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ये है एमपी की धार्मिक राजधानी!, जानिए क्यों इस नगरी को सरकार ने बनाया धार्मिक मुख्यालय - Ujjain religious capital of MP - UJJAIN RELIGIOUS CAPITAL OF MP

मध्य प्रदेश की मोहन सरकार ने धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग के मुख्यालय को अब भोपाल के बजाए उज्जैन से ही संचालित करने का फैसला किया है. विभाग ने इसको लेकर अधिसूचना भी प्रकाशित की है. सरकार के इस कदम को लोग उज्जैन को धार्मिक राजधानी का रुतबा देने का प्रयास मान रहे हैं.

UJJAIN RELIGIOUS CAPITAL OF MP
उज्जैन मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 9, 2024, 5:39 PM IST

भोपाल। अब तक एमपी में चुनाव अभियान की शुरुआत के लिए ही राजनीतिक दल उज्जैन को चुनते रहे हैं, लेकिन अब मोहन सरकार में उज्जैन को नई पहचान दिलाने के लिए बड़ा फैसला लिया गया है. इसे सिंहस्थ से पहले उज्जैन की ताकत और बढ़ाने की कवायद कहा जाएगा. मोहन सरकार ने एक तरीके से उज्जैन को धार्मिक राजधानी का रुतबा देने का प्रयास किया है. दरअसल, मोहन सरकार का धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग का मुख्यालय अब भोपाल के बजाए उज्जैन से ही संचालित होगा.

सिंहस्थ से पहले उज्जैन में धर्मस्व विभाग का मुख्यालय

नई पहचान दिलाने के लिए उज्जैन को अब बीजेपी सरकार में प्रशासनिक तौर पर भी और ताकतवर बनाने के प्रयास हो रहे हैं. आगामी सिंहस्थ महाकुंभ के आयोजन से पहले मोहन सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. इस निर्णय में धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग भोपाल के बजाए उज्जैन से संचालित किये जाने का निर्णय लिया गया है. इसके बाद अब इस विभाग का मुख्यालय भोपाल से उज्जैन शिफ्ट होगा. फिलहाल ये तय किया गया है कि उज्जैन के सिंहस्थ मेला प्राधिकरण के भवन से धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग को संचालित किया जाएगा. धर्मस्व विभाग के संचालक समेत पूरा स्टाफ उज्जैन में ही बैठेगा. विभाग ने इसको लेकर अधिसूचना भी प्रकाशित की है.

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ग्रीनविच को भी उज्जैन लाने की कोशिश

मुख्यमंत्री बनते ही डॉ. मोहन यादव ने कहा था कि "हम उज्जैन की वेधशाला में शोध करेंगे. आईआईटी और आईआईएम के रिसर्चर्स के जरिए शोध के साथ एक प्लेटफॉर्म विकसित किया जाएगा. जिसमें राज्य सरकार प्राइम मेरिडियन देशांतर की रेखा जिससे समय के नाप के तौर पर विश्व में देखा जाता है उसे इंग्लैंड की ग्रीनविच से उज्जैन स्थानांन्तरित किया जाएगा."

वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं कि "ऐसा नहीं कि उज्जैन का महत्व पहले से नहीं है. बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से तो ये पार्टी कमोबेश अपने हर चुनाव अभियान की शुरुआत बाबा महाकाल के आर्शीवाद के साथ ही करती रही है, लेकिन डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद उज्जैन को नई पहचान देने का काम शुरू हुआ है और उसकी वजह ये है कि डॉ. मोहन यादव खुद उज्जैन के न सिर्फ निवासी हैं, बल्कि उनके राजनीतिक जीवन की जमीन भी उज्जैन ही है.

भोपाल। अब तक एमपी में चुनाव अभियान की शुरुआत के लिए ही राजनीतिक दल उज्जैन को चुनते रहे हैं, लेकिन अब मोहन सरकार में उज्जैन को नई पहचान दिलाने के लिए बड़ा फैसला लिया गया है. इसे सिंहस्थ से पहले उज्जैन की ताकत और बढ़ाने की कवायद कहा जाएगा. मोहन सरकार ने एक तरीके से उज्जैन को धार्मिक राजधानी का रुतबा देने का प्रयास किया है. दरअसल, मोहन सरकार का धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग का मुख्यालय अब भोपाल के बजाए उज्जैन से ही संचालित होगा.

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नई पहचान दिलाने के लिए उज्जैन को अब बीजेपी सरकार में प्रशासनिक तौर पर भी और ताकतवर बनाने के प्रयास हो रहे हैं. आगामी सिंहस्थ महाकुंभ के आयोजन से पहले मोहन सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. इस निर्णय में धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग भोपाल के बजाए उज्जैन से संचालित किये जाने का निर्णय लिया गया है. इसके बाद अब इस विभाग का मुख्यालय भोपाल से उज्जैन शिफ्ट होगा. फिलहाल ये तय किया गया है कि उज्जैन के सिंहस्थ मेला प्राधिकरण के भवन से धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग को संचालित किया जाएगा. धर्मस्व विभाग के संचालक समेत पूरा स्टाफ उज्जैन में ही बैठेगा. विभाग ने इसको लेकर अधिसूचना भी प्रकाशित की है.

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मुख्यमंत्री बनते ही डॉ. मोहन यादव ने कहा था कि "हम उज्जैन की वेधशाला में शोध करेंगे. आईआईटी और आईआईएम के रिसर्चर्स के जरिए शोध के साथ एक प्लेटफॉर्म विकसित किया जाएगा. जिसमें राज्य सरकार प्राइम मेरिडियन देशांतर की रेखा जिससे समय के नाप के तौर पर विश्व में देखा जाता है उसे इंग्लैंड की ग्रीनविच से उज्जैन स्थानांन्तरित किया जाएगा."

वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं कि "ऐसा नहीं कि उज्जैन का महत्व पहले से नहीं है. बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से तो ये पार्टी कमोबेश अपने हर चुनाव अभियान की शुरुआत बाबा महाकाल के आर्शीवाद के साथ ही करती रही है, लेकिन डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद उज्जैन को नई पहचान देने का काम शुरू हुआ है और उसकी वजह ये है कि डॉ. मोहन यादव खुद उज्जैन के न सिर्फ निवासी हैं, बल्कि उनके राजनीतिक जीवन की जमीन भी उज्जैन ही है.

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