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एक पराठे से भर जाता है 5 लोगों का पेट, नेपाल, उत्तरप्रदेश और बिहार से पहुंचे कारीगर करते हैं तैयार

हजारीबाग में तीन फीट का पराठा काफी चर्चा में है. यहां के लोग इसे हलवा के साथ खाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं.

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पराठा बेचते दुकानदार (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 2 hours ago

हजारीबाग: पराठा का शौकीन लगभग हर एक कोई है. हजारीबाग का पराठा काफी मशहूर है. इस एक पराठे से 4-5 लोगों का पेट भर देता सकता है. इसे मीठे हलवे के साथ लोग खाना पसंद करते हैं.

हजारीबाग के हजरत दाता मदारा शाह की मजार उर्स का आयोजन हुआ है. इस आयोजन में 3 फीट के पराठे आकर्षण का केंद्र बिंदु बने हुए हैं. इस पराठे से पांच लोग आसानी से अपना पेट भर सकते हैं. साल भर इंतजार करने के बाद मेले में पराठा का बाजार लगता है. पराठे की दुकान लगाने के लिए उत्तर प्रदेश बिहार और नेपाल से कारीगर पहुंचे हैं. एक जमाने में ये पराठे नवाबों को खूब पसंद आते थे. समय बीतने के साथ यह पराठा भी लोगों से दूर होता चला गया. हालांकि पराठे के कारीगर अभी भी कुछ इलाकों में घूम-घूम कर दुकान लगाते हैं.

संवाददाता गौरव प्रकाश की रिपोर्ट (ETV BHARAT)

पराठे बनाने में मैदा, दूध और खोवा का उपयोग किया जाता है. एक पराठे में लगभग 1 किलो मैदा लगता है. अन्य सामान मिलाकर देखा जाए तो उसका वजन लगभग डेढ़ किलो तक पहुंच जाता है. मुगलई पराठा बनाने में लगभग 1 घंटे का समय लगता है. पराठा को गर्म तेल की कढ़ाई में डाला जाता है. कारीगरी बताते हैं कि हर एक कारीगर नहीं बन सकता है. इसे बनाने में हाथ में हुनर होना चाहिए.

three feet paratha is made in Hazrat Data fair of Hazaribag
पराठा तैयार करते कारीगर (ETV BHARAT)

वहीं, ग्राहक बताते हैं कि मेले में कम दाम पर पराठा हलवा बेचा जाता है. लोग साल भर इंतजार करते हैं कि मेला में पराठे की दुकान लगे. उनका कहना है कि नवाबों को पराठा खूब पसंद आता था. इस कारण इसका नाम मुगलई पराठा रखा गया है. इसके साथ हलवा खाना पराठे का स्वाद और बढ़ा देता है. एक जमाने में मुगलई पराठे लोगों का पसंदीदा डिश था. कुछ आयोजन में इस व्यंजन को आज भी जीवित रखा गया है.

ये भी पढ़ें: क्या आप खाना चाहेंगे ये वाला पराठा, वीडियो देख भड़के लोग - Diesel Paratha

ये भी पढ़ें: गंगा-जमुनी तहजीब की गवाह है हजारीबाग दाता बाबा दरगाह, मजार पर चढ़ती है हिंदू परिवार की बनाई चादर

हजारीबाग: पराठा का शौकीन लगभग हर एक कोई है. हजारीबाग का पराठा काफी मशहूर है. इस एक पराठे से 4-5 लोगों का पेट भर देता सकता है. इसे मीठे हलवे के साथ लोग खाना पसंद करते हैं.

हजारीबाग के हजरत दाता मदारा शाह की मजार उर्स का आयोजन हुआ है. इस आयोजन में 3 फीट के पराठे आकर्षण का केंद्र बिंदु बने हुए हैं. इस पराठे से पांच लोग आसानी से अपना पेट भर सकते हैं. साल भर इंतजार करने के बाद मेले में पराठा का बाजार लगता है. पराठे की दुकान लगाने के लिए उत्तर प्रदेश बिहार और नेपाल से कारीगर पहुंचे हैं. एक जमाने में ये पराठे नवाबों को खूब पसंद आते थे. समय बीतने के साथ यह पराठा भी लोगों से दूर होता चला गया. हालांकि पराठे के कारीगर अभी भी कुछ इलाकों में घूम-घूम कर दुकान लगाते हैं.

संवाददाता गौरव प्रकाश की रिपोर्ट (ETV BHARAT)

पराठे बनाने में मैदा, दूध और खोवा का उपयोग किया जाता है. एक पराठे में लगभग 1 किलो मैदा लगता है. अन्य सामान मिलाकर देखा जाए तो उसका वजन लगभग डेढ़ किलो तक पहुंच जाता है. मुगलई पराठा बनाने में लगभग 1 घंटे का समय लगता है. पराठा को गर्म तेल की कढ़ाई में डाला जाता है. कारीगरी बताते हैं कि हर एक कारीगर नहीं बन सकता है. इसे बनाने में हाथ में हुनर होना चाहिए.

three feet paratha is made in Hazrat Data fair of Hazaribag
पराठा तैयार करते कारीगर (ETV BHARAT)

वहीं, ग्राहक बताते हैं कि मेले में कम दाम पर पराठा हलवा बेचा जाता है. लोग साल भर इंतजार करते हैं कि मेला में पराठे की दुकान लगे. उनका कहना है कि नवाबों को पराठा खूब पसंद आता था. इस कारण इसका नाम मुगलई पराठा रखा गया है. इसके साथ हलवा खाना पराठे का स्वाद और बढ़ा देता है. एक जमाने में मुगलई पराठे लोगों का पसंदीदा डिश था. कुछ आयोजन में इस व्यंजन को आज भी जीवित रखा गया है.

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