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ममता सरकार ने भरी सफलता की उड़ान, गरीबी से निकलकर जी रही कामयाब जिंदगी - SUCCESS STORY OF MAMTA SARKAR

सरगुजा की ममता सरकार उन महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं जो जीवन में कुछ करना चाहती हैं.आईए जानते हैं ममता सरकार की कहानी.

Success Story of Mamta Sarkar
ममता सरकार ने भरी सफलता की उड़ान (ETV BHARAT CHHATTISGARH)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 15, 2025, 7:11 AM IST

सरगुजा : मेहनत और लगन इंसान के जीवन में कामयाबी ला सकती है.परिस्थितियां कैसी भी हो,इंसान अगर ठान ले तो किसी भी मुकाम पर पहुंच सकता है. बात यदि सरगुजा की करें तो यहां की महिलाओं ने नारी सशक्तिकरण की मिसाल पेश की है.आज हम आपको सरगुजा की एक और महिला की कहानी बताने जा रहे हैं,जिन्होंने अपनी मेहनत से अपनी गरीबी को दूर किया और परिवार को सशक्त किया.


ममता सरकार की सफलता की कहानी : सफलता की ये कहानी है सरगुजा के चठीरमा गांव में रहने वाली ममता सरकार की है.ममता सरकार आज संपन्न हैं.लेकिन आज से कुछ साल पहले ममता का परिवार बेहद गरीब था. कमाई इतनी कम थी कि गुजारा करना भी मुश्किल था. लेकिन 2016 में ममता की किस्मत बदली. नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन के महिला समूह से ममता सरकार जब जुड़ी तो उनके जीवन में बदलाव आने शुरु हो गए. ममता ने ट्रेनिंग के बाद सबसे पहले लोन लेकर ड्रिप एरिगेशन शुरू किया. जिससे अच्छी आमदनी हुई.

ममता सरकार ने भरी सफलता की उड़ान (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

लोन लेकर शुरु की खेती : इसके बाद ममता ने मछली पालन, गाय पालन और फिर अपनी ही जमीन पर खेती की. यही नहीं साढ़े तीन एकड़ खेत किराए पर लेकर खेती बड़ी पैमाने पर शुरु की.जिससे उनकी आमदनी लाखों में होने लगी. साल 2018 में जब विभाग ने मशरूम यूनिट लगाई तो उसमें भी ममता सहभागी बनी. किसान बिहान महिला प्रोड्यूसर कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की सदस्य बनी. जिसके बाद उनकी आमदनी पहले से कहीं ज्यादा हो गई. आज ममता ना सिर्फ बच्चों को अच्छी शिक्षा दे रही हैं,बल्कि घर पर दो स्कूटी, एक बाइक खड़ी है. यही नहीं ममता का खुद का पक्का मकान बन चुका है और जल्द ही घर पर ट्रेलर आने वाला है.

Success Story of Mamta Sarkar
ममता सरकार ने भरी सफलता की उड़ान (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

हम लोग समूह में 11 महिला हैं.सभी गाय पालन भी करती हैं. लेकिन दूध बेचने की दिक्कत थी तो अब हम लोग शहर में एक काउन्टर खोलने जा रहे हैं नाम कान्हा डेयरी होगा. ताकि हम सबके घर में होने वाले दूध को अच्छे दाम पर बेच सके. जब शादी हुई तो उम्र कम थी. मैं पढ़ी लिखी भी नही थी. तब मेरे पति ने मुझे पढ़ाया. वो बच्चों की तरह मेरा ध्यान रखते थे. अब मैं पैसे कमा रही हूं तो उनको गर्व होता है. उनके कारण ही मैं ये सब कर पाई. वरना शुरुआत में लोग मजाक उड़ाते थे. पति कहते हैं कि उनको गर्व है कि लोग कहते हैं कि ये ममता सरकार के पति हैं- ममता सरकार, अध्यक्ष, दुर्गा लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह



गरीबी से निकलकर जी रही कामयाब जिंदगी :वहीं ममता के पति गौतम सरकार कहते हैं कि पत्नी सफल किसान है. पहले स्थिति बहुत खराब थी. जबसे पत्नी समूह से जुड़ी है तब से हम लोगों की स्थिति में सुधार आना शुरु हुआ है. दोनों एक दूसरे का साथ देते हैं. मैं कभी मना नहीं किया कभी भी कहीं जाने को, पूरा सहयोग करता हूं.वहीं समूह की सदस्य तापसी के मुताबिक दुर्गा लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह में 11 महिलाएं जुड़ी हैं. हम लोग समूह से लोन लेकर बहुत सारे काम करते हैं. जैसे गाय पालन और खेती करते हैं. गाय से दूध होता है. लेकिन बेचने का मुसीबत है. इसलिए हम लोग चाहते है कि डेयरी फार्म खोले.

Success Story of Mamta Sarkar
गरीबी से निकलकर जी रही कामयाबी की जिंदगी (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

बैंक से जो हम लोगों को लोन मिलता है उसमे 7% ब्याज लगता है. लेकिन नियमित किस्त जमा करने पर 3% ही ब्याज लगता है. बाकी का 4 % वापस मिल जाता है. ममता दीदी हम लोगों के समूह की सबसे खास हैं. सबको लेकर चलती हैं. उनको देखकर प्रेरणा मिलती है कि वो सबके लिए भी अच्छा कर रही हैं चाहती हूं कि हम लोग भी वैसे ही बने- तापसी,समूह की सदस्य

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के जिला मिशन प्रबंधक नीरज नामदेव के मुताबिक ममता सरकार दीदियों के लिए उदाहरण है. उनको आधुनिक खेती के साथ साथ खूब मेहनत की है. समूह से लोन लेकर ना सिर्फ अपना जीवन बेहतर बनाया बल्कि उन्होंने अपने समूह की अन्य महिलाओं के जीवन को भी बेहतर बनाने में सहयोग किया.

ममता सरकार बिहान महिला प्रोड्यूसर कंपनी की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की सदस्य भी हैं. मशरूम यूनिट में भी उनकी भागीदारी रही है. बैंक से लिए गए लोन को समय पर चुका कर उन्होंने लगातार लोन लिए और एक उन्नत किसान और बिजनेस वूमेन बन चुकी हैं. ममता जैविक खेती करती हैं. वो अपने खेत में रासायनिक खाद या दवाइयों का इस्तेमाल नहीं करती है- नीरज नामदेव, जिला मिशन प्रबंधक,राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका

दूसरों के लिए बनीं आदर्श : ममता सरकार आज कामयाब हो चुकी हैं.लेकिन कुछ साल पहले तक दोनों पति पत्नी को दिन भर काम करने पर 25 रुपए मिलते थे. दोनों कोयला बिनकर अपना गुजारा करते थे. झोपड़ी नुमा घर में गुजारा करके किसी तरह से परिवार पेट पालता था.लेकिन ममता सरकार को नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन ने नए पंख दे दिए. इस मिशन के तहत ममता ने समूह बनाया और समूह ने खेती में सफलता के झंडे गाड़े.ममता ने पैसे कमाने के लिए किसी शॉर्टकट का नहीं बल्कि जैविक खेती करके लोगों को पेस्टिसाइड से दूर रहने की सलाह देती है.

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सरगुजा : मेहनत और लगन इंसान के जीवन में कामयाबी ला सकती है.परिस्थितियां कैसी भी हो,इंसान अगर ठान ले तो किसी भी मुकाम पर पहुंच सकता है. बात यदि सरगुजा की करें तो यहां की महिलाओं ने नारी सशक्तिकरण की मिसाल पेश की है.आज हम आपको सरगुजा की एक और महिला की कहानी बताने जा रहे हैं,जिन्होंने अपनी मेहनत से अपनी गरीबी को दूर किया और परिवार को सशक्त किया.


ममता सरकार की सफलता की कहानी : सफलता की ये कहानी है सरगुजा के चठीरमा गांव में रहने वाली ममता सरकार की है.ममता सरकार आज संपन्न हैं.लेकिन आज से कुछ साल पहले ममता का परिवार बेहद गरीब था. कमाई इतनी कम थी कि गुजारा करना भी मुश्किल था. लेकिन 2016 में ममता की किस्मत बदली. नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन के महिला समूह से ममता सरकार जब जुड़ी तो उनके जीवन में बदलाव आने शुरु हो गए. ममता ने ट्रेनिंग के बाद सबसे पहले लोन लेकर ड्रिप एरिगेशन शुरू किया. जिससे अच्छी आमदनी हुई.

ममता सरकार ने भरी सफलता की उड़ान (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

लोन लेकर शुरु की खेती : इसके बाद ममता ने मछली पालन, गाय पालन और फिर अपनी ही जमीन पर खेती की. यही नहीं साढ़े तीन एकड़ खेत किराए पर लेकर खेती बड़ी पैमाने पर शुरु की.जिससे उनकी आमदनी लाखों में होने लगी. साल 2018 में जब विभाग ने मशरूम यूनिट लगाई तो उसमें भी ममता सहभागी बनी. किसान बिहान महिला प्रोड्यूसर कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की सदस्य बनी. जिसके बाद उनकी आमदनी पहले से कहीं ज्यादा हो गई. आज ममता ना सिर्फ बच्चों को अच्छी शिक्षा दे रही हैं,बल्कि घर पर दो स्कूटी, एक बाइक खड़ी है. यही नहीं ममता का खुद का पक्का मकान बन चुका है और जल्द ही घर पर ट्रेलर आने वाला है.

Success Story of Mamta Sarkar
ममता सरकार ने भरी सफलता की उड़ान (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

हम लोग समूह में 11 महिला हैं.सभी गाय पालन भी करती हैं. लेकिन दूध बेचने की दिक्कत थी तो अब हम लोग शहर में एक काउन्टर खोलने जा रहे हैं नाम कान्हा डेयरी होगा. ताकि हम सबके घर में होने वाले दूध को अच्छे दाम पर बेच सके. जब शादी हुई तो उम्र कम थी. मैं पढ़ी लिखी भी नही थी. तब मेरे पति ने मुझे पढ़ाया. वो बच्चों की तरह मेरा ध्यान रखते थे. अब मैं पैसे कमा रही हूं तो उनको गर्व होता है. उनके कारण ही मैं ये सब कर पाई. वरना शुरुआत में लोग मजाक उड़ाते थे. पति कहते हैं कि उनको गर्व है कि लोग कहते हैं कि ये ममता सरकार के पति हैं- ममता सरकार, अध्यक्ष, दुर्गा लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह



गरीबी से निकलकर जी रही कामयाब जिंदगी :वहीं ममता के पति गौतम सरकार कहते हैं कि पत्नी सफल किसान है. पहले स्थिति बहुत खराब थी. जबसे पत्नी समूह से जुड़ी है तब से हम लोगों की स्थिति में सुधार आना शुरु हुआ है. दोनों एक दूसरे का साथ देते हैं. मैं कभी मना नहीं किया कभी भी कहीं जाने को, पूरा सहयोग करता हूं.वहीं समूह की सदस्य तापसी के मुताबिक दुर्गा लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह में 11 महिलाएं जुड़ी हैं. हम लोग समूह से लोन लेकर बहुत सारे काम करते हैं. जैसे गाय पालन और खेती करते हैं. गाय से दूध होता है. लेकिन बेचने का मुसीबत है. इसलिए हम लोग चाहते है कि डेयरी फार्म खोले.

Success Story of Mamta Sarkar
गरीबी से निकलकर जी रही कामयाबी की जिंदगी (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

बैंक से जो हम लोगों को लोन मिलता है उसमे 7% ब्याज लगता है. लेकिन नियमित किस्त जमा करने पर 3% ही ब्याज लगता है. बाकी का 4 % वापस मिल जाता है. ममता दीदी हम लोगों के समूह की सबसे खास हैं. सबको लेकर चलती हैं. उनको देखकर प्रेरणा मिलती है कि वो सबके लिए भी अच्छा कर रही हैं चाहती हूं कि हम लोग भी वैसे ही बने- तापसी,समूह की सदस्य

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के जिला मिशन प्रबंधक नीरज नामदेव के मुताबिक ममता सरकार दीदियों के लिए उदाहरण है. उनको आधुनिक खेती के साथ साथ खूब मेहनत की है. समूह से लोन लेकर ना सिर्फ अपना जीवन बेहतर बनाया बल्कि उन्होंने अपने समूह की अन्य महिलाओं के जीवन को भी बेहतर बनाने में सहयोग किया.

ममता सरकार बिहान महिला प्रोड्यूसर कंपनी की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की सदस्य भी हैं. मशरूम यूनिट में भी उनकी भागीदारी रही है. बैंक से लिए गए लोन को समय पर चुका कर उन्होंने लगातार लोन लिए और एक उन्नत किसान और बिजनेस वूमेन बन चुकी हैं. ममता जैविक खेती करती हैं. वो अपने खेत में रासायनिक खाद या दवाइयों का इस्तेमाल नहीं करती है- नीरज नामदेव, जिला मिशन प्रबंधक,राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका

दूसरों के लिए बनीं आदर्श : ममता सरकार आज कामयाब हो चुकी हैं.लेकिन कुछ साल पहले तक दोनों पति पत्नी को दिन भर काम करने पर 25 रुपए मिलते थे. दोनों कोयला बिनकर अपना गुजारा करते थे. झोपड़ी नुमा घर में गुजारा करके किसी तरह से परिवार पेट पालता था.लेकिन ममता सरकार को नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन ने नए पंख दे दिए. इस मिशन के तहत ममता ने समूह बनाया और समूह ने खेती में सफलता के झंडे गाड़े.ममता ने पैसे कमाने के लिए किसी शॉर्टकट का नहीं बल्कि जैविक खेती करके लोगों को पेस्टिसाइड से दूर रहने की सलाह देती है.

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