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दिल्ली दंगा मामले में दो आरोपी बरी, कोर्ट ने दिया संदेह का लाभ

2020 Delhi riot case: 2020 दिल्ली दंगा के एक मामले में बुधवार को कोर्ट ने दो आरोपियों को बरी कर दिया. कोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए कहा कि गवाह आरोपियों को पहचानने में नाकाम रहे.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Mar 13, 2024, 10:17 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे के दो आरोपियों को बरी कर दिया है. एडिशनल सेशंस जज पुलस्त्य प्रमाचल ने कहा कि आरोपियों की पहचान संदेह के दायरे में है इसलिए उनको संदेह का लाभ दिया जाता है. कोर्ट ने जिन आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया उनमें आबिद अली और शेरु ऊर्फ राजा शामिल हैं. घटना 23 फरवरी 2020 की है.

शिकायतकर्ता इंस्पेक्टर रोहिताश कुमार ने आरोप लगाया था कि 23 फरवरी 2020 को भजनपुरा थानांतर्गत विजय पार्क मेन रोड के 66 फुटा रोड पर थाने के दूसरे पुलिसकर्मियों और हेड कांस्टेबल विक्रांत के साथ ड्यूटी पर गए थे. शाम करीब साढ़े छह बजे कुछ लोग पत्थरबाजी कर रहे थे. शाम को छह बजकर 40 मिनट पर उन्होंने देखा कि तीन लड़कों को भीड़ द्वारा बुरी तरह पीटा जा रहा था. किसी तरह तीनों लड़कों को बचाया गया. पत्थरबाजी में इंस्पेक्टर रोहिताश कुमार, हेड कांस्टेबल विक्रांत और कुछ पुलिसकर्मी घायल हो गए.

यह भी पढ़ेंः हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस के वकील से पूछा- साफ-साफ बताए खालिद सैफी की दंगों में क्या भूमिका थी?

मौके की ड्यूटी की वजह से सभी पुलिसकर्मी अपना इलाज कराकर दोबारा ड्यूटी के लिए आ गए. रोहिताश कुमार के बयान के आधार पर 8 मार्च 2020 को दोनों आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 149, 186, 353, 332, 333 और 34 के तहत एफआईआर दर्ज की गई. कोर्ट ने पुलिस की चार्जशीट पर 8 सितंबर 2022 को दोनों आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर दिया. इस मामले के ट्रायल के दौरान आठ पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज किए गए.

कोर्ट ने पाया कि गवाहों में दो पुलिसकर्मी जो पत्थरबाजी में घायल हुए थे वे आरोपियों को पहचानने में नाकाम रहे. शिकायतकर्ता रोहिताश और हेड कांस्टेबल विक्रांत आरोपियों को ठीक से पहचान करने में नाकाम रहे. ऐसे में आरोपियों को संदेह का लाभ दिया जाता है. फरवरी 2020 में हुई हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और दो सौ के करीब लोग घायल हुए थे.

यह भी पढ़ेंः दंगे के खौफनाक मंजर से आज भी खौफ में हैं दिल्ली दंगा के पीड़ित, किसी का छूटा घर तो किसी का उजड़ा कारोबार

नई दिल्लीः दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे के दो आरोपियों को बरी कर दिया है. एडिशनल सेशंस जज पुलस्त्य प्रमाचल ने कहा कि आरोपियों की पहचान संदेह के दायरे में है इसलिए उनको संदेह का लाभ दिया जाता है. कोर्ट ने जिन आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया उनमें आबिद अली और शेरु ऊर्फ राजा शामिल हैं. घटना 23 फरवरी 2020 की है.

शिकायतकर्ता इंस्पेक्टर रोहिताश कुमार ने आरोप लगाया था कि 23 फरवरी 2020 को भजनपुरा थानांतर्गत विजय पार्क मेन रोड के 66 फुटा रोड पर थाने के दूसरे पुलिसकर्मियों और हेड कांस्टेबल विक्रांत के साथ ड्यूटी पर गए थे. शाम करीब साढ़े छह बजे कुछ लोग पत्थरबाजी कर रहे थे. शाम को छह बजकर 40 मिनट पर उन्होंने देखा कि तीन लड़कों को भीड़ द्वारा बुरी तरह पीटा जा रहा था. किसी तरह तीनों लड़कों को बचाया गया. पत्थरबाजी में इंस्पेक्टर रोहिताश कुमार, हेड कांस्टेबल विक्रांत और कुछ पुलिसकर्मी घायल हो गए.

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मौके की ड्यूटी की वजह से सभी पुलिसकर्मी अपना इलाज कराकर दोबारा ड्यूटी के लिए आ गए. रोहिताश कुमार के बयान के आधार पर 8 मार्च 2020 को दोनों आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 149, 186, 353, 332, 333 और 34 के तहत एफआईआर दर्ज की गई. कोर्ट ने पुलिस की चार्जशीट पर 8 सितंबर 2022 को दोनों आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर दिया. इस मामले के ट्रायल के दौरान आठ पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज किए गए.

कोर्ट ने पाया कि गवाहों में दो पुलिसकर्मी जो पत्थरबाजी में घायल हुए थे वे आरोपियों को पहचानने में नाकाम रहे. शिकायतकर्ता रोहिताश और हेड कांस्टेबल विक्रांत आरोपियों को ठीक से पहचान करने में नाकाम रहे. ऐसे में आरोपियों को संदेह का लाभ दिया जाता है. फरवरी 2020 में हुई हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और दो सौ के करीब लोग घायल हुए थे.

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