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कभी थी रोजाना 7 रुपए की कमाई आज हैं करोड़पति, एक बिजनेस आईडिया ने बदल दी जिंदगी - SUCCESS STORY

कभी महज 7 रुपये रोजाना कमाई करते थे, लेकिन अपनी कड़ी मेहनत के बल पर आज 3 करोड़ रुपये के मालिक बन चुके हैं.

समस्तीपुर में अगरबत्ती से करोड़ों की कमाई
समस्तीपुर में अगरबत्ती से करोड़ों की कमाई (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 5 hours ago

पटना: हिंदी सिनेमा में यह देखा जाता है कि हीरो का बचपन काफी संघर्ष और कठिनाइयों से गुजरता है और बाद में वह अचानक अमीर हो जाता है. आज हम आपको एक ऐसे व्‍यक्ति की सफलता की कहानी सुनाने जा रहे हैं. जो कभी महज 7 रुपये रोजाना कमाई करते थे, लेकिन अपनी कड़ी मेहनत के बल पर आज 3 करोड़ रुपये के मालिक बन चुके हैं. इनके जीवन की कहानी किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं.

7 रुपये से खड़ा कर दी तीन करोड़ की कंपनी: ये हैं समस्तीपुर अमरदीप कुमार इनके जीवन की कहानी किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं. वे बिहार स्थित समस्तीपुर में अगरबत्ती का कारखाना चलाते हैं. इसके साथ ही कई लोगों को रोजगार भी मुहैया करवा रहे हैं. जिन्होंने बचपन से ही आर्थिक तंगी का सामना किया. बेहद छोटी उम्र से ही उन्होंने पैसे कमाने शुरू कर दिए थे. समस्तीपुर के एक होटल में झूठे बर्तन साफ करते थे. यहां पूरे दिन काम करने के एवज में उन्‍हें केवल 7 रुपये ही मिला करते थे.

समस्तीपुर के उद्योगपति अमरदीप कुमार (ETV Bharat)

ट्यूशन से नहीं ठीक हुई जिंदगी : ईटीवी भारत से बात करते हुए अमरदीप ने बताया कि जब मैं 10th पास किया तो मैं ट्यूशन पढ़ना शुरू किया. ट्यूशन से मेरी जिंदगी ठीक हो गई थी. इतनी कमाई होने लगी थी कि घर चला सकता था. मैं पढ़ाई के लिए दिल्ली गया. दिल्ली में मैं ट्यूशन करता था. मुखर्जी नगर में रहता था.उन्होंने बताया कि यूपीएससी की दो बार परीक्षा दी है, लेकिन सफलता नहीं मिली.

बिहार के लोग कमाने जाते थे नेपाल: नेपाल में एक जगह मोरंग है. उत्तर बिहार के लोग मेहनत मजदूरी करने के लिए मोरंग जाते है. मोरंग एक इंडस्ट्रियल एरिया है. जहां लोगों को काम आसानी से मिल जाता है. मोरंग देश का नाम उत्तर बिहार में विदेश या फिर पलायन के तौर पर लिया जाता है. कई गीतों में इसकी चर्चा भी है. अमरदीप कुमार ने एक कंपनी बनाई जिसका नाम मोरंग देश रखा. यहां अगरबत्तियां बनाई जाती हैं और इसे कई ब्रांड हैं.

एक समारोह में उद्योगपति अमरदीप कुमार
एक समारोह में उद्योगपति अमरदीप कुमार (ETV Bharat)

बिहार में मोरंग बनाया है: अमरदीप ने कहा कि इस कंपनी की स्थापना मोरंग देश इसलिए किया क्योंकि वहां के गीत में मोरंग देश जाने का जिक्र होता था. जो विदेश जाने का प्रतीक है. वह बताते हैं कि जब पति प्रदेश जाता है उसकी पीड़ा में औरतें यह गीत गाती थी कि मोरंग देश नहीं जाना है. तो इसी के ऊपर इस कंपनी का नाम मोरंग देश रखा है. मोरंग देश नेपाल का एक जिला है जो इंडस्ट्रियल एरिया है.

पति-पत्नी साथ में काम करते हैं: उन्होंने कहा कि मैंने कोशिश की है कि मोरंग समस्तीपुर में ही स्थापित हो जाए. जहां पति-पत्नी दोनों मिलकर काम करें ताकि नेपाल ना जाना पड़े. अब समस्तीपुर में काफी पति-पत्नी साथ में काम करते हैं. जो पति कभी 10 साल तक बाहर काम करते थे. वह अब लौट कर मेरी कंपनी में काम करते हैं तो मुझे बहुत अच्छा लगता है. पति-पत्नी साथ में काम करते हैं साथ में पैसा कमाते और मुझे गर्व होता है.

मौरंग देश अगरबत्ती बनाते महिलाएं
मौरंग देश अगरबत्ती बनाते महिलाएं (ETV Bharat)

मोरंग देश नाम से 100 ब्रांड है: मोरंग देश नाम से 100 ब्रांड है. जिसमें अर्बन, सेमी अर्बन कई तरह के लग्जरी सेगमेंट भी बनाया है. इसके बेस पर मुझे काफी बिजनेस सेगमेंट मिल रहे हैं. मैने अभी कंपनी में 100 लोगों को रखा है. जो मार्केटिंग सेल्स और अगरबत्ती बनाने वाले लोग हैं. मैंने अपने घर को ही फैक्ट्री बना दिया है. अब मैं इंडस्ट्रियल एरिया में फैक्ट्री लगाने जा रहा हूं.

पूर्व डीआईजी के साथ विकाश वैभव
पूर्व डीआईजी के साथ विकाश वैभव (ETV Bharat)

जिस होटल में काम किया वहां गया था: अमरदीप ने बताया कि अभी जो मैंने कंपनी में अपना लास्ट टर्नओवर फाइल किया है वह एक करोड़ 18 लाख का है. अभी हमारा 3 साल भी नहीं पूरा हुआ है. इस साल हम लोग उम्मीद कर रहे हैं कि साढ़े तीन करोड़ प्लस टर्नओवर ले जाएंगे. ईटीवी भारत ने जब पूछा कि अब कभी जाना होता है उस होटल के पास उसे सिनेमा हॉल के पास तो अमरदीप ने बताया कि मैं बिल्कुल जाता हूं. वहां मैं अपने स्टाफ और बहुत सारे लोगों को लेकर वहां जाता हूं. मैं वहां खाना भी खाता हूं.

समस्तीपुर में अगरबत्ती बनाती महिलाएं
समस्तीपुर में अगरबत्ती बनाती महिलाएं (ETV Bharat)

12000 रुपये महीने से नौकरी शुरू की: उन्होंने कहा कि मेरे एक भाई थे प्रदीप कुमार. वह ड्राइवर का काम करते थे. ड्राइवर बिहार में बोलेरो लूटने के क्रम में उनकी हत्या कर दी गई थी. वह ड्राइविंग से जो पैसा कमाते थे, वह मेरे पढ़ाई के लिए दिल्ली भेजते थे. मेरी मेरी अंतिम मुलाकात मेरे भाई से इसी पटना के डाक बंगला चौराहे पर हुई थी. जब उनकी हत्या हुई थी तो उसके चेहरे को मैं पहचान भी नहीं पाया पाया था. मैंने नौकरी शुरू किया था तो ₹12000 महीने मिलते थे और जब मैं अंतिम नौकरी छोड़ी वह 27 लाख का पैकेज था.

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पटना: हिंदी सिनेमा में यह देखा जाता है कि हीरो का बचपन काफी संघर्ष और कठिनाइयों से गुजरता है और बाद में वह अचानक अमीर हो जाता है. आज हम आपको एक ऐसे व्‍यक्ति की सफलता की कहानी सुनाने जा रहे हैं. जो कभी महज 7 रुपये रोजाना कमाई करते थे, लेकिन अपनी कड़ी मेहनत के बल पर आज 3 करोड़ रुपये के मालिक बन चुके हैं. इनके जीवन की कहानी किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं.

7 रुपये से खड़ा कर दी तीन करोड़ की कंपनी: ये हैं समस्तीपुर अमरदीप कुमार इनके जीवन की कहानी किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं. वे बिहार स्थित समस्तीपुर में अगरबत्ती का कारखाना चलाते हैं. इसके साथ ही कई लोगों को रोजगार भी मुहैया करवा रहे हैं. जिन्होंने बचपन से ही आर्थिक तंगी का सामना किया. बेहद छोटी उम्र से ही उन्होंने पैसे कमाने शुरू कर दिए थे. समस्तीपुर के एक होटल में झूठे बर्तन साफ करते थे. यहां पूरे दिन काम करने के एवज में उन्‍हें केवल 7 रुपये ही मिला करते थे.

समस्तीपुर के उद्योगपति अमरदीप कुमार (ETV Bharat)

ट्यूशन से नहीं ठीक हुई जिंदगी : ईटीवी भारत से बात करते हुए अमरदीप ने बताया कि जब मैं 10th पास किया तो मैं ट्यूशन पढ़ना शुरू किया. ट्यूशन से मेरी जिंदगी ठीक हो गई थी. इतनी कमाई होने लगी थी कि घर चला सकता था. मैं पढ़ाई के लिए दिल्ली गया. दिल्ली में मैं ट्यूशन करता था. मुखर्जी नगर में रहता था.उन्होंने बताया कि यूपीएससी की दो बार परीक्षा दी है, लेकिन सफलता नहीं मिली.

बिहार के लोग कमाने जाते थे नेपाल: नेपाल में एक जगह मोरंग है. उत्तर बिहार के लोग मेहनत मजदूरी करने के लिए मोरंग जाते है. मोरंग एक इंडस्ट्रियल एरिया है. जहां लोगों को काम आसानी से मिल जाता है. मोरंग देश का नाम उत्तर बिहार में विदेश या फिर पलायन के तौर पर लिया जाता है. कई गीतों में इसकी चर्चा भी है. अमरदीप कुमार ने एक कंपनी बनाई जिसका नाम मोरंग देश रखा. यहां अगरबत्तियां बनाई जाती हैं और इसे कई ब्रांड हैं.

एक समारोह में उद्योगपति अमरदीप कुमार
एक समारोह में उद्योगपति अमरदीप कुमार (ETV Bharat)

बिहार में मोरंग बनाया है: अमरदीप ने कहा कि इस कंपनी की स्थापना मोरंग देश इसलिए किया क्योंकि वहां के गीत में मोरंग देश जाने का जिक्र होता था. जो विदेश जाने का प्रतीक है. वह बताते हैं कि जब पति प्रदेश जाता है उसकी पीड़ा में औरतें यह गीत गाती थी कि मोरंग देश नहीं जाना है. तो इसी के ऊपर इस कंपनी का नाम मोरंग देश रखा है. मोरंग देश नेपाल का एक जिला है जो इंडस्ट्रियल एरिया है.

पति-पत्नी साथ में काम करते हैं: उन्होंने कहा कि मैंने कोशिश की है कि मोरंग समस्तीपुर में ही स्थापित हो जाए. जहां पति-पत्नी दोनों मिलकर काम करें ताकि नेपाल ना जाना पड़े. अब समस्तीपुर में काफी पति-पत्नी साथ में काम करते हैं. जो पति कभी 10 साल तक बाहर काम करते थे. वह अब लौट कर मेरी कंपनी में काम करते हैं तो मुझे बहुत अच्छा लगता है. पति-पत्नी साथ में काम करते हैं साथ में पैसा कमाते और मुझे गर्व होता है.

मौरंग देश अगरबत्ती बनाते महिलाएं
मौरंग देश अगरबत्ती बनाते महिलाएं (ETV Bharat)

मोरंग देश नाम से 100 ब्रांड है: मोरंग देश नाम से 100 ब्रांड है. जिसमें अर्बन, सेमी अर्बन कई तरह के लग्जरी सेगमेंट भी बनाया है. इसके बेस पर मुझे काफी बिजनेस सेगमेंट मिल रहे हैं. मैने अभी कंपनी में 100 लोगों को रखा है. जो मार्केटिंग सेल्स और अगरबत्ती बनाने वाले लोग हैं. मैंने अपने घर को ही फैक्ट्री बना दिया है. अब मैं इंडस्ट्रियल एरिया में फैक्ट्री लगाने जा रहा हूं.

पूर्व डीआईजी के साथ विकाश वैभव
पूर्व डीआईजी के साथ विकाश वैभव (ETV Bharat)

जिस होटल में काम किया वहां गया था: अमरदीप ने बताया कि अभी जो मैंने कंपनी में अपना लास्ट टर्नओवर फाइल किया है वह एक करोड़ 18 लाख का है. अभी हमारा 3 साल भी नहीं पूरा हुआ है. इस साल हम लोग उम्मीद कर रहे हैं कि साढ़े तीन करोड़ प्लस टर्नओवर ले जाएंगे. ईटीवी भारत ने जब पूछा कि अब कभी जाना होता है उस होटल के पास उसे सिनेमा हॉल के पास तो अमरदीप ने बताया कि मैं बिल्कुल जाता हूं. वहां मैं अपने स्टाफ और बहुत सारे लोगों को लेकर वहां जाता हूं. मैं वहां खाना भी खाता हूं.

समस्तीपुर में अगरबत्ती बनाती महिलाएं
समस्तीपुर में अगरबत्ती बनाती महिलाएं (ETV Bharat)

12000 रुपये महीने से नौकरी शुरू की: उन्होंने कहा कि मेरे एक भाई थे प्रदीप कुमार. वह ड्राइवर का काम करते थे. ड्राइवर बिहार में बोलेरो लूटने के क्रम में उनकी हत्या कर दी गई थी. वह ड्राइविंग से जो पैसा कमाते थे, वह मेरे पढ़ाई के लिए दिल्ली भेजते थे. मेरी मेरी अंतिम मुलाकात मेरे भाई से इसी पटना के डाक बंगला चौराहे पर हुई थी. जब उनकी हत्या हुई थी तो उसके चेहरे को मैं पहचान भी नहीं पाया पाया था. मैंने नौकरी शुरू किया था तो ₹12000 महीने मिलते थे और जब मैं अंतिम नौकरी छोड़ी वह 27 लाख का पैकेज था.

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