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दहशत फैलाने वाली बाघिन बकरा खाने के चक्कर में पिंजरे में हुई कैद, हो सकती है उम्रकैद

पीलीभीत में आबादी के करीब दहशत फैलाने वाली बाघिन को आज पिंजरे में कैद (Tigress Captured in Cage) कर लिया गया. उसको वन विभाग की निगरानी में रखा गया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 21, 2024, 7:32 PM IST

पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल ने दी जानकारी

पीलीभीत: जिले में कई दिन तक मानव आबादी के करीब चहलकदमी कर दहशत फैलाने वाली बाघिन आखिरकार रविवार को पिंजरे में कैद हो गई. वन विभाग की कड़ी निगरानी में बाघिन को रखा गया है. यह बाघिन जंगल में वापस छोड़ी जाएगी या फिर उसको उम्रकैद हो जाएगी इस पर उच्च अधिकारी ही निर्णय लेंगे.

दरअसल, जिले में बीते कुछ दिनों से एक बाघिन लगातार मानव आबादी के करीब घूमती नजर आ रही थी. बाघिन को अटकोना गांव से रेस्क्यू कर कॉलर आईडी लगाने के बाद जंगल में वापस छोड़ दिया गया था. लेकिन, बाघिन को जंगल रास नहीं आया और बाघिन ने अपना ठिकाना मानव आबादी के करीब ही बना लिया. कभी शहर के जेपी पैलेस के पास तो कभी सडिया गांव में बाघिन लगातार घूमती नजर आई. ऐसे में वन विभाग की टीम लगातार बाघिन की निगरानी में जुटी हुई थी और बाघिन को पकड़ने के लिए रेस्क्यू की रणनीति भी बन रही थी. लेकिन, बाघिन के स्वास्थ्य को देखकर पीलीभीत टाइगर रिजर्व के अधिकारी बाघिन के रिस्क को लेकर असहज थे. इस दौरान बाघिन ने शहर से जुड़ी नौगवा नगर पंचायत को अपना ठिकाना बना लिया.

देवहा नदी किनारे झाड़ियां में बाघिन कई दिन तक घूमती रही. यहां बाघिन को पकड़ने के लिए वन विभाग ने सोची समझी रणनीति के तहत पिंजरा लगाकर उसमें बकरी को बांध दिया. बाघिन कई बार पिंजरे के नजदीक तक आई. लेकिन, पकड़े जाने के दर से बाघिन ने बकरे का शिकार नहीं किया. कई दिन तक इलाके के लोग बाघिन की दहशत में रहते रहे. रविवार को अचानक बाघिन ने पिंजरे में बंधे बकरे का शिकार करने के लिए कोशिश की. इस दौरान बाघिन खुद पिंजरे में फंस गई और वन विभाग की टीम अपनी रणनीति में कामयाब हो गई.

रविवार को जब टीम मौके पर पहुंची तो देखा बाघिन पिंजरे में कैद होकर दहाड़ मार रही थी. पूरे मामले की सूचना उच्च अधिकारियों को दी गई. पिंजरे में कैद बाघिन को पीलीभीत टाइगर रिजर्व के उच्च अधिकारियों के निर्देशन में सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया है. जहां बाघिन की निगरानी की जाएगी. हालांकि, बाघिन जंगल में वापस छोड़ी जाएगी या फिर इसको जू भेजा जाएगा, इस पर अभी कोई फैसला नहीं हो पाया है. पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल ने बताया कि बाघिन पिंजरे में कैद हुई है. बाघिन को निगरानी में रखा जाएगा और उसका स्वास्थ्य परीक्षण भी कराया जाएगा. रिपोर्ट आने के बाद उच्च अधिकारी ही बाघिन को छोड़ने के विषय में निर्णय लेंगे.

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पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल ने दी जानकारी

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दरअसल, जिले में बीते कुछ दिनों से एक बाघिन लगातार मानव आबादी के करीब घूमती नजर आ रही थी. बाघिन को अटकोना गांव से रेस्क्यू कर कॉलर आईडी लगाने के बाद जंगल में वापस छोड़ दिया गया था. लेकिन, बाघिन को जंगल रास नहीं आया और बाघिन ने अपना ठिकाना मानव आबादी के करीब ही बना लिया. कभी शहर के जेपी पैलेस के पास तो कभी सडिया गांव में बाघिन लगातार घूमती नजर आई. ऐसे में वन विभाग की टीम लगातार बाघिन की निगरानी में जुटी हुई थी और बाघिन को पकड़ने के लिए रेस्क्यू की रणनीति भी बन रही थी. लेकिन, बाघिन के स्वास्थ्य को देखकर पीलीभीत टाइगर रिजर्व के अधिकारी बाघिन के रिस्क को लेकर असहज थे. इस दौरान बाघिन ने शहर से जुड़ी नौगवा नगर पंचायत को अपना ठिकाना बना लिया.

देवहा नदी किनारे झाड़ियां में बाघिन कई दिन तक घूमती रही. यहां बाघिन को पकड़ने के लिए वन विभाग ने सोची समझी रणनीति के तहत पिंजरा लगाकर उसमें बकरी को बांध दिया. बाघिन कई बार पिंजरे के नजदीक तक आई. लेकिन, पकड़े जाने के दर से बाघिन ने बकरे का शिकार नहीं किया. कई दिन तक इलाके के लोग बाघिन की दहशत में रहते रहे. रविवार को अचानक बाघिन ने पिंजरे में बंधे बकरे का शिकार करने के लिए कोशिश की. इस दौरान बाघिन खुद पिंजरे में फंस गई और वन विभाग की टीम अपनी रणनीति में कामयाब हो गई.

रविवार को जब टीम मौके पर पहुंची तो देखा बाघिन पिंजरे में कैद होकर दहाड़ मार रही थी. पूरे मामले की सूचना उच्च अधिकारियों को दी गई. पिंजरे में कैद बाघिन को पीलीभीत टाइगर रिजर्व के उच्च अधिकारियों के निर्देशन में सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया है. जहां बाघिन की निगरानी की जाएगी. हालांकि, बाघिन जंगल में वापस छोड़ी जाएगी या फिर इसको जू भेजा जाएगा, इस पर अभी कोई फैसला नहीं हो पाया है. पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल ने बताया कि बाघिन पिंजरे में कैद हुई है. बाघिन को निगरानी में रखा जाएगा और उसका स्वास्थ्य परीक्षण भी कराया जाएगा. रिपोर्ट आने के बाद उच्च अधिकारी ही बाघिन को छोड़ने के विषय में निर्णय लेंगे.

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