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उत्तराखंड के लोगों की कुल देवी की राज यात्रा पहुंची पुष्कर, लोगों ने किया दर्शन - Raj Yatra of Maa Nanda Devi

उत्तराखंड के लोगों की कुलदेवी मां नन्दा देवी की राज यात्रा जोधपुर से देर रात पुष्कर पहुंची, जहां पर्वतीय समाज की ओर से यात्रा का स्वागत किया गया. उत्तराखंड आश्रम में यात्रा के विश्राम के बाद आज शुक्रवार को पुष्कर में शोभायात्रा निकाली गई.

RAJ YATRA OF MAA NANDA DEVI
पुष्कर में नंदा देवी की शोभायात्रा (ETV bharat PUSHKAR)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 30, 2024, 6:52 PM IST

पुष्कर में नंदा देवी की शोभायात्रा (ETV bharat PUSHKAR)

अजमेर : माता नन्दा देवी उत्तराखंड के लोगों की कुलदेवी है. उत्तराखंड राज्य से लाखों लोग देश के कोने-कोने में बसे हुए है. ऐसे में उन्हें कुलदेवी के दर्शन करवाने के उद्देश्य से डोला ( राज यात्रा ) निकाली जाती है. यह राज यात्रा 2800 किलोमीटर का सफर तय करती है. गुरुवार देर शाम को राज यात्रा पुष्कर पहुंची. यहां उत्तराखंड के प्रवासियों ने यात्रा का भव्य स्वागत किया. शुक्रवार को राज यात्रा में शामिल डोले की शोभायात्रा निकाली गई. उत्तराखंड आश्रम में डोला दर्शन के लिए रखा गया, जहां बड़ी संख्या में लोग दर्शनों के लिए आ रहे हैं.

पर्वतीय समाज अजमेर के अध्यक्ष डॉ. एसएस तड़ागी ने बताया कि उत्तराखंड के लोगों की कुलदेवी मां नन्दा देवी की राज यात्रा जोधपुर से देर रात को पुष्कर पहुंची, जहां पर्वतीय समाज की ओर से यात्रा का स्वागत किया गया. उत्तराखंड आश्रम में विश्राम के बाद शुक्रवार को पुष्कर में शोभायात्रा निकाली गई. शोभा यात्रा उत्तराखंड आश्रम से गऊघाट, बद्री घाट, कुर्वाचल घाट, वराह घाट चौक, गौतम आश्रम होते हुए वापस आश्रम पहुंचने पर संपन्न हुई. डॉ. तड़ागी ने बताया कि इससे पहले डोले को पूर्वांचल घाट पर उत्तराखंड के पुश्तैनी तीर्थ पुरोहित पंडित सतीश चंद्र तिवाड़ी ने पूजा अर्चना करवाई. इसके बाद उत्तराखंड आश्रम में डोले को भक्तों के दर्शनार्थ रखा गया. उन्होंने बताया कि शाम को डोला (राज यात्रा ) जयपुर के लिए विदा की जाएगी.

इसे भी पढ़ें : पुष्कर में है विश्व की सबसे प्राचीन भगवान विष्णु की मूर्ति, यहीं विष्णु की नाभि से ब्रह्मा जी का हुआ था उद्भव - Kanbaye Temple pushkar

मुंबई और वडोदरा तक जाती है यात्रा : उन्होंने बताया कि राज यात्रा प्रतिवर्ष करुड़ गांव से शुरू होकर मुंबई, वसई, अंकलेश्वर, वडोदरा, उदयपुर, जोधपुर, पुष्कर से जयपुर, फरीदाबाद, यमुनानगर, चंडीगढ़ होते हुए करीब 2800 किलोमीटर का सफर तय करते हुए वेदनी कुंड पहुंचती है. डॉ. तड़ागी बताते हैं कि माता नन्दा देवी में उत्तराखंड के लोगों की गहरी आस्था है. उत्तराखंड से पलायन कर देश के कोने-कोने में रह रह लोगों को दर्शन करवाने के साथ-साथ यात्रा का मकसद उन्हें अपनी परंपरा और संस्कृति से भी जोड़े रखना है.

12 साल पहले शुरू की गई थी परंपरा : उन्होंने बताया कि माता नंदा देवी गढ़वाल के राजाओं के साथ कुमाऊं के राजवंश की भी इष्ट देवी है, जिससे इन्हें राजेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है. नंदा देवी के ननिहाल देवराडा गांव के पंडित धनी प्रसाद देवराड़ी ने उत्तराखंड से पलायन कर चुके प्रवासियों की नई पीढ़ी को उत्तराखंड की सभ्यता और संस्कृति से रूबरू कराने और माता नंदा देवी का आशीर्वाद भक्तों को दिलाने के उद्देश्य से विगत 12 वर्ष पहले यह राज यात्रा शुरू की थी.

पुष्कर में नंदा देवी की शोभायात्रा (ETV bharat PUSHKAR)

अजमेर : माता नन्दा देवी उत्तराखंड के लोगों की कुलदेवी है. उत्तराखंड राज्य से लाखों लोग देश के कोने-कोने में बसे हुए है. ऐसे में उन्हें कुलदेवी के दर्शन करवाने के उद्देश्य से डोला ( राज यात्रा ) निकाली जाती है. यह राज यात्रा 2800 किलोमीटर का सफर तय करती है. गुरुवार देर शाम को राज यात्रा पुष्कर पहुंची. यहां उत्तराखंड के प्रवासियों ने यात्रा का भव्य स्वागत किया. शुक्रवार को राज यात्रा में शामिल डोले की शोभायात्रा निकाली गई. उत्तराखंड आश्रम में डोला दर्शन के लिए रखा गया, जहां बड़ी संख्या में लोग दर्शनों के लिए आ रहे हैं.

पर्वतीय समाज अजमेर के अध्यक्ष डॉ. एसएस तड़ागी ने बताया कि उत्तराखंड के लोगों की कुलदेवी मां नन्दा देवी की राज यात्रा जोधपुर से देर रात को पुष्कर पहुंची, जहां पर्वतीय समाज की ओर से यात्रा का स्वागत किया गया. उत्तराखंड आश्रम में विश्राम के बाद शुक्रवार को पुष्कर में शोभायात्रा निकाली गई. शोभा यात्रा उत्तराखंड आश्रम से गऊघाट, बद्री घाट, कुर्वाचल घाट, वराह घाट चौक, गौतम आश्रम होते हुए वापस आश्रम पहुंचने पर संपन्न हुई. डॉ. तड़ागी ने बताया कि इससे पहले डोले को पूर्वांचल घाट पर उत्तराखंड के पुश्तैनी तीर्थ पुरोहित पंडित सतीश चंद्र तिवाड़ी ने पूजा अर्चना करवाई. इसके बाद उत्तराखंड आश्रम में डोले को भक्तों के दर्शनार्थ रखा गया. उन्होंने बताया कि शाम को डोला (राज यात्रा ) जयपुर के लिए विदा की जाएगी.

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मुंबई और वडोदरा तक जाती है यात्रा : उन्होंने बताया कि राज यात्रा प्रतिवर्ष करुड़ गांव से शुरू होकर मुंबई, वसई, अंकलेश्वर, वडोदरा, उदयपुर, जोधपुर, पुष्कर से जयपुर, फरीदाबाद, यमुनानगर, चंडीगढ़ होते हुए करीब 2800 किलोमीटर का सफर तय करते हुए वेदनी कुंड पहुंचती है. डॉ. तड़ागी बताते हैं कि माता नन्दा देवी में उत्तराखंड के लोगों की गहरी आस्था है. उत्तराखंड से पलायन कर देश के कोने-कोने में रह रह लोगों को दर्शन करवाने के साथ-साथ यात्रा का मकसद उन्हें अपनी परंपरा और संस्कृति से भी जोड़े रखना है.

12 साल पहले शुरू की गई थी परंपरा : उन्होंने बताया कि माता नंदा देवी गढ़वाल के राजाओं के साथ कुमाऊं के राजवंश की भी इष्ट देवी है, जिससे इन्हें राजेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है. नंदा देवी के ननिहाल देवराडा गांव के पंडित धनी प्रसाद देवराड़ी ने उत्तराखंड से पलायन कर चुके प्रवासियों की नई पीढ़ी को उत्तराखंड की सभ्यता और संस्कृति से रूबरू कराने और माता नंदा देवी का आशीर्वाद भक्तों को दिलाने के उद्देश्य से विगत 12 वर्ष पहले यह राज यात्रा शुरू की थी.

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