शिमला: हिमाचल प्रदेश में बागवानों को इस बार दोहरी राहत मिलने वाली है. एक तो इस बार मंडियों में यूनिवर्सल कार्टन में 20 किलो पैकिंग में सेब बिकेगा. जिससे बागवानों को अब पहले की तरह अधिक पैकिंग में सेब बेच कर नुकसान नहीं उठाना होगा. वहीं, इस बार बागवानों को यूनिवर्सल कार्टन पिछले सालों के मुकाबले में 3.50 से 7.50 रुपए सस्ता मिल सकता है. सेब सीजन को नजदीक देखते हुए एचपीएमसी ने यूनिवर्सल कार्टन के दाम फाइनल कर दिए हैं. जिसमें बागवानों को अलग-अलग कीमत के सफेद और ब्राउन कार्टन उपलब्ध कराए जाएंगे.
यूनिवर्सल कार्टन के दाम
बागवानों को ब्राउन यूनिवर्सल कार्टन सबसे सस्ता 48 और सफेद कार्टन 56 रुपये में उपलब्ध कराया जाएगा. इस कीमत पर बागवानों को जीएसटी अलग से चुकाना होगा. पिछले साल ब्राउन कार्टन के रेट 51.50 रुपये और सफेद कार्टन 63.50 रुपये में था. बागवानों को ये कार्टन अगले हफ्ते से एचपीएमसी के शाखा कार्यालयों में मिलना शुरू हो जाएंगे.
कार्टन के लिए 3 कंपनियां शॉर्टलिस्टेड
बता दें कि एचपीएमसी ने बागवानों को यूनिवर्सल कार्टन उपलब्ध करवाने के लिए टेंडर प्रक्रिया को पूरा कर दिया है. जिसमें कई कंपनियों ने भाग लिया था, लेकिन कंपनियों की ओर से टेंडर में दी गई कीमतों का आकलन करने के बाद तीन कंपनियों को मेकर्स ने शॉर्टलिस्ट किया है. ये कंपनियां अब एचपीएमसी को एक सप्ताह तक कार्टन उपलब्ध करवाएंगी.
3 से 3.50 करोड़ कार्टन की मांग
हिमाचल की आर्थिकी में सेब का योगदान पांच हजार करोड़ से अधिक का रहता है. प्रदेश में पैदा होने वाले सेब की देश भर की मंडियों में अधिक मांग रहती है. ऐसे में मंडियों में बागवानों को सेब के अच्छे रेट मिलते हैं. हिमाचल में हर साल औसत 3 से 3.50 करोड़ पेटियों का उत्पादन होता है. जिसके चलते हर साल 3.50 करोड़ कार्टन की मांग रहती है.
कार्टन पर GST दरों में 6 फीसदी की कमी
वहीं, टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद एचपीएमसी ने बागवानों को पर्याप्त कार्टन उपलब्ध कराने के निर्देश जारी किए हैं. सेब सीजन को नजदीक देखते हुए शॉर्टलिस्ट हुई कंपनियों को एक सप्ताह में कार्टन उपलब्ध कराना होगा, ताकि बागवानों को कार्टन के लिए परेशानियों का सामना न करना पड़े. वहीं, इस साल कार्टन पर जीएसटी की दरें भी पिछले की तुलना में मुकाबले 6 फीसदी कम लागू होंगी. जीएसटी काउंसिल ने कार्टन पर जीएसटी 18 से घटाकर 12 फीसदी तय की है. जिसका फायदा हिमाचल में लाखों बागवानों को होगा.