पटना: बिहार की राजधानी पटना के श्री कृष्णा पुरी इलाके के रहने वाले साकेत गौरव 15 करोड़ की लागत से कंपनी की शुरुआत की. इस कंपनी का कारोबार बढ़कर 300 करोड़ का हो गया है. इसके अलावा साकेत ने अपने अन्य ट्रेड बिजनेस के माध्यम से अपना कारोबार 3000 करोड़ से अधिक का कर लिया है.
कब आया बिजनेस का आईडिया?: साकेत गौरव ने बताया कि वह एक मल्टीनेशनल कंपनी के कंट्री हेड के तौर पर दुबई में कार्यरत थे. इसी दौरान साल 2007 में उन्हें छंटनी करने का दबाव आया. जिन लोगों को उन्होंने अच्छी पैकेज पर नौकरी दी थी वैसे 40 लोगों के टर्मिनेशन लेटर पर हस्ताक्षर करना पड़ा. यह उनके जीवन का सबसे दुखदाई दिन था. इसके बाद उन्होंने सोचा कि उनके साथ भी ऐसा हो सकता है.
''2008 में अपनी सेविंग और अपनी पत्नी की सेविंग को मिलाकर ट्रेडिंग बिजनेस शुरू किया. तमाम बड़े इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों के लिए ट्रेडिंग का काम करने लगा. आज कारोबार लगभग 3000 करोड़ का हो गया है. हजारों लोगों हमारे यहां रोजगार प्राप्त हो रहा है.''- साकेत गौरव, सीएमडी, एलिस्टा
घर वालों को बिना बताए शुरू किया ट्रेडिंग बिजनेस: साकेत गौरव ने बताया कि उनके घर में बिजनेस से किसी का कोई दूर-दूर तक नाता नहीं है. वर्किंग क्लास परिवार से आते हैं और अपने बिजनेस के वह फर्स्ट जनरेशन है. जब उन्होंने बिजनेस करने का निर्णय लिया तो 1 साल तक घर पर माता-पिता को इस बात की जानकारी नहीं दी.
''दुबई में ही बिजनेस शुरू किया.1 साल बाद जब अपने माता-पिता दुबई गए तब उन्हें बताया कि अब बिजनेस कर रहे हैं और ठीक-ठाक कमा ले रहे हैं. बिजनेस में मेरी पत्नी एकता श्रीवास्तव का बहुत बड़ा सहयोग रहा है.''- साकेत गौरव, सीएमडी, एलिस्टा
मेक इन इंडिया के तहत एलिस्टा की स्थापना: साकेत गौरव ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक अप्लायंसेज के ट्रेडिंग के दौरान उन्होंने तय किया कि वह अपना इलेक्ट्रॉनिक अप्लायंसेज का कंपनी बनाएंगे. साल 2020 में चीनी मार्केट का शेयर कम करते हुए इंडिया में भारत सरकार ने मैन्युफैक्चरिंग को प्रमोट करने का निर्णय लिया. इसी दौर में उन्होंने 15 करोड़ की लागत से इलेक्ट्रॉनिक और होम अप्लायंसेज एलिस्टा की स्थापना की. आंध्र प्रदेश में उनका पहले मैन्युफैक्चरिंग प्लांट बन रहा है जो इस वर्ष अक्टूबर तक शुरू हो जाएगा.
''अभी हम लोग असेंबल करके प्रोडक्ट तैयार करते हैं. यह कारोबार भारत, यूनाइटेड किंगडम समेत दुनिया के 18 देशों में चल रहा है. अधिकांश प्रोडक्ट भारत के असेंबलिंग यूनिट से एक्सपोर्ट होकर दुनिया के दूसरे देशों में बिकते हैं. आज यह कारोबार लगभग 300 करोड़ का हो गया है.''- साकेत गौरव, सीएमडी, एलिस्टा
बचपन में शरारती थे साकेत गौरव: साकेत गौरव ने कहा कि उनके पिताजी बिहार में सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर थे और माताजी मिलर हाई स्कूल में शिक्षिका थी. चार भाई बहनों में वह सबसे छोटे और शरारती थे. बचपन में स्कूलिंग के लिए राजस्थान के पिलानी में हॉस्टल में डाल दिया गया.
9वीं में हॉस्टल से भाग कर आ गए थे घर: साकेत का कहना है कि पढ़ाई में मन नहीं लगता था तो नौवीं कक्षा में हॉस्टल से भाग कर बिना टिकट का ट्रेन पकड़ कर पटना घर में आ गए थे. पिताजी को पता चला तो वह काफी नाराज हुए और उन्हें घर से निकाल दिए. बाद में नातेदार रिश्तेदार और घर के लोगों ने समझाया, माताजी ने आग्रह किया फिर पिताजी उन्हें घर में लाये, लेकिन फिर से हॉस्टल में डाल दिया.
''साल 1990 में उन्होंने दसवीं पास करके पटना के बोरिंग रोड एएन कॉलेज में 12वीं के लिए दाखिला लिया. यहां दोस्तों के साथ क्लास बंक करके फिल्म देखने निकल जाते थे, घूमने निकल जाते थे. आज बचपन के कई दोस्त मेरी कंपनी में अलग-अलग देश में कंट्री हेड बनकर हैं.''- साकेत गौरव, सीएमडी, एलिस्टा
बचपन से था बिजनेस के प्रति रुझान: साकेत गौरव ने बताया कि वह 1992 के बाद रूस चले गए कंप्यूटर इंजीनियरिंग करने और मास्टर्स करके 1998 में लौटे. लेकिन बचपन से उनका रुझान बिजनेस के प्रति रहता था. बिजनेसमैन लोगों की जहां भी कहानी छपती थी वह मैगजीन लेकर उसे जरूर पढ़ते थे. टाटा, बिरला, अंबानी की कहानी उस समय खूब चलती थी और वह भी पढ़ते थे. वह शुरू से पटना से बाहर ही रहे हैं लेकिन पटना से कभी दूर नहीं हुए हैं. अब साल में हर दो-तीन महीने पर पटना आते हैं, हर प्रकार के चुनाव में वोट करने आते हैं.
बिहार में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट डालने की तैयारी: साकेत गौरव ने बताया कि उनकी इलेक्ट्रॉनिक कंपनी 'एलिस्टा' इंटरनेशनल मार्केट में काफी तेजी से आगे बढ़ा है. उनके यहां कुछ समय तक सुरेश रैना और ईशान किशन भी ब्रांड एंबेसडर के तौर पर रहे. वह अपने प्रोडक्ट को इंडियन मार्केट में बेचने के बजाय दुनिया के अलग-अलग देशों के मार्केट में पहुंचने में ज्यादा रुचि रखते हैं. आने वाले समय में वह बिहार की गया के औद्योगिक क्षेत्र में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट डालने की तैयारी में है. जमीन अधिग्रहण को लेकर बिहार सरकार के उद्योग विभाग से बातचीत अंतिम दौर में है. जब शुरू होगा तो बिहार का सबसे पहला इलेक्ट्रॉनिक अप्लायंसेज कंपनी का मैन्युफैक्चरिंग यूनिट होगा. यहां के सैकड़ो लोगों को रोजगार मिलेगी और यहां के इलेक्ट्रॉनिक मार्केट में भी दूसरों की तुलना में किफायती इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट रहेगा.
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