शिवहर: किसी बड़े स्कूल-कॉलेज में पढ़ाई और उसके बाद किसी बड़ी कंपनी में नौकरी. आजकल जब किसी युवा से आप पूछेंगे तो उसका यही जवाब होगा. लेकिन बिहार के शिवहर जिले का यह लड़का इन सबसे अलग है. क्योंकि प्रिंस कुमार के नाम के आगे अब IAS जुड़ गया है.
शिवहर का बेटा कैसे बना IAS? : प्रिंस कुमार बताते हैं कि, मैं बिहार के एक छोटे से जिले शिवहर से आता हूं. सफर काफी अच्छा रहा. जब हमने तैयारी शुरू की. भारतीय पुलिस सेवा यानी IPS निकाला. मेरा आईएएस बनने का सपना था. मैंने असाधारण अवकाश (Extraordinary Leave) लीव लिया और आखिरकार मेरा आईएएस बनने का सपना पूरा हुआ. लेकिन यह सफर इतना आसान नहीं था. गांव में शिक्षा का माहौल कुछ अच्छा नहीं था.
''गांव में 10वीं तक का स्कूल नहीं था. यहां से 8वीं तक और फिर पास के गांव से 10वीं की पढ़ाई (पुरनहिया प्रखंड के उच्च विद्यालय, सोनौल) पूरी की. भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी (पंडित दीनदयाल उपाध्याय मेमोरियल कॉलेज, बैरगनिया) से ग्रेजुएशन (भूगोल) किया. इसके बाद मेरी यूपीएससी की यात्रा शुरू हुई. मैं दिल्ली आ गया.'' - प्रिंस कुमार, 89वां रैंक, यूपीएससी (2023)
पापा हैं बाइक मैकेनिक : बिहार के शिवहर जिले के बखार चंडीहा गांव निवासी प्रिंस के परिवार में उनके पापा बाइक मैकेनिक हैं, भाई इंजीनियर, मां और बहन गृहणी. घरवाले चाहते थे कि बेटा खूब पढ़े. इसलिए यहां से प्रिंस का अगला पड़ाव शुरू होता है. बिहार के शिवहर में IAS (भारतीय प्रशासनिक सेवा) बनने का सपना देखा. इसके बाद दिल्ली के मुखर्जी नगर के एक छोटे से कमरे से सपने को पूरा करने की तैयारी शुरू होती है.
2019 पहला अटेंप्ट, नहीं मिली सफलता : प्रिंस आगे बताते हैं, मैंने शुरुआत में कोचिंग की. मेरे पास कोई विकल्प नहीं था. क्योंकि मुझे अंग्रेजी अच्छे से आती नहीं थी. मुझे पता था कि अगर मुझे जो कुछ करना है तो हिंदी में ही करना है. इसलिए शुरुआत में कोचिंग ज्वॉइन किया. लेकिन बाद में सेल्फ स्टडी बहुत काम आता है. 2019 में मैंने पहला अटेंप्ट दिया. प्रारंभिक परीक्षा मे सफलता मिली, लेकिन मुख्य परीक्षा में असफल रहा.
''वो ऐसा वक्त था कि समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें. लेकिन मैंने फिर से तैयारी शुरू की. दूसरा अटेम्प्ट दिया. प्रिलिम्स निकाला, लेकिन इंटरव्यू तक पहुंचने के बाद हमारी उम्मीदें बढ़ जाती है. तब लगता है कि हम सफलता के बहुत करीब आ चुके हैं. लेकिन यहां भी फाइनल लिस्ट में मेरा नाम नहीं था.'' - प्रिंस कुमार, 89वां रैंक, यूपीएससी (2023)
'रिजल्ट देख, उस दिन मैं रो रहा था' : प्रिंस ने आगे बताया कि, उस दिन जब मैंने रिजल्ट देखा, मैं रो रहा था. 15 दिन बाद फिर से प्रिलिम्स था. वक्त नहीं था. इसलिए मैंने सोचा दुख मनाने से अच्छा है, अगले अटेंप्ट की तैयारी की जाय. इस बीच मैंने यह तय कर लिया था कि मैं ऑप्शनल बदलूंगा. पहले भूगोल था, अब मैंने मैथिली लिटरेचर चुना, मुझे मैथिली लिखना नहीं आता था. मैंने लिखना सीखा.
2021 में बने थे IPS, फिर बने IAS : 2021 में मैंने नए विषय और नई रणनीति के साथ मेरा सपना पूरा हुआ, IPS (भारतीय पुलिस सेवा) में मेरा सलेक्शन हुआ. लेकिन मुझे IAS बनना था. कुछ दिनों बाद प्रिलिम्स था. मैंने तैयारी जारी रखी. आखिरकार मेरा IAS बनने का सपना पूरा हुआ.
''मेरा 426वां रैंक आया. इससे मेरे परिवार, दोस्त सभी खुश थे. लेकिन मैं खुश नहीं था. मुझे लगा कि मैं और बेहतर कर सकता हूं. साल 2023, इस बार मेरा 89वां रैंक आया. आखिरकार मैं खुश था, मेरी इस सफलता से सभी खुश थे. क्योंकि मैंने जो सपना देखा था वो पूरा हुआ.'' - प्रिंस कुमार, 89वां रैंक, यूपीएससी (2023)
'बेटे ने पूरा किया सपना'- मां : प्रिंस की मां आशा देवी बताती हैं कि, ''जिस दिन मेरे बेटे का रिजल्ट आया था, बहुत खुशी हुईं हम लोग तो रोने लगे. मेरे बेटे ने जो कहा, उसने वो वादा पूरा किया. हमारे परिवार में बहुत कठिन संघर्ष के बाद यह दिन आया. समाज में मेरे बच्चे ने पहचान दिलाई, बहुत इज्जत मिलती है.''
'गर्व से चौड़ा हो गया सीना'- पिता : वहीं पिता विनय कुमार द्विवेदी को भी आज अपने बेटे पर गर्व हैं. जब भी प्रिंस की चर्चा होती है तो पिता के आंखें नम हो जाती है. पिता कहते हैं, इससे ज्यादा हमें और क्या चाहिए. जब बच्चा सपूत हो जाता है तो बाप का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता हैं.
''कहीं भी जाते हैं तो लोग आईएएस के पिता कहते हैं. मान सम्मान बहुत ज्यादा हो रहा है. मेरे बेटे ने जिले का नाम रोशन किया, परिवार का नाम रोशन किया. यह गर्व का विषय है हमारे लिए.'' - विनय कुमार द्विवेदी, पिता
बचपन में ऐसा था प्रिंस : प्रिंस के शिक्षक अमोद कुमार मिश्रा जिन्होंने प्रिंस को वर्ग 7वीं से दसवीं तक पढ़ाया बताते हैं प्रिंस शुरुआत से ही एक मेधावी छात्र था. बचपन से ही उसने प्रशासनिक पदाधिकारी बनने की जिद ठान ली थी. IAS बनकर देश का मान बढ़ा रहा है. यह मेरे लिए गर्व की बात है.
UPSC अभ्यर्थियों के लिए प्रिंस का संदेश : फिलहाल प्रिंस कुमार अरुणाचल प्रदेश में अपनी 2 साल की डिस्ट्रिक्ट ट्रेनिंग कर रहे है. ईटीवी भारत से बात करते हुए प्रिंस बताते हैं कि वे अरुणाचल में सहायक आयुक्त के पद पर तैनात है. उन्होंने यूपीएससी अभ्यर्थियों को अपने संदेश में कहा कि, ''आपके अंदर आत्मविश्वास होना चाहिए और अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ संकल्प होना चाहिए, चीजें समय के अनुरूप होंगी.
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