उज्जैन (PTI)। उज्जैन में हर 12 साल बाद सिंहस्थ मेला लगता है. आखिरी धार्मिक मेला 2016 में आयोजित किया गया था. सिंहस्थ 2028 को लेकर सीएम मोहन यादव ने तैयारियों की समीक्षा के लिए उच्चस्तरीय बैठक की. इसके बाद मीडिया से सीएम ने कहा "सिंहस्थ (कुंभ) मेले से पहले पवित्र क्षिप्रा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. मेले की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए पवित्र शहर के लिए योजनाएं बनाई जानी चाहिए." शहरी प्रशासन और विकास विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई ने बताया कि मुख्यमंत्री ने जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए नदी के संरक्षण का निर्देश दिया है. नदी के दोनों किनारों पर घाट विकसित किए जाने पर जोर दिया गया.
शिप्रा में पानी के निरंतर प्रवाह की व्यवस्था बनेगी
शिप्रा नदी में पानी के निरंतर प्रवाह और स्वच्छता को बनाए रखने के लिए सभी विभाग और एजेंसियां तीन स्तरों पर काम करेंगी. इसमें इंदौर-उज्जैन के बीच स्टॉप डैम का निर्माण और रखरखाव, विशेषज्ञों की सलाह लेकर गंदे पानी का डायवर्जन और एक कार्यक्रम शामिल है. नदी के संरक्षण के लिए "नमामि शिप्रा" अभियान शुरू किया जाएगा. कान्ह नदी के साथ-साथ शिप्रा नदी में मिलने वाली अन्य नदियों और नालों का उपचार 2027 तक पूरा किया जाना चाहिए.
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निगरानी और समन्वय के लिए कैबिनेट कमेटी
सिंहस्थ मेले के आयोजन, उसकी निगरानी और समन्वय के लिए सीएम की अध्यक्षता में एक कैबिनेट कमेटी बनाने का भी निर्णय लिया गया. सिंहस्थ मेले से संबंधित जो विकास कार्य तीन साल में पूरे हो सकते हैं, उन्हें इस साल के बजट में शामिल किया जाएगा. मुख्यमंत्री ने उज्जैन आने के लिए महत्वपूर्ण जावरा-उज्जैन और इंदौर-उज्जैन फोरलेन सड़कों के विकास के भी निर्देश दिए. मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिये कि महाकाल लोक के प्रथम एवं द्वितीय चरण के विकास के समन्वय से उज्जैन में विकसित की जाने वाली 'आध्यात्मिक नगरी' की योजना बनायी जाए.