कानपुर: देश और दुनिया में सुर्खियां बटोरने वाली पीलीभीत की बाघिन को रेस्क्यू करने के बाद बीती 28 जनवरी को कानपुर चिड़ियाघर में शिफ्ट किया गया था. बाघिन की सेहत और स्वास्थ्य को देखते हुए वन विभाग के अधिकारियों ने उसे कानपुर जू भेजा था.
कानपुर जू के डॉक्टरो के लिए बाघिन की जान को बचाना किसी चैलेंज से कम नहीं था. हालांकि, डॉक्टरों ने इस चैलेंज को स्वीकार किया और बाघिन का इलाज शुरू किया. इसके बाद से कानपुर जू में लगातार बाघिन का इलाज किया जा रहा था.
अब काफी हद तक उसका स्वास्थ्य बेहतर हो गया है. इतना ही नहीं अब उसके घाव भी आप पूरी तरीके से भर गए है. उसकी डाइट भी काफी अच्छी हो गई है. कानपुर जू में उसका नामकरण भी कर दिया गया है.
कभी पीलीभीत में था, इस बाघिन का आतंक: पीलीभीत के अटकोना गांव में बीती 26 दिसम्बर को एक बाघिन घर में घुस गई थी. फिर घर के बाहर एक दीवार पर कई घंटों तक बैठी रही थी. गनीमत इतनी थी, कि बाघिन ने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया था. काफी कड़ी मशक्कत के बाद वन विभाग की ओर से इसे रेस्क्यू किया गया था. रेस्क्यू के दौरान बाघिन गंभीर रूप से घायल हो गई थी. उसके सीने में कोई नुकीली चीज लगने की वजह से बड़ा घाव भी हो गया था.
इसके साथ ही बाघिन के दो दांत भी टूट गए थे. उसकी हालत काफी ज्यादा नाजुक हो गई थी. प्रदेश के अलग-अलग चिड़ियाघरों में बाघिन के इलाज के लिए जब डॉक्टरों ने अपने हाथ खड़े कर दिए थे. तब कानपुर जू के डॉ. अनुराग सिंह के निर्देश पर इस बाघिन को कानपुर चिड़ियाघर लाया गया और उसके बाद से कानपुर जू में बाघिन का लगातार इलाज किया जा रहा है. जहां उसका स्वास्थ्य अब पहले से काफी बेहतर है.
कानपुर चिड़ियाघर में बाघिन को मिला नाम: कानपुर प्राणी उद्यान के डिप्टी डायरेक्टर अनुराग सिंह ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में बताया कि 28 जनवरी को पीलीभीत से घायल अवस्था में आई बाघिन का कानपुर चिड़ियाघर में डॉक्टरों द्वारा विशेषतौर पर ख्याल रखा जा रहा है. शायद यही वजह है कि बाघिन अब पूरी तरह से स्वस्थ हो गई है.
उन्होंने बताया कि जब बाघिन कानपुर चिड़ियाघर में आई थी. तब उसकी स्थिति ठीक नहीं थी. उसके सीने में काफी बड़ा घाव था. उसकी नाक से खून बह रहा था. हालांकि, अब उसका स्वास्थ काफी हद तक बेहतर है. उसने एक अच्छी डाइट लेनी भी शुरू कर दी है. वह रोजाना 8 से 9 किलो मीट खा रही है. उसे डाइजेस्ट भी कर रही है. साथ ही उसके सीने का घाव भी पूरी तरीके से भर गया है. अब उसे कानपुर जू में ही रखा जाएगा. कानपुर जू में बाघिन को आध्या कहकर बुलाया जा रहा है.
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