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AIIMS निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, सूटेबल साइट के लिए सहरसा और दरभंगा का स्थल जांच कर मांगी रिपोर्ट

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 21, 2024, 10:43 AM IST

Saharsa AIIMS: बिहार में दूसरे एम्स के निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का निर्देश आया है. सुप्रीम कोर्ट ने सहरसा और दरभंगा में एम्स के लिए कौन सी सूटेबल साइट है, स्थल जांच कराने के बाद इसकी रिपोर्ट मांगी है, जिससे सहरसा एम्स निर्माण संघर्ष समिति के लोगों में उमीद जगी है.

सहरसा एम्स निर्माण
सहरसा एम्स निर्माण
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सहरसा: बिहार का दूसरा एम्स सहरसा या दरभंगा, कहांं बने इसको लेकर लड़ाई छिड़ी हुई है. सहरसा में एम्स निर्माण को लेकर एम्स संघर्ष समिति के द्वारा लगभग 8 वर्षों से आंदोलन किया जा रहा है. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर दोनों जिलों का स्थल जांच कराकर, कौन सी जगह ज्यादा सूटेबल है? 1 मार्च तक इसकी जांच रिपोर्ट मांगी है. जिसके बाद सहरसा के लोगों में उम्मीद जगी है.

सहरसा एम्स निर्माण: इस मामले को लेकर शनिवार को एम्स निर्माण संघर्ष समिति के संरक्षक प्रवीण आनंद ने प्रेस वार्ता कर बताया कि '2015-16 के आम बजट में पूरे देश को 6 एम्स मिला, जिसमें 5 बनकर तैयार है. लाखों लोगों को स्वास्थ्य लाभ मिल रहा है, लेकिन बिहार का एम्स लड़ाई में फंस गया है'. उन्होंने कहा कि 'जब दरभंगा की जमीन को खारिज कर दिया गया, इसके बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दरभंगा में ही एम्स बनाने की जिद किए है'.

सहरसा एम्स के लिए जमीन उपलब्ध: उन्होंने कहा कि सहरसा में एम्स को लेकर नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत 217.74 डिसमिल एकड़ जमीन उपलब्ध थी. 2015 में ही राज्य सरकार को पत्र के माध्यम से जिलाधिकारी के द्वारा रिपोर्ट भेज दी गयी थी. उसके बावजूद दरभंगा में एम्स निर्माण की घोषणा सरकार द्वारा कर दी गयी और जमीन भी उपलब्ध करवा दी गयी.

एम्स निर्माण का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट: जिसको लेकर कोशी विकास संघर्ष मोर्चा के बैनर तले संघर्ष समिति के अध्य्क्ष बिनोद झा और संरक्षक आनंद ने पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर करवाई थी. उसके बाद न्यायालय ने ये मामला सुप्रीम कोर्ट भेज दिया. जहां पर समिति के सदस्यों ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर किया.

8 साल से एम्स का मामला फंसा: उन्होंने कहा कि सहरसा से 2017 में ही जमीन की रिपोर्ट भेज दी गई थी. जब सहरसा का नाम था, तो सीएम ने सहरसा पर विचार नहीं किया. दरभंगा में 8 साल से मामला फंसा हुआ है. बताया कि सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी एक्सेप्ट होने के बाद न्यायालय के द्वारा मामला कहां फंसा है? भारत सरकार और बिहार सरकार को 1 मार्च तक इसका जवाब देने का निर्देश दिया गया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट सूटेबल साइट की रिपोर्ट भी मांगी गई है.

पढ़ें: बिहार के दूसरे एम्स पर ग्रहण! पहले जमीन के कारण विवाद.. अब दरभंगा या सहरसा में बनने को लेकर झमेला

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सहरसा: बिहार का दूसरा एम्स सहरसा या दरभंगा, कहांं बने इसको लेकर लड़ाई छिड़ी हुई है. सहरसा में एम्स निर्माण को लेकर एम्स संघर्ष समिति के द्वारा लगभग 8 वर्षों से आंदोलन किया जा रहा है. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर दोनों जिलों का स्थल जांच कराकर, कौन सी जगह ज्यादा सूटेबल है? 1 मार्च तक इसकी जांच रिपोर्ट मांगी है. जिसके बाद सहरसा के लोगों में उम्मीद जगी है.

सहरसा एम्स निर्माण: इस मामले को लेकर शनिवार को एम्स निर्माण संघर्ष समिति के संरक्षक प्रवीण आनंद ने प्रेस वार्ता कर बताया कि '2015-16 के आम बजट में पूरे देश को 6 एम्स मिला, जिसमें 5 बनकर तैयार है. लाखों लोगों को स्वास्थ्य लाभ मिल रहा है, लेकिन बिहार का एम्स लड़ाई में फंस गया है'. उन्होंने कहा कि 'जब दरभंगा की जमीन को खारिज कर दिया गया, इसके बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दरभंगा में ही एम्स बनाने की जिद किए है'.

सहरसा एम्स के लिए जमीन उपलब्ध: उन्होंने कहा कि सहरसा में एम्स को लेकर नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत 217.74 डिसमिल एकड़ जमीन उपलब्ध थी. 2015 में ही राज्य सरकार को पत्र के माध्यम से जिलाधिकारी के द्वारा रिपोर्ट भेज दी गयी थी. उसके बावजूद दरभंगा में एम्स निर्माण की घोषणा सरकार द्वारा कर दी गयी और जमीन भी उपलब्ध करवा दी गयी.

एम्स निर्माण का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट: जिसको लेकर कोशी विकास संघर्ष मोर्चा के बैनर तले संघर्ष समिति के अध्य्क्ष बिनोद झा और संरक्षक आनंद ने पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर करवाई थी. उसके बाद न्यायालय ने ये मामला सुप्रीम कोर्ट भेज दिया. जहां पर समिति के सदस्यों ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर किया.

8 साल से एम्स का मामला फंसा: उन्होंने कहा कि सहरसा से 2017 में ही जमीन की रिपोर्ट भेज दी गई थी. जब सहरसा का नाम था, तो सीएम ने सहरसा पर विचार नहीं किया. दरभंगा में 8 साल से मामला फंसा हुआ है. बताया कि सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी एक्सेप्ट होने के बाद न्यायालय के द्वारा मामला कहां फंसा है? भारत सरकार और बिहार सरकार को 1 मार्च तक इसका जवाब देने का निर्देश दिया गया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट सूटेबल साइट की रिपोर्ट भी मांगी गई है.

पढ़ें: बिहार के दूसरे एम्स पर ग्रहण! पहले जमीन के कारण विवाद.. अब दरभंगा या सहरसा में बनने को लेकर झमेला

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