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18 साल से लम्बित फौजदारी मामले को कोर्ट ने किया खारिज - Rajasthan High Court - RAJASTHAN HIGH COURT

राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस अरूण मोंगा की एकलपीठ ने भ्रष्टाचार मामले में 18 साल से लम्बित मुकदमे में आरोपी के 100 साल के पिता व 96 साल की माता के खिलाफ आरोप पत्र को खारिज कर दिया है.

कोर्ट ने किया खारिज
कोर्ट ने किया खारिज (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 19, 2024, 7:28 AM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस अरूण मोंगा की एकलपीठ ने भ्रष्टाचार मामले में 18 साल से लम्बित मुकदमे में आरोपी के 100 साल के पिता व 96 साल की माता के खिलाफ आरोप पत्र को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि "जीवन के अंतिम चरण में पहुंच चुके व्यक्तियों को बिना किसी ठोस आरोप के लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए मजबूर करना क्रूर और अन्यायपूर्ण है।" अधिवक्ता गजेन्द्रसिंह बुटाटी ने आरोपी रामलाल व अन्य की ओर से विविध आपराधिक याचिका पेश की. जिसमें बताया गया कि 19 अप्रैल 2006 में भ्रष्टाचार निरोध अधिनियम के अन्तर्गत तत्कालीन डेवलपमेंट ऑफिसर रामलाल पाटीदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. बाद में इस मामले में 2014 में एसीबी ने चार्जशीट पेश करते हुए रामलाल के पिता,माता व पत्नी को भी अभियुक्त बनाया.

पढ़ें: क्लेम अपील में पिता-पुत्र में 6 साल का अंतर, कोर्ट ने अधिकरणों को मुकदमें के शुरू में ही उम्र सुनिश्चित करने के दिए आदेश

अधिवक्ता बुटाटी ने बताया कि आरोप पत्र दाखिल करने के बाद मामला आज तक एक इंच भी आगे नही बढा है. ज्यों की त्यों स्थिति में ही लम्बित है अभी तक चार्ज बहस भी नही हुई है. याचिकाकर्ताओं को त्वरित सुनवाई का मौलिक अधिकार का हनन हो रहा है. परीक्षण में अभियुक्तगणों की ओर से कोई देरी नही की गई. रामलाल के पिता व माता की उम्र करीब 100 व 96 साल है. वे अपना पक्ष रखने के लिए अपने स्वास्थ्य कारणों के चलते असमर्थ हैं. हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के दौरान लोक अभियोजक व एसीबी के पक्ष को सुना. कोर्ट ने सुनवाई के बाद रामलाल व उसके पिता,माता व पत्नी के त्वरित सुनवाई के अधिकार का हनन हुआ है. अभियोजन की ओर से 2014 में आरोप पत्र पेश करने के बाद सिर्फ केवल तारीख पर तारीख ली गई है जो यह दर्शाता है कि इनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नही है. याचिकाकर्ता के जीवन के कीमती साल केवल लम्बित मामले की पैरवी मे ही गुजर गए. कोर्ट ने रामलाल के पिता,माता व पत्नी के खिलाफ एफआईआर व आरोप पत्र खारिज करने का आदेश दिया है.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस अरूण मोंगा की एकलपीठ ने भ्रष्टाचार मामले में 18 साल से लम्बित मुकदमे में आरोपी के 100 साल के पिता व 96 साल की माता के खिलाफ आरोप पत्र को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि "जीवन के अंतिम चरण में पहुंच चुके व्यक्तियों को बिना किसी ठोस आरोप के लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए मजबूर करना क्रूर और अन्यायपूर्ण है।" अधिवक्ता गजेन्द्रसिंह बुटाटी ने आरोपी रामलाल व अन्य की ओर से विविध आपराधिक याचिका पेश की. जिसमें बताया गया कि 19 अप्रैल 2006 में भ्रष्टाचार निरोध अधिनियम के अन्तर्गत तत्कालीन डेवलपमेंट ऑफिसर रामलाल पाटीदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. बाद में इस मामले में 2014 में एसीबी ने चार्जशीट पेश करते हुए रामलाल के पिता,माता व पत्नी को भी अभियुक्त बनाया.

पढ़ें: क्लेम अपील में पिता-पुत्र में 6 साल का अंतर, कोर्ट ने अधिकरणों को मुकदमें के शुरू में ही उम्र सुनिश्चित करने के दिए आदेश

अधिवक्ता बुटाटी ने बताया कि आरोप पत्र दाखिल करने के बाद मामला आज तक एक इंच भी आगे नही बढा है. ज्यों की त्यों स्थिति में ही लम्बित है अभी तक चार्ज बहस भी नही हुई है. याचिकाकर्ताओं को त्वरित सुनवाई का मौलिक अधिकार का हनन हो रहा है. परीक्षण में अभियुक्तगणों की ओर से कोई देरी नही की गई. रामलाल के पिता व माता की उम्र करीब 100 व 96 साल है. वे अपना पक्ष रखने के लिए अपने स्वास्थ्य कारणों के चलते असमर्थ हैं. हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के दौरान लोक अभियोजक व एसीबी के पक्ष को सुना. कोर्ट ने सुनवाई के बाद रामलाल व उसके पिता,माता व पत्नी के त्वरित सुनवाई के अधिकार का हनन हुआ है. अभियोजन की ओर से 2014 में आरोप पत्र पेश करने के बाद सिर्फ केवल तारीख पर तारीख ली गई है जो यह दर्शाता है कि इनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नही है. याचिकाकर्ता के जीवन के कीमती साल केवल लम्बित मामले की पैरवी मे ही गुजर गए. कोर्ट ने रामलाल के पिता,माता व पत्नी के खिलाफ एफआईआर व आरोप पत्र खारिज करने का आदेश दिया है.

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