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10 रुपये लेकर घर से निकले थे.. आज बना डाला करोड़ों का साम्राज्य! संत चौधरी की सफलता आपको भी प्रेरित करेगी - Success Story

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 28, 2024, 7:01 AM IST

Updated : Aug 28, 2024, 7:57 AM IST

Success Story Of Sant Chaudhary: 'कड़ी मेहनत ही सफलता की कुंजी है', बिहार के रहने वाले एजुकेशनल ट्रस्ट के अध्यक्ष शिक्षाविद डॉ. संत कुमार चौधरी ने इसे साबित किया है. जो घर से मात्र 10 लेकर निकले थे लेकिन अपनी मेहनत की बदौलत उन्होंने करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर दिया है. ब्रिटेन की संसद में 'भारत गौरव अवार्ड' से भी वह सम्मानित हो चुके हैं. संघर्ष से लेकर सफलता की उनकी कहानी काफी प्रेरणादायी है.

UCCESS STORY OF SANT CHAUDHARY
संत कुमार चौधरी (ETV Bharat)

पटना: मन में यदि किसी बात का संकल्प हो और सच्ची निष्ठा से उसे पूरी करने की कोशिश करें तो सफलता जरूर हासिल होती है. कुछ ऐसी ही कहानी है मधुबनी के रहने वाले संत कुमार चौधरी की. मधुबनी के बेनीपट्टी अनुमंडल के बसैठ चैनपुरा गांव के रहने वाले संत कुमार चौधरी ने बचपन में ही सोच लिया था कि यदि जिंदगी में कभी कुछ करने लायक बन गए तो लोगों के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करेंगे.

Success Story Of Sant Chaudhary
शैक्षणिक और स्वास्थ्य संस्थान के क्षेत्र में किया काम (ETV Bharat)

स्वतंत्रता सेनानी के परिवार से हैं संत चौधरी: मधुबनी जिले के बसैठ चैनपुरा गांव में संत कुमार चौधरी का जन्म एक स्वतंत्रता सेनानी के परिवार में हुआ था. उनके दादा ने स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया था. उनके परिवार ने शिक्षा को हमेशा प्राथमिकता दी, उनके दादा बसंत चौधरी ने अपने गांव में स्कूल खोलने की परिकल्पना की थी, क्योंकि अंग्रेजों के जमाने में स्कूल में पढ़ने के लिए बच्चों को कई किलोमीटर चलकर जाना पड़ता था. इसलिए उन्होंने अपने गांव में एक छोटा सा स्कूल खोला था. यहीं से संत कुमार चौधरी के मन में शिक्षा के प्रति गहरा लगाव हुआ और उन्होंने प्रण लिया कि अगर कुछ बनेंगे तो लोगों के लिए शिक्षण संस्थान खोलेंगे.

विज्ञान में थी दिलचस्पी: संत कुमार चौधरी की प्रारंभिक शिक्षा अपने ही गांव के सरकारी विद्यालय में हुआ था. उनके पिता दुख मोचन चौधरी स्कूल में प्राध्यापक थे. मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद उनका नामांकन दरभंगा के प्रतिष्ठित सीएम साइंस कॉलेज में हुआ. वहीं से उन्होंने इंटरमीडिएट और फिर बाद में साल 1979 में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. ग्रेजुएशन की डिग्री लेने के बाद संत कुमार चौधरी आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली चले गए. 1980 में उन्होंने दिल्ली में बी फार्मा में एडमिशन लिया और वहीं ही रहकर आगे की पढ़ाई करते रहे.

Success Story Of Sant Chaudhary
करोड़ों के साम्राज्य के मालिक (ETV Bharat)

10 रुपये से हुई सफर की शुरुआत: संत कुमार चौधरी ने ईटीवी भारत से बातचीत में अपने पुरानी बातों को साझा किया. संत कुमार चौधरी ने कहा कि आगे की पढ़ाई के लिए जब दिल्ली जाने का निर्णय लिया तो जाते वक्त उनकी मां ने एक 10 का नोट उनको दिया. पिता 110 रुपये का मनी ऑर्डर हर महीने भेजते थे. दिल्ली में जब पढ़ाई कर रहे थे तब पैसा भेजने का एकमात्र साधन मनी ऑर्डर ही होता था. कई बार ऐसा होता था कि मनी ऑर्डर पहुंचने में देरी हो जाती थी. तो परेशानी बढ़ जाती थी, कई बार ऐसा हुआ कि सही समय पर पैसा नहीं पहुंचने के कारण दोस्त कहते थे कि उनके वहीं ही भोजन कर लें लेकिन वह किसी का उपकार नहीं लेना चाहते थे.

Success Story Of Sant Chaudhary
ब्रिटेन की संसद में सम्मानित (ETV Bharat)

दिल्ली से पहुंचे महाराष्ट्र: घर से मनी ऑर्डर पहुंचने तक किसी तरीके से कम रासन में गुजारा करते थे ताकि भोजन के लिए दूसरे घर नहीं जाना पड़े. यही हाल नौकरी के समय में भी हुआ. महाराष्ट्र उनके लिए नया था, कोई जान-पहचान वाला भी नहीं था. नौकरी मिलने के कारण पिता को लगा कि अब पैसा भेजने की जरूरत नहीं है. नौकरी में शुरू का 3 महीने बहुत परेशानी झेलनी पड़ी. मकान का किराया, घर के सामान का खर्चा, इन सब में सामंजस्य बैठने में बहुत परेशानी हुई. नौकरी में 12 - 13 घंटे काम का अलग प्रेशर होता था.

महाराष्ट्र सरकार के सचिवालय में नौकरी: दिल्ली में पढ़ाई के साथ-साथ वह कंपटीशन की तैयारी भी कर रहे थे. महाराष्ट्र सचिवालय में संत कुमार चौधरी को नौकरी मिली. कई वर्षों तक महाराष्ट्र सरकार के सचिवालय में उन्होंने नौकरी की. यह उनके सफलता की पहली सीढ़ी थी. उनके काम करने की क्षमता को देखते हुए उन्हें प्रमोशन दिया गया और सरकार ने राजस्थान के गवर्नर का ओएसडी बना कर भेजा. हालांकि संत कुमार चौधरी का मन नौकरी में बहुत ज्यादा नहीं लग रहा था.

Success Story Of Sant Chaudhary
यूरोपीय यूनियन के 27 देशों के साथ टाइअप (ETV Bharat)

सरकारी नौकरी से इस्तीफा: संत कुमार चौधरी ने कहा कि उनके मन में बार-बार यह चीज आ रही थी की नौकरी में रहकर वह वह चीज नहीं कर पाएंगे जो उन्होंने बचपन से कल्पना की थी. उन्होंने कहा कि नौकरी से सिर्फ अपना और अपने परिवार का गुजारा हो सकता है समाज के लिए कुछ नहीं किया जा सकता. यही सोचते हुए उन्होंने सरकारी नौकरी से इस्तीफा देने का फैसला किया.

आध्यात्म से जुड़े संत चौधरी: इसी बीच वे कांची पीठ के शंकराचार्य के संपर्क में आए और उन्हें आध्यात्मिक रूप से बहुत ज्यादा बल मिला. वहीं से प्रेरणा लेकर शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने की कल्पना लिए हुए संत कुमार चौधरी ने शंकरा ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशन की स्थापना की. मन में एक डर था की कहीं मैं इस काम में सफल नहीं हुआ तो फिर मैं कहीं का नहीं रहूंगा लेकिन उनके मन में यह विश्वास था कि सच्ची निष्ठा और निस्वार्थ भाव से यदि काम करेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी.

Success Story Of Sant Chaudhary
101 शैक्षणिक संस्थाओं के निर्माण का लक्ष्य (ETV Bharat)

शंकराचार्य के नाम पर संस्थान का नाम: संत कुमार चौधरी ने अपने संस्थान का नाम शंकरा ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशन रखा. सबसे पहले उन्होंने अपना सबसे पुराना सपना पूरा किया और अपने गांव में इंटर स्तर तक का पहला स्कूल खोला. यहीं से संत कुमार चौधरी के सफलता की शुरुआत हुई. इसके बाद उन्होंने शंकराचार्य के नाम पर ही सबसे पहले मधुबनी में आंख का अस्पताल खोला और एक बार सफलता हाथ मिलाने के बाद संत कुमार चौधरी ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

शैक्षणिक संस्थानों के निर्माण की शुरुआत: संत कुमार चौधरी ने कहा कि बिहार के समस्तीपुर में पूसा एग्रीकल्चर कॉलेज के अलावा कृषि क्षेत्र में किसान की सहायता के लिए कोई संस्थान नहीं था. उन्होंने मिथिला में एग्रीकल्चर कॉलेज एवं शोध संस्थान का सपना देखा. तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की सरकार के समय में उन्होंने मधुबनी में एग्रीकल्चर कॉलेज खोलने का निर्णय लिया.

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शंकराचार्य के विचारों से हुए प्रभावित (ETV Bharat)

प्रधानमंत्री से की मुलाकात: संत चौधरी ने प्रधानमंत्री नरसिंह महाराज से मुलाकात की और कहा कि दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, सुपौल, सीतामढ़ी, शिवहर और मुजफ्फरपुर तक में कहीं भी कृषि शोध संस्थान नहीं है, ऐसे में उसे खोला जाए तो किसानों को फायदा होगा. प्रधानमंत्री उनके प्रोजेक्ट से बहुत प्रभावित हुए और मधुबनी में एग्रीकल्चर कॉलेज खोलने का उनका सपना पूरा हुआ. इसके बाद उन्होंने मधुबनी में ही बीएड, डीएलएड और कई इंटर और ग्रेजुएशन स्तर तक के कॉलेज का निर्माण कराया.

शिक्षण संस्थाओं की श्रृंखला: संत चौधरी ने बचपन में जो सपना देखा था वह सपना अब धीरे-धीरे मूर्त रूप लेने लगा था. मधुबनी में कई बड़े शैक्षणिक संस्थान खोलने के बाद उन्होंने बिहार के अलावा बाहर भी शैक्षणिक और स्वास्थ्य संस्थान खोलने का निर्णय लिया. शंकरा ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशन के तहत देश के कई राज्यों में बड़े-बड़े शैक्षणिक संस्थान खोले गए. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, झारखंड और ओडिशा में उन्होंने कई बड़े कॉलेज और अन्य संस्थान का निर्माण कराया.

Success Story Of Sant Chaudhary
प्रतिभा पाटिल के साथ संत चौधरी (ETV Bharat)

51 संस्थानों की बड़ी श्रृंखला: संत कुमार चौधरी ने बताया कि बिहार में काम करने के बाद उन्होंने देश के अन्य प्रदेशों में शिक्षा, कृषि एवं स्वास्थ्य संस्थान खोलने का निर्णय लिया। बिहार के अलावा अन्य प्रदेशों में उनकी शाखा आज बेहतरीन ढंग से कम कर रही है. संत कुमार चौधरी ने कहा कि शंकरा ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशन के तहत अभी पूरे देश में 51 संस्थान देश की सेवा में समर्पित है. इसमें इंजीनियरिंग, बीएड, डीएलएड, एग्रीकल्चर और स्वास्थ्य संबंधी अनेक संस्थान शामिल हैं. 51 संस्था में सिर्फ 35 संस्था शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी है. उन्होंने विदेश में संस्थाओं के साथ अनुबंध यूरोपीय यूनियन के 27 देशों के साथ उनके संस्थाओं का टाइअप है.

"देश के अलावा बाहर के विदेश में भी काम करना शुरू किया है. यूरोपीय यूनियन के 27 देशों के साथ हमारी संस्थाओं का टाइअप हुआ है. भारत के मेधावी छात्र विदेश में जाकर वहां रिसर्च कर सकेंगे और विदेश के छात्र कृषि या अन्य क्षेत्रों में रिसर्च करने के लिए हामारे संस्थानों में आ सकेंगे. इसके लिए मैंने यूरोपिय यूनियन के अलावा भी कई देशों के शैक्षिक संस्थानों के साथ अनुबंध किया है."-संत कुमार चौधरी, शिक्षाविद

Success Story Of Sant Chaudhary
51 संस्थानों की की खोली श्रृंखला (ETV Bharat)

ब्रिटिश पार्लियामेंट से मिला भारत गौरव सम्मान: संत कुमार चौधरी को शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने के लिए ब्रिटिश पार्लियामेंट ने 2019 भारत गौरव सम्मान से सम्मानित किया. इसके अलावा यूरोपीय यूनियन के विश्वविद्यालय के समूह के द्वारा 100 वर्षों में अभी तक मात्र 10 लोगों को डिलीट की उपाधि प्रदान की गई है. इसमें से सातवां स्थान उनका यानी संत कुमार चौधरी का है. इसके अलावा ब्रिक्स देश के समूह के शैक्षणिक संस्थाओं के सेमिनार में पहला स्थान भारत की तरफ से संत चौधरी को प्रदान किया गया.

मेधावी छात्रों के लिए स्कॉलरशिप: संत चौधरी ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि मेधावी छात्रों के आगे की पढ़ाई में धन रुकावट ना हो इसके लिए उन्होंने अपने संस्थानों में विशेष व्यवस्था की है. मेधावी छात्रों को उनके संस्थानों में फ्री स्कॉलरशिप की व्यवस्था है. इसके अलावा गरीब तबके के मेधावी बच्चे जिनके पिता आर्थिक रूप से संपन्न नहीं है उनके लिए विशेष स्कॉलरशिप की व्यवस्था की गई है. इसके तहत मेधावी एवं गरीब तबके के बच्चों को उनके संस्थानों में निशुल्क बढ़ाने की व्यवस्था की गई है.

Success Story Of Sant Chaudhary
विदेश में संत कुमार चौधरी (ETV Bharat)

101 संस्थान खोलने का लक्ष्य: संत कुमार चौधरी ने कहा कि उनका लक्ष्य है कि पूरे विश्व में उनका 101 संस्थान लोगों की सेवा करें. संत कुमार चौधरी ने कहा कि वह जीवन के अंतिम कल तक 101 शैक्षणिक संस्थाओं के निर्माण का लक्ष्य रखे हैं। मिथिला क्षेत्र में एक अलग राष्ट्रीय स्तर का विश्वविद्यालय खोलने की परिकल्पना है. जिसमें विश्व के हर एक कोने से यहां आकर अध्ययन कर सके. इसके लिए जमीन भी उपलब्ध हो गया है. अभी मधुबनी में एक साथ मेडिकल कॉलेज, आयुर्वेदिक कॉलेज एवं होम्योपैथिक कॉलेज की स्थापना शुरू हो गई है.

Success Story Of Sant Chaudhary
कई अवार्ड से हुए सम्मानित (ETV Bharat)

लक्ष्य प्राप्ति में धन की समस्या नहीं: संत चौधरी ने कहा कि अभी उनका सफर पूरा नहीं हुआ है, अभी उनको बहुत आगे जाना है ताकि उनके 101 संस्थान खोलने का लक्ष्य पूरा हो सके. संत चौधरी ने कहा कि सरस्वती और लक्ष्मी दो बहने हैं. जहां सरस्वती रहेगी वहां लक्ष्मी रहेगी ही और यदि आप धन का सदुपयोग करेंगे तो लक्ष्मी कभी नहीं रुठती हैं. यही कारण है कि उनके सभी संस्थाओं में धार्मिक और सेवा की भावना से काम किया जाता है. ऐसे ही लोगों को देखकर लगता है कि यदि संघर्ष सही दिशा में किया जाए तो सफलता कदम चूम लेती है.

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शैक्षणिक और स्वास्थ्य संस्थान के क्षेत्र में किया काम (ETV Bharat)

स्वतंत्रता सेनानी के परिवार से हैं संत चौधरी: मधुबनी जिले के बसैठ चैनपुरा गांव में संत कुमार चौधरी का जन्म एक स्वतंत्रता सेनानी के परिवार में हुआ था. उनके दादा ने स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया था. उनके परिवार ने शिक्षा को हमेशा प्राथमिकता दी, उनके दादा बसंत चौधरी ने अपने गांव में स्कूल खोलने की परिकल्पना की थी, क्योंकि अंग्रेजों के जमाने में स्कूल में पढ़ने के लिए बच्चों को कई किलोमीटर चलकर जाना पड़ता था. इसलिए उन्होंने अपने गांव में एक छोटा सा स्कूल खोला था. यहीं से संत कुमार चौधरी के मन में शिक्षा के प्रति गहरा लगाव हुआ और उन्होंने प्रण लिया कि अगर कुछ बनेंगे तो लोगों के लिए शिक्षण संस्थान खोलेंगे.

विज्ञान में थी दिलचस्पी: संत कुमार चौधरी की प्रारंभिक शिक्षा अपने ही गांव के सरकारी विद्यालय में हुआ था. उनके पिता दुख मोचन चौधरी स्कूल में प्राध्यापक थे. मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद उनका नामांकन दरभंगा के प्रतिष्ठित सीएम साइंस कॉलेज में हुआ. वहीं से उन्होंने इंटरमीडिएट और फिर बाद में साल 1979 में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. ग्रेजुएशन की डिग्री लेने के बाद संत कुमार चौधरी आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली चले गए. 1980 में उन्होंने दिल्ली में बी फार्मा में एडमिशन लिया और वहीं ही रहकर आगे की पढ़ाई करते रहे.

Success Story Of Sant Chaudhary
करोड़ों के साम्राज्य के मालिक (ETV Bharat)

10 रुपये से हुई सफर की शुरुआत: संत कुमार चौधरी ने ईटीवी भारत से बातचीत में अपने पुरानी बातों को साझा किया. संत कुमार चौधरी ने कहा कि आगे की पढ़ाई के लिए जब दिल्ली जाने का निर्णय लिया तो जाते वक्त उनकी मां ने एक 10 का नोट उनको दिया. पिता 110 रुपये का मनी ऑर्डर हर महीने भेजते थे. दिल्ली में जब पढ़ाई कर रहे थे तब पैसा भेजने का एकमात्र साधन मनी ऑर्डर ही होता था. कई बार ऐसा होता था कि मनी ऑर्डर पहुंचने में देरी हो जाती थी. तो परेशानी बढ़ जाती थी, कई बार ऐसा हुआ कि सही समय पर पैसा नहीं पहुंचने के कारण दोस्त कहते थे कि उनके वहीं ही भोजन कर लें लेकिन वह किसी का उपकार नहीं लेना चाहते थे.

Success Story Of Sant Chaudhary
ब्रिटेन की संसद में सम्मानित (ETV Bharat)

दिल्ली से पहुंचे महाराष्ट्र: घर से मनी ऑर्डर पहुंचने तक किसी तरीके से कम रासन में गुजारा करते थे ताकि भोजन के लिए दूसरे घर नहीं जाना पड़े. यही हाल नौकरी के समय में भी हुआ. महाराष्ट्र उनके लिए नया था, कोई जान-पहचान वाला भी नहीं था. नौकरी मिलने के कारण पिता को लगा कि अब पैसा भेजने की जरूरत नहीं है. नौकरी में शुरू का 3 महीने बहुत परेशानी झेलनी पड़ी. मकान का किराया, घर के सामान का खर्चा, इन सब में सामंजस्य बैठने में बहुत परेशानी हुई. नौकरी में 12 - 13 घंटे काम का अलग प्रेशर होता था.

महाराष्ट्र सरकार के सचिवालय में नौकरी: दिल्ली में पढ़ाई के साथ-साथ वह कंपटीशन की तैयारी भी कर रहे थे. महाराष्ट्र सचिवालय में संत कुमार चौधरी को नौकरी मिली. कई वर्षों तक महाराष्ट्र सरकार के सचिवालय में उन्होंने नौकरी की. यह उनके सफलता की पहली सीढ़ी थी. उनके काम करने की क्षमता को देखते हुए उन्हें प्रमोशन दिया गया और सरकार ने राजस्थान के गवर्नर का ओएसडी बना कर भेजा. हालांकि संत कुमार चौधरी का मन नौकरी में बहुत ज्यादा नहीं लग रहा था.

Success Story Of Sant Chaudhary
यूरोपीय यूनियन के 27 देशों के साथ टाइअप (ETV Bharat)

सरकारी नौकरी से इस्तीफा: संत कुमार चौधरी ने कहा कि उनके मन में बार-बार यह चीज आ रही थी की नौकरी में रहकर वह वह चीज नहीं कर पाएंगे जो उन्होंने बचपन से कल्पना की थी. उन्होंने कहा कि नौकरी से सिर्फ अपना और अपने परिवार का गुजारा हो सकता है समाज के लिए कुछ नहीं किया जा सकता. यही सोचते हुए उन्होंने सरकारी नौकरी से इस्तीफा देने का फैसला किया.

आध्यात्म से जुड़े संत चौधरी: इसी बीच वे कांची पीठ के शंकराचार्य के संपर्क में आए और उन्हें आध्यात्मिक रूप से बहुत ज्यादा बल मिला. वहीं से प्रेरणा लेकर शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने की कल्पना लिए हुए संत कुमार चौधरी ने शंकरा ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशन की स्थापना की. मन में एक डर था की कहीं मैं इस काम में सफल नहीं हुआ तो फिर मैं कहीं का नहीं रहूंगा लेकिन उनके मन में यह विश्वास था कि सच्ची निष्ठा और निस्वार्थ भाव से यदि काम करेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी.

Success Story Of Sant Chaudhary
101 शैक्षणिक संस्थाओं के निर्माण का लक्ष्य (ETV Bharat)

शंकराचार्य के नाम पर संस्थान का नाम: संत कुमार चौधरी ने अपने संस्थान का नाम शंकरा ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशन रखा. सबसे पहले उन्होंने अपना सबसे पुराना सपना पूरा किया और अपने गांव में इंटर स्तर तक का पहला स्कूल खोला. यहीं से संत कुमार चौधरी के सफलता की शुरुआत हुई. इसके बाद उन्होंने शंकराचार्य के नाम पर ही सबसे पहले मधुबनी में आंख का अस्पताल खोला और एक बार सफलता हाथ मिलाने के बाद संत कुमार चौधरी ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

शैक्षणिक संस्थानों के निर्माण की शुरुआत: संत कुमार चौधरी ने कहा कि बिहार के समस्तीपुर में पूसा एग्रीकल्चर कॉलेज के अलावा कृषि क्षेत्र में किसान की सहायता के लिए कोई संस्थान नहीं था. उन्होंने मिथिला में एग्रीकल्चर कॉलेज एवं शोध संस्थान का सपना देखा. तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की सरकार के समय में उन्होंने मधुबनी में एग्रीकल्चर कॉलेज खोलने का निर्णय लिया.

Success Story Of Sant Chaudhary
शंकराचार्य के विचारों से हुए प्रभावित (ETV Bharat)

प्रधानमंत्री से की मुलाकात: संत चौधरी ने प्रधानमंत्री नरसिंह महाराज से मुलाकात की और कहा कि दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, सुपौल, सीतामढ़ी, शिवहर और मुजफ्फरपुर तक में कहीं भी कृषि शोध संस्थान नहीं है, ऐसे में उसे खोला जाए तो किसानों को फायदा होगा. प्रधानमंत्री उनके प्रोजेक्ट से बहुत प्रभावित हुए और मधुबनी में एग्रीकल्चर कॉलेज खोलने का उनका सपना पूरा हुआ. इसके बाद उन्होंने मधुबनी में ही बीएड, डीएलएड और कई इंटर और ग्रेजुएशन स्तर तक के कॉलेज का निर्माण कराया.

शिक्षण संस्थाओं की श्रृंखला: संत चौधरी ने बचपन में जो सपना देखा था वह सपना अब धीरे-धीरे मूर्त रूप लेने लगा था. मधुबनी में कई बड़े शैक्षणिक संस्थान खोलने के बाद उन्होंने बिहार के अलावा बाहर भी शैक्षणिक और स्वास्थ्य संस्थान खोलने का निर्णय लिया. शंकरा ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशन के तहत देश के कई राज्यों में बड़े-बड़े शैक्षणिक संस्थान खोले गए. दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, झारखंड और ओडिशा में उन्होंने कई बड़े कॉलेज और अन्य संस्थान का निर्माण कराया.

Success Story Of Sant Chaudhary
प्रतिभा पाटिल के साथ संत चौधरी (ETV Bharat)

51 संस्थानों की बड़ी श्रृंखला: संत कुमार चौधरी ने बताया कि बिहार में काम करने के बाद उन्होंने देश के अन्य प्रदेशों में शिक्षा, कृषि एवं स्वास्थ्य संस्थान खोलने का निर्णय लिया। बिहार के अलावा अन्य प्रदेशों में उनकी शाखा आज बेहतरीन ढंग से कम कर रही है. संत कुमार चौधरी ने कहा कि शंकरा ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशन के तहत अभी पूरे देश में 51 संस्थान देश की सेवा में समर्पित है. इसमें इंजीनियरिंग, बीएड, डीएलएड, एग्रीकल्चर और स्वास्थ्य संबंधी अनेक संस्थान शामिल हैं. 51 संस्था में सिर्फ 35 संस्था शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी है. उन्होंने विदेश में संस्थाओं के साथ अनुबंध यूरोपीय यूनियन के 27 देशों के साथ उनके संस्थाओं का टाइअप है.

"देश के अलावा बाहर के विदेश में भी काम करना शुरू किया है. यूरोपीय यूनियन के 27 देशों के साथ हमारी संस्थाओं का टाइअप हुआ है. भारत के मेधावी छात्र विदेश में जाकर वहां रिसर्च कर सकेंगे और विदेश के छात्र कृषि या अन्य क्षेत्रों में रिसर्च करने के लिए हामारे संस्थानों में आ सकेंगे. इसके लिए मैंने यूरोपिय यूनियन के अलावा भी कई देशों के शैक्षिक संस्थानों के साथ अनुबंध किया है."-संत कुमार चौधरी, शिक्षाविद

Success Story Of Sant Chaudhary
51 संस्थानों की की खोली श्रृंखला (ETV Bharat)

ब्रिटिश पार्लियामेंट से मिला भारत गौरव सम्मान: संत कुमार चौधरी को शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने के लिए ब्रिटिश पार्लियामेंट ने 2019 भारत गौरव सम्मान से सम्मानित किया. इसके अलावा यूरोपीय यूनियन के विश्वविद्यालय के समूह के द्वारा 100 वर्षों में अभी तक मात्र 10 लोगों को डिलीट की उपाधि प्रदान की गई है. इसमें से सातवां स्थान उनका यानी संत कुमार चौधरी का है. इसके अलावा ब्रिक्स देश के समूह के शैक्षणिक संस्थाओं के सेमिनार में पहला स्थान भारत की तरफ से संत चौधरी को प्रदान किया गया.

मेधावी छात्रों के लिए स्कॉलरशिप: संत चौधरी ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि मेधावी छात्रों के आगे की पढ़ाई में धन रुकावट ना हो इसके लिए उन्होंने अपने संस्थानों में विशेष व्यवस्था की है. मेधावी छात्रों को उनके संस्थानों में फ्री स्कॉलरशिप की व्यवस्था है. इसके अलावा गरीब तबके के मेधावी बच्चे जिनके पिता आर्थिक रूप से संपन्न नहीं है उनके लिए विशेष स्कॉलरशिप की व्यवस्था की गई है. इसके तहत मेधावी एवं गरीब तबके के बच्चों को उनके संस्थानों में निशुल्क बढ़ाने की व्यवस्था की गई है.

Success Story Of Sant Chaudhary
विदेश में संत कुमार चौधरी (ETV Bharat)

101 संस्थान खोलने का लक्ष्य: संत कुमार चौधरी ने कहा कि उनका लक्ष्य है कि पूरे विश्व में उनका 101 संस्थान लोगों की सेवा करें. संत कुमार चौधरी ने कहा कि वह जीवन के अंतिम कल तक 101 शैक्षणिक संस्थाओं के निर्माण का लक्ष्य रखे हैं। मिथिला क्षेत्र में एक अलग राष्ट्रीय स्तर का विश्वविद्यालय खोलने की परिकल्पना है. जिसमें विश्व के हर एक कोने से यहां आकर अध्ययन कर सके. इसके लिए जमीन भी उपलब्ध हो गया है. अभी मधुबनी में एक साथ मेडिकल कॉलेज, आयुर्वेदिक कॉलेज एवं होम्योपैथिक कॉलेज की स्थापना शुरू हो गई है.

Success Story Of Sant Chaudhary
कई अवार्ड से हुए सम्मानित (ETV Bharat)

लक्ष्य प्राप्ति में धन की समस्या नहीं: संत चौधरी ने कहा कि अभी उनका सफर पूरा नहीं हुआ है, अभी उनको बहुत आगे जाना है ताकि उनके 101 संस्थान खोलने का लक्ष्य पूरा हो सके. संत चौधरी ने कहा कि सरस्वती और लक्ष्मी दो बहने हैं. जहां सरस्वती रहेगी वहां लक्ष्मी रहेगी ही और यदि आप धन का सदुपयोग करेंगे तो लक्ष्मी कभी नहीं रुठती हैं. यही कारण है कि उनके सभी संस्थाओं में धार्मिक और सेवा की भावना से काम किया जाता है. ऐसे ही लोगों को देखकर लगता है कि यदि संघर्ष सही दिशा में किया जाए तो सफलता कदम चूम लेती है.

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Last Updated : Aug 28, 2024, 7:57 AM IST
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