिंग और सहमति बनाने में वक्त लग रहा है. भाजपा संगठन चुनाव की प्रक्रिया अक्टूबर में शुरू हुई थी. प्रदेश में कुल 1,62,204 बूथ पर चुनाव हो चुका है. मंडल अध्यक्षों का चुनाव 15 दिसंबर तक होना था लेकिन अभी तक करीव 60% मंडल अध्यक्षों के नाम तय हो पाए हैं. हर मंडल में 10-15 नामांकन हो गए. इनमें से तीन-तीन नामों का पैनल वहां के लिए नियुक्त किए गए चुनाव अधिकारियों और जिले के अधिकारियों को तैयार करना था. उन्होंने तीन-तीन नामों का पैनल तैयार करने के बजाय सभी नाम प्रदेश पदाधिकारियों को भेज दिए. लगातार स्क्रीनिंग का काम चल रहा है. प्रदेश में संगठन की दृष्टि से कुल 98 जिलों में 1,918 मंडल हैं. इनमें से अभी 60% में ही सहमति बन सकी है. यही वजह है कि ऐलान अव जनवरी तक ही होने की उम्मीद है.

ऊंची सिफारिश तो देरी की वजह नहींः संगठन चुनाव में बड़ी संख्या में नामांकन हो गए. सभी अपने स्तर से सिफारिशें भी लगवा रहे हैं. उधर, राष्ट्रीय और प्रदेशस्तर के पदाधिकारियों की भी चुनाव पर नजर है. पर्याप्त संख्या में चुनाव अधिकारी और पर्यवेक्षक तैनात किए गए हैं. ऐसे में जिला स्तरीय पदाधिकारियों ने सोचा कि वे खुद कोई रिस्क क्यों लें. यही वजह है कि उन्होंने जितने नाम आए, सभी प्रदेश पदाधिकारियों के निर्णय के ऊपर छोड़ दिए. इतने ज्यादा नामों में से स्क्रीनिंग करना भी आसान नहीं है. उम्र सीमा में कुछ छूट तो दी जा सकती है लेकिन यह भी देखना है कि वह पार्टी का दो बार का सक्रिय सदस्य हो, समर्पित कार्यकर्ता हो और बेदाग छवि हो. यही वजह है कि मंडल अध्यक्ष के नामों का चयन करने से पहले काफी सोच-विचार किया जा रहा है, ताकि बाद में कोई विवाद न हो.

जल्द घोषित होंगे नामः इस बारे में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का कहना है कि मंडल अध्यक्षों की चयन प्रक्रिया तेजी से चल रही है. बहुत जल्द ही सभी नाम घोषित कर दिए जाएंगे.

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