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खैर उपचुनाव; सपा का इस सीट अब तक नहीं खुला खाता, क्या डाॅ. चारु बना पाएंगी इतिहास?

UP ASSEMBLY BYELECTIONS: अलीगढ़ की इस सीट पर जाट, दलित, मुस्लिम और ठाकुर वोटरों का दबदबा. फिलहाल मेन फाइट सपा-भाजपा के बीच देखी जा रही.

खैर सीट पर जीत के लिए प्रत्याशियों ने झोंकी ताकत.
खैर सीट पर जीत के लिए प्रत्याशियों ने झोंकी ताकत. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 8, 2024, 12:08 PM IST

Updated : Nov 8, 2024, 1:31 PM IST

अलीगढ़: यूपी की 9 विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होगा. इनमें से एक खैर सीट भी शामिल हैं. जाट, दलित, मुस्लिम और ठाकुर समुदाय की अच्छी संख्या वाली इस सीट पर जीत के लिए प्रत्याशियों ने पूरी ताकत झोंक दी है. भाजपा से यहां सुरेंद्र दिलेर जबकि सपा से डॉ. चारु केन को मैदान में हैं. यहां सपा-भाजपा में ही मुख्य मुकाबला देखने को मिल रहा है. अखिलेश यादव की पार्टी को अब तक इस सीट पर जीत नसीब नहीं हुई है.

इस बीच etvbharat जमीनी हालात जानने इलाके में पहुंचा, लोगों से बातचीत की. मतदाताओं ने अपने कई मुद्दे गिनाए. कहा कि वे विकास से नाम पर वोट करेंगे. पढ़िए- पूरी ग्राउंड रिपोर्ट...

लोगों ने गिनाए इलाके के मुद्दे. (Video Credit; ETV Bharat)

स्थानीय निवासी वीरपाल सिंह ने बताया कि प्रत्याशी धर्म और जाति के नाम पर बांटने वाला नहीं होना चाहिए. इलाके का विकास, रोजगार मुहैया कराने वाला, शिक्षा पर काम क रने वाला और किसानों की समस्याओं का समाधान कराने वाला होना चाहिए. प्रत्याशी ईमानदार और शिक्षित होना चाहिए. इलाके में रोजगार, शिक्षा, जाम के अलावा किसानों की भी कई समस्याएं हैं. इनका समाधान होना चाहिए.

जनता चाहती है बदलाव: सलीम खान बॉबी ने बताया कि जनता इस बार बदलाव चाहती है. एक ऐसा पढ़ा-लिखा नेता चाहती है जो सभी के काम करें, विधानसभा क्षेत्र का का विकास कराएं. शिक्षा, बेरोजगारी पर काम करे. यहां का किसान बहुत परेशान है. उनकी समस्याओं को समाधान कराएं. सरकारी स्कूल में पढ़ाई नहीं होती. प्राइवेट स्कूलों की फीस इतनी ज्यादा है कि गरीब का बच्चा वहां पढ़ नहीं सकता.

खैर उपचुनाव में प्रमुख प्रत्याशी.
खैर उपचुनाव में प्रमुख प्रत्याशी. (Photo Credit; ETV Bharat)

छोटे किसानों को नहीं मिलती खाद: योगेश कुमार ने बताया कि खैर विधानसभा में खेतीबाड़ी ज्यादा होती है. यहां पर सबसे ज्यादा आलू बोया जाता है. यहां के छोटे किसानों को दुकानदार खाद नहीं देते हैं जबकि बड़े किसानों को खाद मिल जाती है. लिहाजा हम ऐसे प्रत्याशी को चुनेंगे जो इन सभी समस्याओं से छुटकारा दिला सके.

ट्रैफिक जाम की इतनी बड़ी समस्या है कि निकलने में तीन घंट से ज्यादा का वक्त लग जाता है. सालों से खैर बाईपास निकालने की बात कही जा रही है लेकिन अभी तक यहां से बाईपास नहीं निकला है. इससे लोगों को रोजाना परेशानियों का सामना करना पड़ता है. प्रत्याशी को खैर विधानसभा क्षेत्र का ही होना चाहिए था. दूसरे इलाके का प्रत्याशी जनता का दर्द क्या समझेगा.

खैर सीट से सपा, भाजपा और बसपा प्रत्याशी.
खैर सीट से सपा, भाजपा और बसपा प्रत्याशी. (Photo Credit; ETV Bharat)

नगर का विकास और बेरोजगारी है मुद्दा: रामकुमार शर्मा ने बताया कि यहां पर जाति के आधार पर भी वोट बंटेंगे. किसान उसी को वोट देगा जो उनकी समस्याओं को दूर करेगा. किसानों को उनकी फसलों के उचित दाम नहीं मिल रहे हैं. भाजपा ने काम तो कराया है, लेकिन अब बीजेपी में गुटबाजी हो रही है. इससे हो सकता है कि इस पार्टी का प्रत्याशी चुनाव में हार जाए. स्थानीय लोगों की माने तो उनका चुनावी मुद्दा नगर का विकास और बेरोजगारी है.

खैर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के 403 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है. यह अलीगढ़ जिले का एक हिस्सा है. इस विधानसभा क्षेत्र में पहला चुनाव 1951 में हुआ था. साल 2008 में संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के आदेश का परिसीमन पारित होने के बाद, निर्वाचन क्षेत्र को पहचान संख्या 71 सौंपी गई.

खैर विधानसभा सीट पर अब तक किसने-किसने दर्ज की जीत.
खैर विधानसभा सीट पर अब तक किसने-किसने दर्ज की जीत. (Photo Credit; ETV Bharat)

इस सीट से इतने लोग रह चुके हैं विधायक: चेतन्य राज सिंह, स्वतंत्र पार्टी (1962), पियारे लाल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (1967), महेंद्र सिंह, भारतीय क्रांति दल (1969), पियारे लाल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (1974), पियारे लाल, जनता पार्टी (1977), शिवराज सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इंदिरा) (1980), जग वीर, लोक दल (1985), जगवीर सिंह, जनता दल (1989), चौ. महेंद्र सिंह, भारतीय जनता पार्टी (1991), जगवीर सिंह, जनता दल (1993), ज्ञान वती, भारतीय जनता पार्टी (1996), प्रमोद गौड़, बहुजन समाज पार्टी (2002), सत्य पाल सिंह, राष्ट्रीय लोकदल (2007), भगवती प्रसाद, राष्ट्रीय लोकदल (2012), अनूप प्रधान, भारतीय जनता पार्टी (2017) और (2022).

दो बार से भाजपा के खाते में जा रही सीट : खैर विधानसभा क्षेत्र में 4.04 लाख मतदाता है. इसमें 2.6 लाख पुरुष और 1.8 लाख महिलाएं हैं. पिछले दो बार से भाजपा के अनूप प्रधान यहां विधायक बने और उन्हें राजस्व राज्य मंत्री का पद भी दिया गया. 2023 के लोकसभा चुनाव में प्रधान के सांसद बन जाने से ये सीट खाली हुई थी. अब दादा और पिता के बाद तीसरी पीढ़ी के सुरेंद्र दिलेर भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे हैं. खैर विधानसभा क्षेत्र में सुरेंद्र दिलेर के पिता राजवीर दिलेर का अच्छा दबदबा रहा था. लोकसभा चुनाव 2024 में उनका टिकट कट गया था.

अलीगढ़ की खैर विधानसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने चारू केन को उम्मीदवार बनाकर दलित और जाट वोट बैंक को साधने की रणनीति अपनाई है. चारू का मुकाबला बीजेपी के सुरेंद्र दिलेर से है. बता दें कि चारू केन 2022 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ीं थीं और दूसरे नंबर पर रही थीं. उन्हें भाजपा प्रत्याशी के सामने हार का सामना करना पड़ा था.

बसपा ने यहां से डॉक्टर पहल सिंह को प्रत्याशी बनाया है. एससी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली चारु जाट समुदाय से भी जुड़ी हैं. ऐसे में उन्हें दोनों समुदायों का समर्थन मिलने की संभावना है. पहले बसपा और फिर कांग्रेस का हिस्सा रह चुकीं चारु अब सपा से मैदान में हैं और सामाजिक न्याय तथा महिला सशक्तिकरण के मुद्दों पर जोर दे रही हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि सपा इस सीट पर इतिहास बना पाती है या नहीं?

यह भी पढ़ें : उपचुनाव सीसामऊ विधानसभा सीट; किन मुद्दों पर होगी वोट की चोट, जानें जनता का मूड

अलीगढ़: यूपी की 9 विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होगा. इनमें से एक खैर सीट भी शामिल हैं. जाट, दलित, मुस्लिम और ठाकुर समुदाय की अच्छी संख्या वाली इस सीट पर जीत के लिए प्रत्याशियों ने पूरी ताकत झोंक दी है. भाजपा से यहां सुरेंद्र दिलेर जबकि सपा से डॉ. चारु केन को मैदान में हैं. यहां सपा-भाजपा में ही मुख्य मुकाबला देखने को मिल रहा है. अखिलेश यादव की पार्टी को अब तक इस सीट पर जीत नसीब नहीं हुई है.

इस बीच etvbharat जमीनी हालात जानने इलाके में पहुंचा, लोगों से बातचीत की. मतदाताओं ने अपने कई मुद्दे गिनाए. कहा कि वे विकास से नाम पर वोट करेंगे. पढ़िए- पूरी ग्राउंड रिपोर्ट...

लोगों ने गिनाए इलाके के मुद्दे. (Video Credit; ETV Bharat)

स्थानीय निवासी वीरपाल सिंह ने बताया कि प्रत्याशी धर्म और जाति के नाम पर बांटने वाला नहीं होना चाहिए. इलाके का विकास, रोजगार मुहैया कराने वाला, शिक्षा पर काम क रने वाला और किसानों की समस्याओं का समाधान कराने वाला होना चाहिए. प्रत्याशी ईमानदार और शिक्षित होना चाहिए. इलाके में रोजगार, शिक्षा, जाम के अलावा किसानों की भी कई समस्याएं हैं. इनका समाधान होना चाहिए.

जनता चाहती है बदलाव: सलीम खान बॉबी ने बताया कि जनता इस बार बदलाव चाहती है. एक ऐसा पढ़ा-लिखा नेता चाहती है जो सभी के काम करें, विधानसभा क्षेत्र का का विकास कराएं. शिक्षा, बेरोजगारी पर काम करे. यहां का किसान बहुत परेशान है. उनकी समस्याओं को समाधान कराएं. सरकारी स्कूल में पढ़ाई नहीं होती. प्राइवेट स्कूलों की फीस इतनी ज्यादा है कि गरीब का बच्चा वहां पढ़ नहीं सकता.

खैर उपचुनाव में प्रमुख प्रत्याशी.
खैर उपचुनाव में प्रमुख प्रत्याशी. (Photo Credit; ETV Bharat)

छोटे किसानों को नहीं मिलती खाद: योगेश कुमार ने बताया कि खैर विधानसभा में खेतीबाड़ी ज्यादा होती है. यहां पर सबसे ज्यादा आलू बोया जाता है. यहां के छोटे किसानों को दुकानदार खाद नहीं देते हैं जबकि बड़े किसानों को खाद मिल जाती है. लिहाजा हम ऐसे प्रत्याशी को चुनेंगे जो इन सभी समस्याओं से छुटकारा दिला सके.

ट्रैफिक जाम की इतनी बड़ी समस्या है कि निकलने में तीन घंट से ज्यादा का वक्त लग जाता है. सालों से खैर बाईपास निकालने की बात कही जा रही है लेकिन अभी तक यहां से बाईपास नहीं निकला है. इससे लोगों को रोजाना परेशानियों का सामना करना पड़ता है. प्रत्याशी को खैर विधानसभा क्षेत्र का ही होना चाहिए था. दूसरे इलाके का प्रत्याशी जनता का दर्द क्या समझेगा.

खैर सीट से सपा, भाजपा और बसपा प्रत्याशी.
खैर सीट से सपा, भाजपा और बसपा प्रत्याशी. (Photo Credit; ETV Bharat)

नगर का विकास और बेरोजगारी है मुद्दा: रामकुमार शर्मा ने बताया कि यहां पर जाति के आधार पर भी वोट बंटेंगे. किसान उसी को वोट देगा जो उनकी समस्याओं को दूर करेगा. किसानों को उनकी फसलों के उचित दाम नहीं मिल रहे हैं. भाजपा ने काम तो कराया है, लेकिन अब बीजेपी में गुटबाजी हो रही है. इससे हो सकता है कि इस पार्टी का प्रत्याशी चुनाव में हार जाए. स्थानीय लोगों की माने तो उनका चुनावी मुद्दा नगर का विकास और बेरोजगारी है.

खैर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के 403 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है. यह अलीगढ़ जिले का एक हिस्सा है. इस विधानसभा क्षेत्र में पहला चुनाव 1951 में हुआ था. साल 2008 में संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के आदेश का परिसीमन पारित होने के बाद, निर्वाचन क्षेत्र को पहचान संख्या 71 सौंपी गई.

खैर विधानसभा सीट पर अब तक किसने-किसने दर्ज की जीत.
खैर विधानसभा सीट पर अब तक किसने-किसने दर्ज की जीत. (Photo Credit; ETV Bharat)

इस सीट से इतने लोग रह चुके हैं विधायक: चेतन्य राज सिंह, स्वतंत्र पार्टी (1962), पियारे लाल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (1967), महेंद्र सिंह, भारतीय क्रांति दल (1969), पियारे लाल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (1974), पियारे लाल, जनता पार्टी (1977), शिवराज सिंह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इंदिरा) (1980), जग वीर, लोक दल (1985), जगवीर सिंह, जनता दल (1989), चौ. महेंद्र सिंह, भारतीय जनता पार्टी (1991), जगवीर सिंह, जनता दल (1993), ज्ञान वती, भारतीय जनता पार्टी (1996), प्रमोद गौड़, बहुजन समाज पार्टी (2002), सत्य पाल सिंह, राष्ट्रीय लोकदल (2007), भगवती प्रसाद, राष्ट्रीय लोकदल (2012), अनूप प्रधान, भारतीय जनता पार्टी (2017) और (2022).

दो बार से भाजपा के खाते में जा रही सीट : खैर विधानसभा क्षेत्र में 4.04 लाख मतदाता है. इसमें 2.6 लाख पुरुष और 1.8 लाख महिलाएं हैं. पिछले दो बार से भाजपा के अनूप प्रधान यहां विधायक बने और उन्हें राजस्व राज्य मंत्री का पद भी दिया गया. 2023 के लोकसभा चुनाव में प्रधान के सांसद बन जाने से ये सीट खाली हुई थी. अब दादा और पिता के बाद तीसरी पीढ़ी के सुरेंद्र दिलेर भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे हैं. खैर विधानसभा क्षेत्र में सुरेंद्र दिलेर के पिता राजवीर दिलेर का अच्छा दबदबा रहा था. लोकसभा चुनाव 2024 में उनका टिकट कट गया था.

अलीगढ़ की खैर विधानसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने चारू केन को उम्मीदवार बनाकर दलित और जाट वोट बैंक को साधने की रणनीति अपनाई है. चारू का मुकाबला बीजेपी के सुरेंद्र दिलेर से है. बता दें कि चारू केन 2022 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ीं थीं और दूसरे नंबर पर रही थीं. उन्हें भाजपा प्रत्याशी के सामने हार का सामना करना पड़ा था.

बसपा ने यहां से डॉक्टर पहल सिंह को प्रत्याशी बनाया है. एससी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली चारु जाट समुदाय से भी जुड़ी हैं. ऐसे में उन्हें दोनों समुदायों का समर्थन मिलने की संभावना है. पहले बसपा और फिर कांग्रेस का हिस्सा रह चुकीं चारु अब सपा से मैदान में हैं और सामाजिक न्याय तथा महिला सशक्तिकरण के मुद्दों पर जोर दे रही हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि सपा इस सीट पर इतिहास बना पाती है या नहीं?

यह भी पढ़ें : उपचुनाव सीसामऊ विधानसभा सीट; किन मुद्दों पर होगी वोट की चोट, जानें जनता का मूड

Last Updated : Nov 8, 2024, 1:31 PM IST
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