जबलपुर. देवास की सोनकच्छ की तहसीलदार अंजली गुप्ता का मामला अभी शांति नहीं हुआ था कि जबलपुर के शाहपुरा के तहसीलदार (Shapura tehseeldar) कल्याण सिंह का एक वीडियो सामने आया है. वीडियो में तहसीलदार गरीबों से बहस करते हुए नजर आ रहे हैं. इतना ही नहीं, वे गरीब आदिवासी के राशन कार्ड संबंधी काम के लिए सीधे-सीधे मना करते नजर आ रहे हैं. ऐसे में शाहपुरा तहसीलदार के कार्य करने के तरीके पर भी सवाल उठ रहे हैं.
तहसीलदार तय करते हैं आवेदक गरीब या नहीं
सरकार गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों को बहुत सी सुविधाएं देती है, जिसमें सबसे बड़ी सुविधा राशन की है. वहीं मनरेगा के जरिए गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों को रोजगार दिया जाता है. इसमें 100 दिनों के काम की गारंटी है. इसके अलावा आयुष्मान कार्ड योजना के तहत 5 लाख तक का इलाज भी दिया जाता है. ऐसे में गरीबी रेखा में नाम जुड़वाने के लिए मध्य प्रदेश में लोक सेवा के सेंटर्स से ऑनलाइन आवेदन किए जाते हैं, जिसके बाद पटवारी दी गई जानकारी की जांच करने के बाद फाइल तहसीलदार को भेजते हैं. तहसीलदार तय करते हैं कि आवेदक गरीबी रेखा की सूची में शामिल हो सकता है या नहीं. लेकिन कुछ गरीब वर्ग के लोग शाहपुरा तहसीलदार के चक्कर काट-काट कर परेशान हैं क्योंकि उन्होंने गरीबों का काम करने से साफ मना कर दिया है.
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तहसीलदार ने कहा नहीं करेंगे साइन
जबलपुर की शाहपुरा तहसील से 10 किलोमीटर दूर खेड़ी नाम का गांव है. इस गांव के कई गरीब आदिवासी गरीबी रेखा के सर्वे में सही पाए गए और उनका नाम गरीबी रेखा की सूची में आ गया लेकिन इन्हें अभी तक राशन नहीं मिल रहा है. इसके लिए इन्हें तहसीलदार से पात्रता पर्ची चाहिए. जब ये लोग पात्रता पर्ची बनवाने के लिए शाहपुरा तहसील पहुंचे तो इन्हें साफ मना कर दिया गया. पीड़ितों ने बताया कि ये समस्या बीते कई दिनों से चल रही थी. बीते दिनों गांव के बहुत सारे युवक सरपंच के साथ यहां पहुंचे और उन्होंने तहसीलदार से पूछा कि वे पात्रता पर्ची क्यों नहीं बना रहे हैं? तो तहसीलदार कल्याण सिंह (Tehseeldar Kalyan Singh) ने कहा कि हम नहीं बनाएंगे आपको जो करना है वह कर लो. पीड़ितों ने तहसीलदार का एक वीडियो भी बनाया जो वायरल हो रहा है.