अमीर किसान बनना है तो पारंपरिक खेती छोड़िए, बेबी कॉर्न उगाइये! शशि भूषण से जानिये छप्परफाड़ कमाई का 'सक्सेस फॉर्मूला' - SUCCESS STORY FARMER SHASHI BHUSHAN - SUCCESS STORY FARMER SHASHI BHUSHAN
Baby Corn Cultivation In Purnea: बड़ा किसान बनना है तो सोच भी बड़ी रखनी पड़ेगी. हालांकि इसके लिए बड़ी प्लानिंग की जरूरत नहीं है, बस तरीका बदलना होगा. जितने खर्च में पारंपरिक खेती होती है, उतने में बेबी कॉर्न की खेती से लाखों रुपये की कमाई की जा सकती है. पूर्णिया के युवा किसान इसकी खेती कर लाखों रुपये कमा रहे हैं. जानिए सफल किसान शशि भूषण की सफलता की कहानी..
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Published : Sep 11, 2024, 11:42 AM IST
पूर्णिया: बिहार के किसान अपनी पारंपरिक खेती को छोड़कर आज अलग तरह की फसल उगा रहे हैं और लाखो रुपये कमा रहे हैं. बिहार में आमतौर पर धान, गेंहू, मक्का और तेलहन फसलें होती है. गन्ने और तंबाकू की खेती भी खूब होती है लेकिन इसमें खर्च ज्यादा होते हैं. फसल अच्छी नहीं हुई तो कमाई भी नहीं होती है. नुकसान के साथ-साथ समय भी ज्यादा लगता है. ऐसे में कमाई दोगुनी करने के लिए कुछ अलग तरह की खेती करने की जरूरत है.
एक साल में 4 बार होती है फसलः पूर्णिया के रानीपतरा के युवा किसान शशि भूषण ऐसी खेती कर रहे हैं, जिसमें खर्च और समय दोनों कम लगते हैं लेकिन मुनाफा 10 गुणा ज्यादा होता है. यह फसल तीन महीने में तैयार हो जाता है. युवा किसान शशि भूषण आज बेबी कॉर्न की खेती से लाखों रुपए कमा रहे हैं. इन्होंने पहले 10 कट्ठा फिर अब पांच बीघे में खेती की है. एक साल में इस फसल को तीन से 4 बार की जा सकती है.
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इसके पौधे पशु के लिए फायदेमंदः शशि भूषण बताते हैं कि इस खेती की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसकी फसल तो बिकती ही है. इसके साथ इसका पौधा पशु को भी काफी फायदा पहुंचता है. बेबी कॉर्न के पौधे खाने से मवेशी ज्यादा दूध देती है. उन्होंने बताया कि काफी सोचने समझने के बाद उन्होंने खेती शुरू की. साल 2023 में इसकी शुरुआत की थी. अब उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है.
"पहले तो इस फसल को लगाने में डर सा लग रहा था. उपज के बाद बाजार में जब इसकी मांग बढ़ी तो लगा की खेती काफी फायदेमंद है. इससे काफी फायदा भी मिला. खेत में कोई दूसरी फसल साल में सिर्फ एक बार लगता है. मगर इसकी खेती साल में तीन बार की जा सकती है. फसल तीन महीन में तैयार हो जाती है. पशुओं के आहार के लिए काफी फायदेमंद है." - शशि भूषण, युवा किसान
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बेबी कॉर्न क्या है? बेबी कॉर्न को गांव में आमतौर पर मकई का बच्चा या छोटा भाई भी कहा जाता है. इसे यंग कॉर्न, कॉर्नलेट्स, चाइल्ड कॉर्न या बेबी स्वीटकॉर्न कहते हैं. यह एक मक्के की ही प्रजाति होती है. कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि बेबी कॉर्न की उत्पत्ति चीन, थाईलैंड, ताइवान, भारत, और इंडोनेशिया में हुई. भारत के साथ-साथ विदेशों तक इसकी खूब डिमांड होती है.
यंग जेनरेशन करते पसंदः खाने की बात करें तो बड़े-बड़े होटलों-रेस्टोरेंट सहित शादी विवाह में पड़ोसा जाता है. यंग जेनरेशन के लोग इसे काफी पसंद करते हैं. इसकी सब्जी, सूप, सलाद, रायता, पिज्जा आदि में उपयोग किया जाता है. इसके अलावा इसे फ्राई करके भी खाया जाता है. बेबी कॉर्न चिली नामक डिश काफी पसंद किया जाता है. इसका उपयोग ज्यादातर स्टार्टर डिश में किया जाता है. आमतौर पर इसे लोग हल्का सनैक्स के तौर पर भी खाते हैं. यह खाने में थोड़ा मीठा होता है.
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बेबीकॉर्न खाने खाने के फायदेः बेबीकॉर्न खाने के कई फायदे हैं. यह स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है. हेल्थ विशेषज्ञ के अनुसार इसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाया जाता है. भरपूर फाइबर होता है जो पाचन तंत्र को ठीक रखता है. कब्ज जैसी समस्या दूर हो जाती है. एंटीऑक्सीडेंट से त्वचा को निखार मिलती है. बीटा-कैरोटीन से आंखों की रोशनी बढ़ती है. सूगर लेवल नियंत्रिण रहता है. आयरन, मैग्नीशियम, और कॉपर से हड्डी मजबूत होती है. रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ना गर्भावस्था के भ्रूण के विकास में फायदेमंद है. एनीमिया से पीड़ित लोगों को फायदा पहुंचाता है.
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बेबी कॉर्न की खेती कैसे करें? सवाल है कि बेबी कॉर्न की खेती कैसे करें. बता दें कि यह फसल सभी तरह की मिट्टी में होती है. इसकी खेती करने से पहले खेत की दो-तीन जुताई करनी चाहिए. विशेषज्ञ के अनुसार मेड़ से मेड़ और पौधे से पौधे की दूरी 60 सेमी×15 सेमी होनी चाहिए. अच्छे ब्रांड के बीज का इस्तेमाल करना चाहिए. बुवाई के 15-20 दिन बाद पहली सिंचाई अनिवार्य है. बेबी कॉर्न की कटाई रेशम के उभरने के 1-2 दिन के भीतर करें. फसल तोड़ने के बाद पत्ते नहीं हटाएं, इससे बेबी कॉर्न ताजा रहता है.
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बेबी कॉर्न से कमाईः इसकी खेती से कमाई की बात करें तो आम फसल से ज्यादा कमाई होती है. एक एकड़ में बेबी कॉर्न की खेती करने में 15000 रुपए के आसपास खर्च आता है. एक बार फसल तैयार होने के बाद एक लाख रुपए की कमाई होती है. साल में अगर 4 बार खेती की गयी तो एक एकड़ में खर्च 60 हजार रुपए और कमाई 4 लाख रुपए हुई.
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