शहडोल: जिले में इन दिनों बाघ का मूवमेंट देखा जा रहा है. पिछले कुछ दिनों से जिला मुख्यालय के करीब ही कुछ बाघों के मूवमेंट की खबर आई. बीते रविवार को ही एक बाघ ने एक शिकार भी कर दिया. इसके बाद से कुछ मवेशियों के भी घायल होने की खबर है. ऐसे में सवाल ये खड़ा होता है, कि क्या बाघ शहडोल में भी टेरिटरी की तलाश में है. क्या यहां भी बाघ अपना एक अलग साम्राज्य बनाना चाहता है.
बाघ कैसे बनाता है अपना साम्राज्य ?
शहडोल रेंज में इन दिनों बाघ का मूवमेंट देखा जा रहा है. कई गांव के जंगलों से होकर उसके गुजरने की खबरें भी आ रही हैं. जिस बाघ की एक दहाड़ से पूरा इलाका थर्रा जाता है. आखिर वो बाघ शहडोल रेंज के इन जंगलों में अपनी टेरिटरी की तलाश में है. आखिर बाघ अपना साम्राज्य कैसे स्थापित करता है, इसे लेकर शहडोल साउथ डीएफओ श्रद्धा प्रेंद्रे से ईटीवी भारत ने बात की. जहां उन्होंने बताया कि "जिस क्षेत्र में एक बाघ अपना भरण पोषण बिना किसी कठिनाई के कर सके और जिसमें किसी अन्य बाघ की बिल्कुल भी दखलंदाजी ना हो.
सुरक्षित तरीके से उस जगह पर वो रह सके. वो बाघ की पूरी टेरिटरी होती है. या आसान भाषा में कहें तो बाघ का पूरा साम्राज्य होता है."बाघ जब भी अपनी टेरिटरी बनाता है. वो उस पूरे एरिया को अच्छे से घूमता फिरता है. उसके बाद ही उसे अपना टेरिटरी बनाता है.
कितना बड़ा हो सकता है बाघ का साम्राज्य ?
बाघ अपनी टेरिटरी में हर छोटी छोटी बात का ख्याल रखता है. जिससे वो आसानी से वहां अपना जीवन यापन कर सके. मतलब भरपूर भोजन हो, पानी की व्यवस्था हो. इसके अलावा वो वहां भ्रमण कर सके. शहडोल साउथ डीएफओ श्रद्धा पेन्द्रे बताती हैं कि 20 से 25 वर्ग किलोमीटर तक का दायरा होता है, जहां वो अपनी टेरिटरी बनाता है.
कैसे करता है मार्किंग ?
डीएफओ श्रद्धा पेन्द्रे बताती हैं कि "बाघ अपने टेरिटरी की मार्किंग भी करता है और बड़े ही यूनिक तरीके से करता है. कई बार ऐसे वीडियो सामने आए हैं. जिसमें बाघ पेड़ों को नाखून से कुरेदते नजर आया है. बाघ ऐसे ही पेड़ों को नाखून से नहीं कुरेदता बल्कि वो अपने साम्राज्य की सीमा रेखा तय करता है. वो ऐसे ही पेड़ों पर नाखून से निशान नहीं बनाता है, बल्कि अपनी टेरिटरी का दायरा तय करता है. टेरिटरी के लिए मार्किंग करता है. इसके अलावा बाघ यूरिन स्प्रे के माध्यम से भी अपनी टेरिटरी की सीमा रेखा तय करता है.
जंगली जीवों के एक्सपर्ट बताते हैं कि बाघ बहुत कम उम्र में ही अपनी मां से अलग होने के बाद लगभग अपना पूरा जीवनकाल अपनी टेरिटरी की सुरक्षा और अपनी वंश वृद्धि में गुजारता है. बाघ में एक खास बात और होती है कि वो हर दिन अपनी टेरिटरी के इर्द-गिर्द घूमता है. वो उसके डेली रूटीन का एक हिस्सा भी होता है, इसीलिए इसे टेरिटरी मार्किंग कहा जाता है.
बाघ की एक खास बात ये भी होती है कि दूसरे बाघ को अपने इलाके में घुसने नहीं देता है. अगर कोई दूसरा नर बाघ उस इलाके में आता है, तो उनके बीच में आपसी संघर्ष देखने को मिलता है. कई बार ऐसी खबरें भी सामने आई हैं, कि आपसी संघर्ष की वजह से बाघों की मौत भी हुई है. ऐसे में उस बाघ को उस टेरीटरी से भाग कर अपनी दूसरी टेरिटरी बनानी पड़ती है.
बाघ को कैसा जंगल पसंद ?
बाघ को आखिर किस तरह का जंगल पसंद होता है. इसे लेकर शहडोल साउथ डीएफओ श्रद्धा पेन्द्रे बताती हैं की "बाघ अक्सर उन जगहों को पसंद करता है. जहां उसे पर्याप्त भोजन और पीने के लिए पानी मिल सके. इसके अलावा छिपने के लिए घना जंगल मिल सके. बाघ ऐसे जंगल में रहना पसंद करता है. जहां छिपकर शिकार किया जा सके. जिसमें झाड़ियां हों और वो आसानी से वहां खुद को भी छुपा सके. बाघ में एक खास बात और देखी जाती है, कि वह बहुत ताकतवर जानवर माना जाता है. बाघ महज दो से 5 सेकंड में ही शिकार कर लेता है. इतनी तेज गति से वो अपने शिकार पर अटैक करता है.
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टेरिटरी की तलाश में घूम रहे बाघ ?
शहडोल जिला बांधवगढ़ से लगा हुआ जिला है. शहडोल जिले में भी काफी तादात में जंगल पाए जाते हैं. ऐसे में पिछले कुछ दिनों से शहडोल जिले में भी अलग-अलग जगह पर बाघों के मूवमेंट देखने को मिले हैं. इसे लेकर शहडोल साउथ डीएफओ श्रद्धा पेन्द्रे बताती हैं की "शहडोल में भी कई बाघ टेरिटरी की तलाश में घूम रहे हैं और यहां अपना साम्राज्य स्थापित करना चाहते हैं."