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'टीचर्स डे' पर शिक्षकों का सरकारी सम्मान से परहेज, ये है पूरा मामला - Teachers Day 2024

Uttarakhand Principal post recruitment case सरकारी स्कूलों में "टीचर्स डे" पर शिक्षकों की नाराजगी सरकार पर भारी पड़ सकती है. शिक्षक संगठन ने "टीचर्स डे" पर सरकारी सम्मान के बहिष्कार का निर्णय लिया है. मामला प्रधानाचार्य पद पर भर्ती से जुड़ा है, जिसको लेकर शिक्षकों ने सरकार के खिलाफ लड़ाई का ऐलान भी कर दिया है. जानिए क्या है मामला.

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सरकार के खिलाफ गुस्से में शिक्षक! (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 4, 2024, 7:55 PM IST

देहरादून: शिक्षा विभाग "टीचर्स डे" को धूमधाम से मनाने की तैयारी कर रहा है, तो शिक्षक संगठनों ने सरकार के इस इरादे पर पानी फेरने का मन बनाया हुआ है. मामला प्रधानाचार्य पद पर भर्ती का है. और इसके लिए शिक्षक काफी समय से लामबंद भी दिखाई दे रहे हैं.

खास बात यह है कि "टीचर्स डे" पर कई शिक्षकों को सम्मानित करने का कार्यक्रम तय किया गया है, लेकिन शिक्षक संगठनों ने ऐसे कार्यक्रमों से परहेज करने की बात कही है. उल्टा शिक्षकों ने काली पट्टी बांधकर ऐसे कार्यक्रमों का विरोध करने तक की बात कह दी है. शिक्षा विभाग में यह पूरी स्थिति प्रधानाचार्य पद पर तैनाती से जुड़ी हुई है.

प्रधानाचार्य पद पर भर्ती के खिलाफ शिक्षक: दरअसल, उत्तराखंड सरकार ने राज्य में प्रधानाचार्य पद पर तैनाती के लिए 50 प्रतिशत पद भर्ती के जरिए भरे जाने का निर्णय लिया है, जबकि बाकी 50 प्रतिशत पद प्रमोशन के जरिए भरे जाएंगे. शिक्षकों का कहना है कि प्रधानाचार्य के शत प्रतिशत पदों को प्रमोशन के जरिए ही भरा जाए. बस इसी बात को लेकर शिक्षक सरकार के सामने आ गए हैं. और उन्होंने अब शिक्षक दिवस पर सरकार के कार्यक्रम तक का बहिष्कार करने का फैसला ले लिया है.

teachers day
शिक्षकों ने सरकारी सम्मान का विरोध करने का ऐलान किया. (ETV Bharat)

राजकीय शिक्षक संघ के अध्यक्ष राम सिंह की माने तो सरकार शिक्षकों का यह कैसा सम्मान कर रही है, जहां न तो कोई प्रमोशन है और न ही सुविधा. शिक्षक संघ के अध्यक्ष ने कहा कि टीचर्स डे पर अब शिक्षक न तो सरकारी सम्मान लेंगे और न ही सरकार को इसमें सहयोग करेंगे.

शिक्षा विभाग का बयान: उधर दूसरी तरफ शिक्षा महकमा शिक्षक संगठन के ठीक उलट बयान जारी कर रहा है. बताया गया कि उत्तराखंड में प्रधानाचार्य के 80% पद खाली पड़े हुए हैं, जिसमें केवल 30 से 35% शिक्षक ही एलिजिबल है. उसके बावजूद सरकार ने 50% प्रमोशन के लिए पदों को रखा है, जबकि 50% पर ही भर्ती किए जाने का सरकार ने निर्णय लिया है.

शिक्षक संगठनों की आपसी लड़ाई: इस दौरान शिक्षक संगठनों की आपसी लड़ाई का भी जिक्र किया गया, जिसमें कहा गया कि शिक्षकों की सीनियरिटी का मामला कोर्ट में लंबित है और सरकार द्वारा 2 साल का वक्त भी इन शिक्षक संगठनों को दिया गया, ताकि आपसी सहमति से यह मामला कोर्ट से बाहर समझौता करते हुए फाइनल सीनियरिटी लिस्ट तक पहुंच सके. लेकिन शिक्षक संगठनों ने इसमें कामयाबी हासिल नहीं की और इसके बाद सरकार ने लोक सेवा आयोग के माध्यम से विभागीय स्क्रीनिंग के जरिए प्रधानाचार्य के पद पर भर्ती करवाने का निर्णय लिया है.

शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत की प्रतिक्रिया: उत्तराखंड सरकार में शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि प्रधानाचार्य पद पर भर्ती का यह फैसला सरकार का है और यह निर्णय कैबिनेट में लिया गया है. शिक्षकों की मांग के लिए वह उत्तराखंड के विद्यालयों को खाली नहीं छोड़ सकते. ऐसे में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने के लिए जो फैसला लिया जाना चाहिए था, उसी पर सरकार ने अंतिम निर्णय लिया है.

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देहरादून: शिक्षा विभाग "टीचर्स डे" को धूमधाम से मनाने की तैयारी कर रहा है, तो शिक्षक संगठनों ने सरकार के इस इरादे पर पानी फेरने का मन बनाया हुआ है. मामला प्रधानाचार्य पद पर भर्ती का है. और इसके लिए शिक्षक काफी समय से लामबंद भी दिखाई दे रहे हैं.

खास बात यह है कि "टीचर्स डे" पर कई शिक्षकों को सम्मानित करने का कार्यक्रम तय किया गया है, लेकिन शिक्षक संगठनों ने ऐसे कार्यक्रमों से परहेज करने की बात कही है. उल्टा शिक्षकों ने काली पट्टी बांधकर ऐसे कार्यक्रमों का विरोध करने तक की बात कह दी है. शिक्षा विभाग में यह पूरी स्थिति प्रधानाचार्य पद पर तैनाती से जुड़ी हुई है.

प्रधानाचार्य पद पर भर्ती के खिलाफ शिक्षक: दरअसल, उत्तराखंड सरकार ने राज्य में प्रधानाचार्य पद पर तैनाती के लिए 50 प्रतिशत पद भर्ती के जरिए भरे जाने का निर्णय लिया है, जबकि बाकी 50 प्रतिशत पद प्रमोशन के जरिए भरे जाएंगे. शिक्षकों का कहना है कि प्रधानाचार्य के शत प्रतिशत पदों को प्रमोशन के जरिए ही भरा जाए. बस इसी बात को लेकर शिक्षक सरकार के सामने आ गए हैं. और उन्होंने अब शिक्षक दिवस पर सरकार के कार्यक्रम तक का बहिष्कार करने का फैसला ले लिया है.

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शिक्षकों ने सरकारी सम्मान का विरोध करने का ऐलान किया. (ETV Bharat)

राजकीय शिक्षक संघ के अध्यक्ष राम सिंह की माने तो सरकार शिक्षकों का यह कैसा सम्मान कर रही है, जहां न तो कोई प्रमोशन है और न ही सुविधा. शिक्षक संघ के अध्यक्ष ने कहा कि टीचर्स डे पर अब शिक्षक न तो सरकारी सम्मान लेंगे और न ही सरकार को इसमें सहयोग करेंगे.

शिक्षा विभाग का बयान: उधर दूसरी तरफ शिक्षा महकमा शिक्षक संगठन के ठीक उलट बयान जारी कर रहा है. बताया गया कि उत्तराखंड में प्रधानाचार्य के 80% पद खाली पड़े हुए हैं, जिसमें केवल 30 से 35% शिक्षक ही एलिजिबल है. उसके बावजूद सरकार ने 50% प्रमोशन के लिए पदों को रखा है, जबकि 50% पर ही भर्ती किए जाने का सरकार ने निर्णय लिया है.

शिक्षक संगठनों की आपसी लड़ाई: इस दौरान शिक्षक संगठनों की आपसी लड़ाई का भी जिक्र किया गया, जिसमें कहा गया कि शिक्षकों की सीनियरिटी का मामला कोर्ट में लंबित है और सरकार द्वारा 2 साल का वक्त भी इन शिक्षक संगठनों को दिया गया, ताकि आपसी सहमति से यह मामला कोर्ट से बाहर समझौता करते हुए फाइनल सीनियरिटी लिस्ट तक पहुंच सके. लेकिन शिक्षक संगठनों ने इसमें कामयाबी हासिल नहीं की और इसके बाद सरकार ने लोक सेवा आयोग के माध्यम से विभागीय स्क्रीनिंग के जरिए प्रधानाचार्य के पद पर भर्ती करवाने का निर्णय लिया है.

शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत की प्रतिक्रिया: उत्तराखंड सरकार में शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि प्रधानाचार्य पद पर भर्ती का यह फैसला सरकार का है और यह निर्णय कैबिनेट में लिया गया है. शिक्षकों की मांग के लिए वह उत्तराखंड के विद्यालयों को खाली नहीं छोड़ सकते. ऐसे में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने के लिए जो फैसला लिया जाना चाहिए था, उसी पर सरकार ने अंतिम निर्णय लिया है.

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