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हरियाणा-पंजाब सरकार को प्रदूषण पर "सुप्रीम" फटकार, पूछा - नियम तोड़ने वालों पर नाममात्र का जुर्माना क्यों ?

Supreme Court on Air Pollution : बढ़ते प्रदूषण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है और हरियाणा-पंजाब सरकार को फटकार लगाई है.

Supreme Court reprimands Haryana and Punjab governments in the matter of Air pollution
हरियाणा-पंजाब सरकार को प्रदूषण पर "सुप्रीम" फटकार (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : 2 hours ago

नई दिल्ली/चंडीगढ़ : दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है और इस दौरन सर्वोच्च न्यायालय ने हरियाणा और पंजाब सरकार को प्रदूषण रोकने के उपायों में नाकाम रहने पर फटकार लगाई है.

प्रदूषण पर "सुप्रीम" फटकार : कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण फैलाने के मामलों में इतना कम जुर्माना क्यों लगाया जा रहा है. क्या आप लोगों को प्रदूषण फैलाने के लिए जुर्माना लगा रहे हैं या प्रोत्साहित कर रहे हैं. कोर्ट ने पराली जलाने के मुद्दे पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि प्रदूषण को रोकने में नाकाम रहे अफसरों पर सीधे कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है. उन्हें सिर्फ नोटिस क्यों जारी किया जा रहा है. हरियाणा में 498 मामलों में सिर्फ 93 व्यक्तियों के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज की गई है जिससे साफ है कि कानून का कड़ाई से पालन नहीं किया जा रहा है. इस वजह से ज़िम्मेदार अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट के तीखे सवाल : सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा की ओर से बताया गया कि हर स्तर पर नोडल ऑफिस नियुक्त किए है जिनकी तादाद 5 हजार से भी ज्यादा है. 2021 से इसकी शुरुआत कर दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि अप्रैल से अब तक कितनी एफआईआर दर्ज की गई है जिस पर हरियाणा की ओर से जवाब दिया गया कि प्रदूषण को लेकर 200 मामले दर्ज हुए हैं. पराली जलाने की 400 घटनाओं मे 32 एफआईआर दर्ज की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि कुछ लोगों पर एफआईआर, कुछ लोगों पर जुर्माना, आंख में धूल झोंकने का काम किया जा रहा है. हरियाणा ने जवाब देते हुए कहा कि कुछ लोग ऐसे हैं जो बार-बार अपराध करते हैं. कुछ ऐसे भी हैं जो जुर्माना देने से बचते हैं. हमने दोनों पर कार्रवाई की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें संदेह है. सुप्रीम कोर्ट ने आंकड़ों पर सवाल उठाते हुए कहा कि कम संख्या का मतलब है कि आप इसे रिकॉर्ड पर नहीं ले रहे हैं. आप कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.

केंद्र सरकार को दो हफ्ते का वक्त : सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण को लेकर चिंता जताई और केंद्र सरकार को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (EPA) के तहत नियम बनाकर अधिकारियों को नियुक्त करने के मामले में दो हफ्ते का वक्त दिया है. अदालत ने कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि ये सिर्फ कानून के उल्लंघन का मामला नहीं है, बल्कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का भी मामला है.

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नई दिल्ली/चंडीगढ़ : दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है और इस दौरन सर्वोच्च न्यायालय ने हरियाणा और पंजाब सरकार को प्रदूषण रोकने के उपायों में नाकाम रहने पर फटकार लगाई है.

प्रदूषण पर "सुप्रीम" फटकार : कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण फैलाने के मामलों में इतना कम जुर्माना क्यों लगाया जा रहा है. क्या आप लोगों को प्रदूषण फैलाने के लिए जुर्माना लगा रहे हैं या प्रोत्साहित कर रहे हैं. कोर्ट ने पराली जलाने के मुद्दे पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि प्रदूषण को रोकने में नाकाम रहे अफसरों पर सीधे कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है. उन्हें सिर्फ नोटिस क्यों जारी किया जा रहा है. हरियाणा में 498 मामलों में सिर्फ 93 व्यक्तियों के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज की गई है जिससे साफ है कि कानून का कड़ाई से पालन नहीं किया जा रहा है. इस वजह से ज़िम्मेदार अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट के तीखे सवाल : सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा की ओर से बताया गया कि हर स्तर पर नोडल ऑफिस नियुक्त किए है जिनकी तादाद 5 हजार से भी ज्यादा है. 2021 से इसकी शुरुआत कर दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि अप्रैल से अब तक कितनी एफआईआर दर्ज की गई है जिस पर हरियाणा की ओर से जवाब दिया गया कि प्रदूषण को लेकर 200 मामले दर्ज हुए हैं. पराली जलाने की 400 घटनाओं मे 32 एफआईआर दर्ज की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि कुछ लोगों पर एफआईआर, कुछ लोगों पर जुर्माना, आंख में धूल झोंकने का काम किया जा रहा है. हरियाणा ने जवाब देते हुए कहा कि कुछ लोग ऐसे हैं जो बार-बार अपराध करते हैं. कुछ ऐसे भी हैं जो जुर्माना देने से बचते हैं. हमने दोनों पर कार्रवाई की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें संदेह है. सुप्रीम कोर्ट ने आंकड़ों पर सवाल उठाते हुए कहा कि कम संख्या का मतलब है कि आप इसे रिकॉर्ड पर नहीं ले रहे हैं. आप कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.

केंद्र सरकार को दो हफ्ते का वक्त : सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण को लेकर चिंता जताई और केंद्र सरकार को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (EPA) के तहत नियम बनाकर अधिकारियों को नियुक्त करने के मामले में दो हफ्ते का वक्त दिया है. अदालत ने कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि ये सिर्फ कानून के उल्लंघन का मामला नहीं है, बल्कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का भी मामला है.

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