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लखनऊ में बाघ की दहशत बरकरार, नीलगाय व सांड़ के बाद अब बछड़े को बनाया शिकार - LUCKNOW TIGER ROARING IN VILLAGE

रहमान खेड़ा जंगल में बाघ का बना हुआ है आतंक. इलाके को बनाया गया नो गो जोन.

लखनऊ में बाघ की दहशत.
लखनऊ में बाघ की दहशत. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 24, 2024, 8:45 AM IST

लखनऊ: राजधानी के रहमान खेड़ा के जंगल में बाघ की चहलकदमी लगातार बरकरार है. बाघ की खोजबीन में 35 टीमें लगी हुई हैं. तीन दिनों से बाघ की गतिविधि जंगल तक ही सीमित है, वह गांव की ओर नहीं गया है. जंगल के सीमवर्ती गांवों में ग्रामीण भय के साये मे जीवन यापन कर रहे हैं. घरों से निकलने पर ग्रामीण अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. वहीं, बाघ जंगल में लागतार शिकार कर रहा है. पहले उसने नीलगाय का शिकार किया, फिर शनिवार को सांड़ पर हमला किया. अब रविवार रात बाघ ने पिंजरे के पास बंधे पड़वे (भैंस के बच्चे) पर हमला कर जंगल में घसीट ले गया.

तीन दिनों से गांवों की तरफ नहीं पहुंचा बाघ: सोमवार काकोरी क्षेत्र के अंतर्गत उलरापुर गांव के करीब रहमान खेड़ा जंगल मे हर्बल अशोक वाटिका में कार्यरत संविदाकर्मी संजय यादव अन्य मजदूरों के साथ निराई का कार्य कर रहे थे, तभी बाघ रहमान खेड़ा क्रॉसिंग की तरफ जाता दिखाई दिया. वन्य जीव को देखकर सभी मजदूर कमरे में छिप गये. घटना की जानकारी वन विभाग को दी गई. मौके पर पहुंचे एसडीओ हरिलाल अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंच मजदूरों से जानकारी करते हुए पदचिन्हों को देख बाघ के होने की जानकारी दी. जबकि बीते तीन दिनों से बाघ की गतिविधि गांवों की तरफ नहीं मिली है. अब वह जंगल में ही आजाद टहल रहा है. जंगल में बाघ की गतिविधि वन विभाग और संस्थान के कैमरों में कैद हुई है.

पूरे मामले पर डीएफओ सितांशु पांडे ने बताया कि बाघ को पकड़ने के लिए पिंजरे के पास पड़वा बांधा गया था. रविवार रात करीब 200 मीटर दूर जंगल की तरफ बाघ पड़वे पर हमला कर घसीट ले गया. डीएफओ ने बताया कि चौथे ब्लॉक में रखे पिंजरे और वॉच टॉवर के आसपास का इलाका डेंजर जोन घोषित कर दिया गया है. इसी इलाके में बाघ की गतिविधियां सबसे ज्यादा पाई गई हैं. इसके साथ ही इलाके को नो गो जोन बनाया गया है. वॉच टॉवर से कानपुर प्राणी उद्यान के डॉक्टर नासिर निगरानी कर रहे हैं.

डीएफओ डॉ. सितांशु पाण्डेय ने बताया कि तीन दिनों से बाघ ट्रैप कैमरे में कैद हो रहा था. जिसके बाद पिंजरे के बाहर पड़वे को बांधा गया था, जिसका बाघ ने शिकार कर लिया. शिकार करते हुए बाघ कैमरे में कैद हुआ था. पिंजरे के पास दूसरा पड़वा बांधा गया है, ताकि जब बाघ शिकार करने आए तो उसको ट्रेंकुलाइज किया जा सके. बाघ की दहशत ग्रामीणों में लगातार बनी हुई है. तीन दिनों से बाघ गांवों की तरफ नहीं पहुंचा है. बाघ जंगल मे रहकर ही लगातार शिकार कर रहा हैं.

लखनऊ: राजधानी के रहमान खेड़ा के जंगल में बाघ की चहलकदमी लगातार बरकरार है. बाघ की खोजबीन में 35 टीमें लगी हुई हैं. तीन दिनों से बाघ की गतिविधि जंगल तक ही सीमित है, वह गांव की ओर नहीं गया है. जंगल के सीमवर्ती गांवों में ग्रामीण भय के साये मे जीवन यापन कर रहे हैं. घरों से निकलने पर ग्रामीण अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. वहीं, बाघ जंगल में लागतार शिकार कर रहा है. पहले उसने नीलगाय का शिकार किया, फिर शनिवार को सांड़ पर हमला किया. अब रविवार रात बाघ ने पिंजरे के पास बंधे पड़वे (भैंस के बच्चे) पर हमला कर जंगल में घसीट ले गया.

तीन दिनों से गांवों की तरफ नहीं पहुंचा बाघ: सोमवार काकोरी क्षेत्र के अंतर्गत उलरापुर गांव के करीब रहमान खेड़ा जंगल मे हर्बल अशोक वाटिका में कार्यरत संविदाकर्मी संजय यादव अन्य मजदूरों के साथ निराई का कार्य कर रहे थे, तभी बाघ रहमान खेड़ा क्रॉसिंग की तरफ जाता दिखाई दिया. वन्य जीव को देखकर सभी मजदूर कमरे में छिप गये. घटना की जानकारी वन विभाग को दी गई. मौके पर पहुंचे एसडीओ हरिलाल अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंच मजदूरों से जानकारी करते हुए पदचिन्हों को देख बाघ के होने की जानकारी दी. जबकि बीते तीन दिनों से बाघ की गतिविधि गांवों की तरफ नहीं मिली है. अब वह जंगल में ही आजाद टहल रहा है. जंगल में बाघ की गतिविधि वन विभाग और संस्थान के कैमरों में कैद हुई है.

पूरे मामले पर डीएफओ सितांशु पांडे ने बताया कि बाघ को पकड़ने के लिए पिंजरे के पास पड़वा बांधा गया था. रविवार रात करीब 200 मीटर दूर जंगल की तरफ बाघ पड़वे पर हमला कर घसीट ले गया. डीएफओ ने बताया कि चौथे ब्लॉक में रखे पिंजरे और वॉच टॉवर के आसपास का इलाका डेंजर जोन घोषित कर दिया गया है. इसी इलाके में बाघ की गतिविधियां सबसे ज्यादा पाई गई हैं. इसके साथ ही इलाके को नो गो जोन बनाया गया है. वॉच टॉवर से कानपुर प्राणी उद्यान के डॉक्टर नासिर निगरानी कर रहे हैं.

डीएफओ डॉ. सितांशु पाण्डेय ने बताया कि तीन दिनों से बाघ ट्रैप कैमरे में कैद हो रहा था. जिसके बाद पिंजरे के बाहर पड़वे को बांधा गया था, जिसका बाघ ने शिकार कर लिया. शिकार करते हुए बाघ कैमरे में कैद हुआ था. पिंजरे के पास दूसरा पड़वा बांधा गया है, ताकि जब बाघ शिकार करने आए तो उसको ट्रेंकुलाइज किया जा सके. बाघ की दहशत ग्रामीणों में लगातार बनी हुई है. तीन दिनों से बाघ गांवों की तरफ नहीं पहुंचा है. बाघ जंगल मे रहकर ही लगातार शिकार कर रहा हैं.

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