जबलपुर: सर्विस रिकॉर्ड के आधार पर पांच साल पहले जबरन सेवानिवृत्त किए जाने को चुनौती देते हुए एक शिक्षक ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन ने पाया कि बिना किसी दस्तावेज प्रमाणिता के सर्विस रिकॉर्ड में गलत जन्म तिथि अंकित की गई है. युगलपीठ ने अपीलकर्ता को शत-प्रतिशत वेतन के साथ बहाल किए जाने के आदेश जारी किए हैं.
शिक्षक ने अपनी अपील में कहा था कि उन्हें वास्तविक उम्र से पांच साल पहले जबरन किया गया सेवानिवृत्त
पन्ना निवासी हाकम सिंह गौड़ की तरफ से दाखिल की गई अर्जी में कहा गया था कि साल 1988 में वह सहायक प्राध्यापक के रूप में नियुक्ति हुए थे. साल 1994 में उन्हें पदोन्नति देते हुए वार्डन बना दिया गया. सर्विस रिकॉर्ड के आधार पर उन्हें जून 2023 में सेवानिवृत्त कर दिया गया. अपील में कहा गया था कि उन्हें वास्तविक उम्र से पांच साल पहले जबरन सेवानिवृत्त किया गया है. जिसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.
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याचिकाकर्ता की तरफ से यह तर्क दिया गया था कि सर्विस रिकॉर्ड में सुधार के लिए उसने विभागीय स्तर पर आवेदन दिया था. शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रायपुरा जिला पन्ना के प्राचार्य ने उनकी जन्म तिथि के पुष्टि के लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल को पत्र लिखा था. माध्यमिक शिक्षा मंडल की तरफ से बताया गया था कि उनकी जन्म तिथि 1 जुलाई 1965 है. इस संबंध में प्राचार्य द्वारा जिला संगठन जनजाति कार्य विभाग को सूचित किया गया था. इसके बावजूद उन्हें नौकरी के पांच साल शेष रहते उन्हें सेवानिवृत्त कर दिया गया.
कोर्ट ने कहा, यह सर्विस रिकॉर्ड में बिना किसी दस्तावेज के अपीलकर्ता की जन्म तिथि दर्ज करने की गलती का मामला
सरकार की तरफ से तर्क दिया गया कि अपीलकर्ता ने सेवा के अंतिम समय में जन्म तिथि में सुधार का आवेदन किया था. इसलिए वह किसी प्रकार की राहत पाने का हकदार नहीं हैं. युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि यह मामला सेवा के अंतिम समय में सर्विस रिकॉर्ड में दर्ज जन्म तिथि के सुधार का नहीं है. सर्विस रिकॉर्ड में बिना किसी दस्तावेज के अपीलकर्ता की जन्म तिथि दर्ज करने की गलती का है. शैक्षणिक दस्तावेज में उनकी जन्मतिथि का उल्लेख है. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद शिक्षक के पक्ष में फैसला दिया.