जयपुर : बाल विवाह पर प्रभावी रूप से अंकुश लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सभी विभागों को विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए हैं. इससे बाल विवाह की रोकथाम के लिए काम करने वाले संगठनों में उत्साह है. 'बाल विवाह मुक्त भारत' अलायंस से जुड़े संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है. इसके साथ ही देश से 2030 तक बाल विवाह के उन्मूलन का संकल्प लिया. उन्होंने यह भी कहा कि इसका आगाज राजस्थान से ही किया जाएगा, क्योंकि राजस्थान में भी बाल विवाह की गंभीर समस्या है.
'बाल विवाह मुक्त भारत' अलायंस के साथ जस्ट राइट फॉर चिन्ड्रन अलायंस, एसोसिएशन फॉर वालंटरी एक्शन और गायत्री सेवा संस्थान जैसे संगठन सोमवार को जयपुर में एकजुट हुए, जहां बाल विवाह के उन्मूलन के लिए रणनीति बनाई. सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश पर सरकारी विभागों, समाज के जागरूक लोगों और धर्म गुरुओं को साथ लेकर बाल विवाह की समस्या को दूर करने का भी संकल्प लिया गया.
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सब साथ आकर मिटाएं इस कलंक को : जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन राजस्थान के संयोजक डॉ. शैलेंद्र पंड्या ने बताया कि राजस्थान में निश्चित रूप से बाल अधिकारों के संरक्षण में बाल विवाह एक बड़ा मुद्दा है. यह 25.4 प्रतिशत बाल विवाह की संभावना वाला प्रदेश है. बड़ी चिंता यह है कि यहां बाल विवाह को सामाजिक स्वीकार्यता है. हम अपने अलायंस के साथ बार-बार यह आवाज उठा रहे हैं कि यह बाल विवाह नहीं, बल्कि बच्चों के साथ होने वाली ज्यादती है. हम प्रयास कर रहे हैं कि विभिन्न संस्थाएं, सरकारी विभाग सब एक साथ आएं और इस कलंक को प्रदेश से मिटाने की दिशा में काम करें.
चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा में 40% से ज्यादा बाल विवाह : बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के कन्वीनर राजीव भारद्वाज का कहना है कि बाल विवाह को लेकर राजस्थान में काफी चुनौतियां हैं. यहां बाल विवाह को सामाजिक स्वीकृति है. बाल विवाह के उन्मूलन के लिए काम कर रहे तमाम संगठनों ने देश-प्रदेश को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं. भीलवाड़ा में 41 फीसदी, चित्तौड़गढ़ में यह आंकड़ा 42 फीसदी है. प्रदेश के करीब 45 जिलों में बाल विवाह बड़ी संख्या में होते हैं. यहां हर जिले में 25-30 प्रतिशत बाल विवाह आम बात है. प्रदेश के 45 जिलों में 30 संस्थाएं बाल विवाह के उन्मूलन की दिशा में काम कर रही हैं.
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आखा तीज पर रुकवाए बड़ी संख्या में बाल विवाह : एसोसिएशन फॉर वॉलन्टरी एक्शन (बचपन बचाओ आंदोलन) के वरिष्ठ निदेशक मनीष शर्मा ने बताया कि राजस्थान में बाल विवाह का आंकड़ा काफी बड़ा है. आखा तीज पर राजस्थान में बहुत बड़ी संख्या में बाल विवाह होते हैं. हमारे अलायंस ने मई में हाईकोर्ट में एक रिट लगाई थी. उस पर कोर्ट का बड़ा फैसला आया और अक्षय तृतीया पर बाल विवाह के आंकड़े में कमी आई. अब सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है कि सभी राज्यों से लेकर जिलों तक बाल विवाह एक गंभीर समस्या है. इसलिए सभी विभागों के लिए विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. हम सभी राज्यों की सरकारों के साथ मिलकर इसकी अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं.
देश को बाल विवाह मुक्त बनाने का आगाज राज्य से : उन्होंने कहा कि हम एक एक्शन प्लान बना रहे हैं. जिसे राजस्थान सरकार के विभागों का पूरा सहयोग मिल रहा है. हमने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर सिरोही करौली और धौलपुर जिलों में शुरुआत की है. सरकार, सिविल सोसायटीज, नागरिक समाज और धर्म गुरुओं के साथ मिलकर 2030 तक राजस्थान और देश को बाल विवाह मुक्त होते हुए देखेंगे. इसके लिए सभी को साथ लेकर काम कर रहे हैं.