कोटा : जॉइंट एडमिशन बोर्ड (JAB) ने जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम एडवांस्ड (JEE ADVANCED 2025) प्रवेश परीक्षा के अटेम्प्ट्स की संख्या को 3 से घटा कर फिर से 2 करने का निर्णय लिया है. कोटा के एजुकेशन एक्सपर्ट इसको साहसिक निर्णय बता रहे हैं. एक्सपर्ट का यह भी मानना है कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) में प्रवेश के लिए पहले अलग परीक्षा आयोजित होती थी, उस एग्जाम की गुणवत्ता और एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया कुछ अलग होते थे. अब नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा आयोजित नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET UG) के जरिए ही प्रवेश मिलता है. इसमें भी बैरियर लगाने या फिर अटेंप्ट तय करने का काम होना चाहिए.
एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा का मानना है कि JAB आईआईटी में शैक्षणिक गुणवत्ता से कोई समझौता करने के पक्ष में नहीं है. यही कारण है कि बोर्ड प्रतिभा आंकलन की पहले से चली आ रही पद्धति को बदलना नहीं चाहता है. अटेम्प्ट्स की संख्या 3 किए जाने से शैक्षणिक गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना थी. आईआईटी संस्थानों की अंतरराष्ट्रीय ब्रांड वैल्यू को इस प्रतिकूलता से बचाना जरूरी था. आईआईटी संस्थानों की ब्रांड वैल्यू सालों से कायम उसकी उत्कृष्ट शैक्षणिक गुणवत्ता के कारण ही है. ऐसे में प्रतिभा आंकलन की पद्धति में शिथिलता घातक हो सकती थी.
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एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा का मानना है कि आईआईटी संस्थानों से पढ़कर निकले ग्रेजुएट इंजीनियर्स से राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उच्च कोटि के मानक स्तर स्थापित किए जाने की आशा रहती है. ये ग्रेजुएट इंजीनियर्स अपने प्रतिद्वंदियों से ज्यादा बेहतर माने जाते हैं. तकनीक के क्षेत्र में नए पायदान स्थापित करते हैं. इनकी तकनीकी व नेतृत्व क्षमता भी प्रभावशाली होती है. यही कारण है कि विश्व में इनकी काबिलियत का डंका बजता है, इसीलिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया को वापस बदला गया है.
मेडिकल प्रवेश परीक्षा में भी लागू हो अटेम्प्ट : देव शर्मा का मानना है कि इंजीनियर की तरह डॉक्टर की भूमिका भी समाज में महत्वपूर्ण है. ऐसे में मेडिकल संस्थानों में प्रवेश की प्रक्रिया का भी गुणवत्तापरक होना जरूरी है. एमबीबीएस कोर्स में प्रवेश के लिए नीट यूजी परीक्षा के आंकलन पद्धति में भी वर्तमान समय में सकारात्मक बदलाव किए जाने की जरूरत है. शैक्षणिक बदलाव के दौरान यह सही समय है, जब नीट-यूजी परीक्षा में शामिल होने के लिए अटेम्प्ट्स की संख्या भी सीमित की जाए. यह साफ तौर पर असीमित अटेम्प्ट्स की उपलब्धता के कारण चयन प्रक्रिया आसान होती है. कई सालों पहले एम्स की एमबीबीएस सीटों पर प्रवेश के लिए अलग प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जाता था. प्रवेश परीक्षा की पात्रता शर्तें व प्रश्नपत्र की गुणवत्ता नीट यूजी प्रवेश परीक्षा से अलग भी थी और बेहतर भी. आज के समय में फिर से एम्स को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर स्थिति में स्थापित करने के लिए बेहतर टैलेंट का चयन किए जाने की आवश्यकता है. इस चयन के लिए एक उच्च गुणवत्ता की प्रतिभा आंकलन परीक्षा की आवश्यकता है.