कोटा : राजस्थान यूरोलॉजिस्ट स्टेट कॉन्फ्रेंस यूरोलॉजी सोसायटी ऑफ कोटा आयोजित कर रही है. यह शनिवार और रविवार को कोटा में आयोजित होगी. कॉन्फ्रेंस में कई साइंटिफिक सेशन आयोजित हो रहे हैं. इसमें 180 से ज्यादा यूरोलॉजिस्ट आ रहे हैं. इनमें एमसीएच कर रहे रेजिडेंट डॉक्टर्स भी पेपर प्रेजेंटेशन देंगे. इनकी संख्या 80 के आसपास है. कॉन्फ्रेंस को अटेंड करने दिल्ली, हरियाणा और झारखंड से भी सीनियर डॉक्टर भी अपना लेक्चर देंगे. इसमें नए सर्जरी के प्रोसीजर, नए सर्जरी के एडवांस तकनीक भी बताए जाएंगे. इनमें लेप्रोस्कोपिक, पिनहोल, लेजर के साथ-साथ रोबोटिक सर्जरी तकनीक पर भी जानकारी दी जाएगी. 14 से 15 सितंबर को स्टेट लेवल की इस कांफ्रेंस में यूरोलॉजी सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. पीपी सिंह भी मौजूद रहेंगे.
कांफ्रेंस के आयोजन सचिव और मेडिकल कॉलेज में यूरोलॉजी के एचओडी डॉ. नीलेश जैन ने बताया कि बीज वाली सब्जी टमाटर, बैंगन, हरी मिर्च, चुकंदर, कोल्ड ड्रिंक और चॉकलेट में बड़ी मात्रा में ऑक्सलेट होती है. यह ऑक्सलेट कैल्शियम ही स्टोन का कारण होता है, लेकिन यह पूरी तरह से नहीं कहा जा सकता है कि किडनी में मौजूद स्टोन का कारण यही है. किसी भी व्यक्ति को किडनी में स्टोन होने पर बीज वाली सब्जियां खाना बंद करना उचित नहीं है. स्टोन एनालिसिस के साथ ब्लड और यूरिन तीनों की रिपोर्ट के अध्ययन से सामने आता है कि स्टोन का क्या कारण है और पेशेंट के किडनी में पथरी क्यों बन रही है. इसके बाद टारगेटेड थेरेपी से इस पथरी को दोबारा होने से रोका जा सकता है.
कॉन्फ्रेंस के आयोजन अध्यक्ष और यूरोलॉजिस्ट डॉ. अशोक शर्मा का कहना है कि बीयर को पथरी का इलाज बताया जाता है, लेकिन यह भ्रांति है. बीयर पीने के बाद कैल्शियम ऑक्सलेट जैसे पदार्थ बनते हैं. इसी के चलते पथरी बनती है. राजस्थान उष्णकटिबंधीय इलाका है. इसके साथ ही किडनी स्टोन में नॉर्दर्न बेल्ट का हब है. इस नॉर्दर्न बेल्ट में किडनी के मरीज ज्यादा होते हैं, जिनमें हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, जम्मू कश्मीर, वेस्टर्न यूपी और दिल्ली का हिस्सा आते हैं. हमारे यहां पर गर्मी भी 9 महीने रहती है और तापमान भी ज्यादा रहता है. इसके चलते किडनी में पथरी के मरीज भी ज्यादा आते हैं. शरीर का पानी पसीने में सूख जाता है और यहां के लोगों के यूरिन की मात्रा भी कम हो जाती है. यह भी पथरी बनने का कारण है.
दिन में 3 से 4 लीटर पानी व 2 लीटर यूरिन जरूरी : डॉ. राजेश जैन का कहना है कि किसी भी आदमी को पानी की आवश्यकता उसके कार्य अनुसार होती है. मजदूर धूप में काम करते हैं तो उसके शरीर से पसीना निकलता है. ऐसे में उसे पानी ज्यादा पीना चाहिए. इसी तरह वाइट कॉलर जॉब एसी में बैठते हैं, उन्हें पानी की जरूरत कम होती है. साइंटिफिक कैलकुलेशन यह है कि किसी भी व्यक्ति को 2 लीटर यूरिन 24 घंटे में बनना चाहिए. किडनी शरीर के वेस्ट प्रोडक्ट यूरिन को बनाता है. यूरिन कम आएगा तो वह गाढ़ा होगा. इसके चलते छोटे-छोटे क्रिस्टल इकट्ठे होकर पथरी बन जाएंगे, लेकिन ज्यादा यूरिन आएगा तो उन्हें इकट्ठे होकर पथरी बनने में समय लगेगा. ऐसे में व्यक्ति को तीन से चार लीटर पानी की जरूरत होती है. पानी भी स्वच्छ होना चाहिए.