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ग्रीष्म संक्रान्ति: 21 जून को सबसे बड़ा दिन क्यों होता है, जानिए वजह और खासियत - Summer Solstice or Summer Solstice

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 21, 2024, 6:29 PM IST

भारत में बड़े दिन (Summer Solstice or Summer Solstice) का खास महत्व है. प्राचीन काल में इसी दिन के आधार पर काल या वर्ष गणना भी आरम्भ की गई थी. इसके बाद तमाम वैज्ञानिक शोध के बाद कई रहस्य उजागर हुए.

भारत में बड़ा दिन का महत्व.
भारत में बड़ा दिन का महत्व. (Photo Credit-Etv Bharat)

गोरखपुर : हम सब जानते हैं और कहावत भी है कि "सब दिन होत न एक समाना", अर्थात सब दिन एक समान नहीं होते हैं. ऐसे ही वर्ष में एक दिन ऐसा भी होता है जो सबसे बड़ा होता है वह दिन 21 जून है. इसके बाद धीरे धीरे दिन छोटे होते जाते हैं और रातों की लम्बाई बढ़ती है. इस खगोलीय घटना को "समर सॉलिस्टिस या ग्रीष्म संक्रान्ति" कहा जाता है, जो जून में घटित होती है. यह पृथ्वी की गति के कारण कभी कभी 20 या 21 जून को होती है. इस बार यह 21 जून को है. इस कारण उत्तरी गोलार्ध में पड़ने वाले देशों में निवास करने वाले लोगों के लिए यह दिन सबसे लम्बा दिन होता है. वहीं दक्षिणी गोलार्ध में पड़ने वाले देशों के लिए सबसे छोटा दिन भी होता है.

ग्रीष्म संक्रान्ति का आरेख.
ग्रीष्म संक्रान्ति का आरेख. (Photo Credit-Etv Bharat)


गोरखपुर नक्षत्रशाला के खगोलविद अमर पाल सिंह के अनुसार हमारी पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है और इस झुकाव के साथ ही सूर्य के चारों ओर परिभ्रमण भी करती है. सूर्य का एक पूरा चक्कर लगाने में लगने वाले समय को हम वर्ष कहते हैं जो साधारणतया 365 दिन व लीप वर्ष होने पर 366 दिनों में पूरा होता है. इस वार्षिक गति के दौरान कभी पृथ्वी सूर्य से दूर तो कभी पास से गुजरती है. पृथ्वी द्वारा सूर्य का चक्कर लगाने वाला पथ दीर्घवृत्ताकार (एलिप्टिकल) या अण्डाकार है.

इस कारण से पृथ्वी को सूर्य के पास और सूर्य से दूर होके गुजरना पड़ता है. इस दौरान पृथ्वी को अपने अक्ष पर घूमते हुए सूर्य का चक्कर भी लगाना पड़ता है. इसी दौरान जब सूर्य की किरणें पृथ्वी के ट्रॉपिक ऑफ कैंसर (कर्क रेखा) पर लगभग सीधी पड़ती हैं, उसी कारण पृथ्वी के कुछ हिस्सों में दिन की अवधि में भी बढ़ोतरी होती है. जिस कारण से उत्तरी गोलार्ध में पड़ने वाले देशों में 21 जून का दिन सबसे बड़ा दिन होता है.

Summer Solstice or Summer Solstice
समर सॉलिस्टिस या ग्रीष्म संक्रान्ति खगोलीय घटना है (Photo Credit-Etv Bharat)



क्या होता है समर सॉलिसटाईस : खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि सॉलिस्टीस मूलतः लैटिन भाषा से लिया गया शब्द है, जो दो प्रमुख शब्दों से मिलकर बना हुआ है. सोल मतलब होता है सूर्य और स्टाइस मतलब होता है स्थिर रहना. जिसका अर्थ हुआ कि सूर्य का स्थिर सा होना. इस कारण से नाम दिया गया है समर सॉलिस्टिस या ग्रीष्म संक्रान्ति. जो एक खगोलीय घटना है. इस दौरान पृथ्वी का अक्ष सूर्य की तरफ ज्यादा झुका होता है. जिस कारण से पृथ्वी का एक गोलार्ध सीधे सूर्य की ज्यादा रोशनी प्राप्त करता है. जिस दिन यह अपने चरम पर होता है, इसे ही खगोल विज्ञान की भाषा में ग्रीष्म संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है. इस दौरान दिन की अवधि लगभग 13 घंटे तक रहेगा.

यह भी पढ़ें : लखनऊ विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों को मिला मौका, टेलीस्कोप की मदद से चंद्रमा पर देखा क्रेटर


यह भी पढ़ें : क्रिसमस डे मनाने के लिए कैथेड्रल चर्च में उमड़े लखनऊवासी, प्रभु यीशु के जन्म को लेकर कही यह बात

गोरखपुर : हम सब जानते हैं और कहावत भी है कि "सब दिन होत न एक समाना", अर्थात सब दिन एक समान नहीं होते हैं. ऐसे ही वर्ष में एक दिन ऐसा भी होता है जो सबसे बड़ा होता है वह दिन 21 जून है. इसके बाद धीरे धीरे दिन छोटे होते जाते हैं और रातों की लम्बाई बढ़ती है. इस खगोलीय घटना को "समर सॉलिस्टिस या ग्रीष्म संक्रान्ति" कहा जाता है, जो जून में घटित होती है. यह पृथ्वी की गति के कारण कभी कभी 20 या 21 जून को होती है. इस बार यह 21 जून को है. इस कारण उत्तरी गोलार्ध में पड़ने वाले देशों में निवास करने वाले लोगों के लिए यह दिन सबसे लम्बा दिन होता है. वहीं दक्षिणी गोलार्ध में पड़ने वाले देशों के लिए सबसे छोटा दिन भी होता है.

ग्रीष्म संक्रान्ति का आरेख.
ग्रीष्म संक्रान्ति का आरेख. (Photo Credit-Etv Bharat)


गोरखपुर नक्षत्रशाला के खगोलविद अमर पाल सिंह के अनुसार हमारी पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है और इस झुकाव के साथ ही सूर्य के चारों ओर परिभ्रमण भी करती है. सूर्य का एक पूरा चक्कर लगाने में लगने वाले समय को हम वर्ष कहते हैं जो साधारणतया 365 दिन व लीप वर्ष होने पर 366 दिनों में पूरा होता है. इस वार्षिक गति के दौरान कभी पृथ्वी सूर्य से दूर तो कभी पास से गुजरती है. पृथ्वी द्वारा सूर्य का चक्कर लगाने वाला पथ दीर्घवृत्ताकार (एलिप्टिकल) या अण्डाकार है.

इस कारण से पृथ्वी को सूर्य के पास और सूर्य से दूर होके गुजरना पड़ता है. इस दौरान पृथ्वी को अपने अक्ष पर घूमते हुए सूर्य का चक्कर भी लगाना पड़ता है. इसी दौरान जब सूर्य की किरणें पृथ्वी के ट्रॉपिक ऑफ कैंसर (कर्क रेखा) पर लगभग सीधी पड़ती हैं, उसी कारण पृथ्वी के कुछ हिस्सों में दिन की अवधि में भी बढ़ोतरी होती है. जिस कारण से उत्तरी गोलार्ध में पड़ने वाले देशों में 21 जून का दिन सबसे बड़ा दिन होता है.

Summer Solstice or Summer Solstice
समर सॉलिस्टिस या ग्रीष्म संक्रान्ति खगोलीय घटना है (Photo Credit-Etv Bharat)



क्या होता है समर सॉलिसटाईस : खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि सॉलिस्टीस मूलतः लैटिन भाषा से लिया गया शब्द है, जो दो प्रमुख शब्दों से मिलकर बना हुआ है. सोल मतलब होता है सूर्य और स्टाइस मतलब होता है स्थिर रहना. जिसका अर्थ हुआ कि सूर्य का स्थिर सा होना. इस कारण से नाम दिया गया है समर सॉलिस्टिस या ग्रीष्म संक्रान्ति. जो एक खगोलीय घटना है. इस दौरान पृथ्वी का अक्ष सूर्य की तरफ ज्यादा झुका होता है. जिस कारण से पृथ्वी का एक गोलार्ध सीधे सूर्य की ज्यादा रोशनी प्राप्त करता है. जिस दिन यह अपने चरम पर होता है, इसे ही खगोल विज्ञान की भाषा में ग्रीष्म संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है. इस दौरान दिन की अवधि लगभग 13 घंटे तक रहेगा.

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