आगरा : हर साल 'वर्ल्ड डायबिटीज डे' 14 नवंबर को मनाया जाता है. बात करें तो भारत में तेजी से डायबिटीज के मरीजों की संख्या बढ़ रही है, इसलिए भारत को डायबिटीज की कैपिटल कहते हैं. कहें तो डायबिटीज एक महामारी बनती जा रही है. जिसकी चपेट में बुजुर्ग, युवा और बच्चे भी आ रहे हैं. ईटीवी भारत ने 'वर्ल्ड डायबिटीज डे' पर आगरा के पद्मश्री डीके हाजरा और एसएन मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. प्रभात अग्रवाल से खास बातचीत की.
पद्मश्री डॉ. डीके हाजरा ने कहा कि यदि अपने मासूम बच्चों को डायबिटीज से दूर रखना है तो उन्हें फल खिलाएं, मगर जूस ना दें. घर में मिठाई का डिब्बा नहीं, ड्राई फ्रूट्स लाएं. प्रोफेसर डॉ. प्रभात अग्रवाल ने बताया कि बातचीत की. बच्चों में डायबिटीज की वजह चीनी डालकर दूध देना है. उन्होंने कहा कि बच्चों को कभी चीनी डालकर दूध ना दें. बच्चों को फास्ट फूड, कोल्ड ड्रिंक्स और एनर्जी ड्रिंक्स ना दें.
बच्चों में डायबिटीज लक्षण |
- बार-बार पेशाब आना. |
- मूत्राशय में संक्रमण होना. |
- बच्चे का बिस्तर गीला कर देना. |
- संक्रमण, घावों देरी से ठीक होना. |
- थकान के साथ धुंधली आंखें. |
- अधिक प्यास लगना. |
- हाथ पैरों में झनझनाहट होना. |
- ब्लड में ग्लूकोज का हाई लेवल. |
- चिड़चिड़ापन हो जाना. |
- बच्चों का मूड स्विंग होना. |
बता दें कि डायबिटीज की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है. आज हर एज ग्रुप इसकी चपेट में है. इसमें बच्चे, युवा, पुरुष, महिला और बुजुर्ग शाामिल हैं. जिनमें इंसुलिन हार्मोन का प्रोडक्शन कम या बनना ही बंद हो गया है, जिसकी कमी से ब्लड में ग्लूकोज (शुगर) की मात्रा बढ़ जाती है. जिसे डायबिटीज कहते हैं. लंबी चलने वाली ये बीमारी नर्व्स और नसों को नुकसान पहुंचाती है. जिसकी वजह से ही दिल की बीमारियां, ब्लड प्रेशर बढ़ना, किडनी का फेल होना, स्ट्रोक समेत अन्य बीमारियों का रिस्क अधिक हो जाता है.
बच्चों को ये ना खिलाएं |
- बच्चों को जंक फूड से बच्चों को दूर रखें. |
- चिप्स और नमकीन भी बच्चों का ना खिलाएं. |
- कोल्डड्रिंक्स और एनर्जी ड्रिंक्स ना पिलाएं. |
- बच्चों को दूध में बिना चीनी का पिलाएं. |
- मीठे पेय पदार्थ से बच्चों को दूर रखें. |
- स्नैक्स का अत्यधिक सेवन भी बच्चों को ना कराएं. |
- खाने के दौरान स्क्रीन से परहेज करना. |
इस साल वर्ल्ड डायबिटीज डे की थीम : बता दें कि इस साल वर्ल्ड डायबिटीज डे की थीम "बाधाओं को तोड़ना, गैप को कम करना" है. ये दिन डायबिटीज के जोखिम को कम करने और यह सुनिश्चित करने के लिए हमारे समर्पण पर जोर देता है कि डायबिटीज से पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति को उचित, व्यापक, किफायती और हाई क्वालिटी इलाज और केयर मिले.
बच्चों को ये खिलाकर रखें डायबिटीज से दूर |
- बच्चों को स्वस्थ संतुलित आहार दें. |
- बच्चों को मौसमी फल खाने को दें. |
- हरी सब्जियां बच्चों को खिलाएं. |
- मोटा अनाज की डिश बनाकर खिलाएं. |
- बच्चों को खूब पानी पिलाएं. |
- बच्चों को प्रोटीन रिच डाइट दें. |
मिठाई नहीं, ड्राई फ्रूट्स घर लाएं : पद्मश्री डॉ. डीके हाजरा बताते हैं कि हर ऐज ग्रुप आज डायबिटिक है. ऐसे में हमें अपनी जुबान पर कंट्रोल करना होगा. जिसमें सबसे पहले हमें मीठी चाय, दूध, चीनी और मिठाइयों से दूरी बनानी होगी. यदि आपके घर में कोई मिठाई का डिब्बा भेज रहा है तो वो आपका सबसे बड़ा दुश्मन है, जो आपको उपहार में डायबिटीज की ओर धकेल रहा है. घर में चीनी या मिठाई का डिब्बा ना लाएं. घर ड्राई फ्रूट्स लेकर आएं. सबसे बड़ी समस्या ये है कि आज छोटे बच्चे भी डायबिटीज की चपेट में हैं. इसकी कई वजह हैं. माता-पिता को इस ओर अधिक ध्यान देना चाहिए. अपने बच्चों को चीनी डालकर दूध ना दें. दूध वैसे ही मीठा होता है. उसमें चीनी की जरूरत नहीं है. इसके साथ ही बच्चों को जूस न दें. उन्हें खाने के लिए फल दें. मौसमी फल खिलाएं. अभी सर्दी आ गई है, ऐसे में बच्चों की डाइट में मोटा अनाज शामिल करें. उन्हें साबुत अनाज भी दें.
ये जरूर कराएं |
- बच्चों को प्रतिदिन 60 मिनट फिजिकल एक्टिविटी कराएं. |
- बच्चों को एक्सरसाइज और वर्कआउट जरूर कराएं. |
- बच्चों को मोबाइल या टेलीविजन देखने से रोकें. |
- बच्चों की मेंटल हेल्थ पर पूरा ध्यान दें. |
- समय-समय पर बच्चों की डायबिटीज जांच कराएं. |
जानें क्यों मनाया जाता था वर्ल्ड डायबिटीज डे : बता दें कि इंटरनेशनल डायबिटीज फाउंडेशन और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने वर्ल्ड डायबिटीज डे सन् 1991 मनाने की प्लानिंग की. मगर, सन् 2006 में ऑफिशियल रूप से वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाया जाने लगा. ये हर साल 14 नवंबर को मनाया जाता है. इस दिन ही वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाए जाने की वजह सर फ्रेडरिक बैंटिंग का जन्मदिन है. सर फ्रेडरिक बैंटिंग ने 1922 में चार्ल्स बेस्ट के साथ मिलकर इंसुलिन की खोज की थी, इसलिए, इस दिन वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाया जाता है.
साइलेंट किलिंग बीमारी डायबिटीज : एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. प्रभात अग्रवाल बताते हैं कि डायबिटीज चुपके से आपकी जान का जोखिम बढ़ाती है. यदि हम वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के आंकडे देखें तो डायबिटीज तेजी से लोगों को चपेट में ले रही है. हाल की बात करें तो विश्व में 53.7 करोड़ डायबिटीज के मरीज हैं, जिसमें से भारत में 8.2 करोड़ डायबिटीज की चपेट में हैं. डायबिटीज की वजह से अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए, इसे साइलेंट किलिंग बीमारी कहते हैं.
डायबिटीज के दो प्रकार : एसएन मेडिकल कॉलेज के मेडिसन विभाग के प्रोफेसर डॉ. प्रभात अग्रवाल बताते हैं कि डायबिटीज दो तरह की होती है. एक टाइप-1 डायबिटीज जो बच्चों में होती है, दूसरी टाइप टू डायबिटीज है जो वयस्कों में होती है. वैसे बच्चों में डायबिटीज की मुख्य वजह जेनेटिक होती है. जिसमें यदि माता-पिता में से किसी को या परिवार के किसी सदस्य को डायबिटीज है तो बच्चों में भी इसका जोखिम बढ़ जाता है. यही वजह है कि बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज होती है. टाइप-1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून स्थिति है. जिसकी वजह से बच्चों के शरीर में इंसुलिन नहीं बनता है, इसलिए बच्चों को इंसुलिन की मात्रा इंजेक्शन से देनी होती है.
डायबिटीज की ये तीन अहम वजह
मोटापा : बच्चों में डायबिटीज का कारण बच्चों का अधिक वजन या मोटापा है. मोटापे की वजह से शरीर इंसुलिन का सही तरीके से उपयोग नहीं होता है. जिससे ही ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है.
फिजिकली एक्टिविटी कम : देखा जाए तो अभी बच्चे शारीरिक रूप से कम एक्टिव रहते हैं. बच्चे मोबाइल और लैपटॉप पर अधिक व्यस्त रहते हैं. मोबाइल पर गेम खेलते हैं, जिससे ही बच्चों में डायबिटीज का जोखिम बढ़ जाता है.
जेनेटिक : अगर किसी परिवार में माता-पिता, दादा-दादी या भाई-बहन को डायबिटीज है तो बच्चों में डायबिटीज का जोखिम अधिक रहता है. डायबिटीज की वजह जेनेटिक भी होती है.
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