पलामूः 27 नवंबर 1986 एवं 1991 में पलामू के बिश्रामपुर थाना क्षेत्र के पंचमुखी मंदिर में चोरी की घटना हुई थी. मंदिर से भगवान कुबेर एवं द्वारपाल जय और विजय की मूर्ति चोरी हुई थी. कुबेर के मूर्ति बरामद होने के बाद वापस मंदिर में पहुंच गया लेकिन जय और विजय की मूर्ति आज भी बिश्रामपुर थाना के मालखाना में पड़ी हुई है.
1987 के अंतिम महीने में जय और विजय की मूर्ति को बरामद किया गया था लेकिन आज तक यह थाना के मालखाना में पड़े हुए हैं. जय और विजय की मूर्ति को लेकर पंचमुखी मंदिर के पुजारी अच्युतानंद पांडेय बताते हैं कि लंबा वक्त बीत जाने के बाद मूर्तियों का अभिलेख नहीं मिल पा रहा है. लंबे समय से इसके लिए प्रयास किया जा रहे हैं. कानूनी प्रक्रिया के दौरान उनसे यह कहा भी गया था कि वह मंदिर के पुजारी हैं इस बात को साबित करना होगा.
1872 में बनाई गई थी मंदिर, यहां सजता था राम दरबार
1872 में बिश्रामपुर के राजमाता हीरानाथ कुंवर ने पंचमुखी मंदिर का निर्माण करवाया था. मंदिर में अष्टधातु से निर्मित मूर्तियों की स्थापना की गई थी. इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व रहा है और दूर-दूर से लोग पूजा करने के लिए पहुंचते हैं. बिश्रामपुर राज परिवार के रागिनी सिंह बताती है चोरी की घटना के बाद एफआईआर करवाया गया था, मूर्तियों को वापस लाने के लिए लंबे वक्त से प्रयास किया जा रहा है. प्रॉपर डॉक्यूमेंटेशन नही था. यह हमारी पुश्तैनी मंदिर है, राज परिवार ही देखभाल करता है. प्रयास किया जा रहे हैं लेकिन सफलता नहीं मिली है.
चोरी करने वालों की हो चुकी है मौत, चोर की पत्नी ने खोला था राज
पंचमुखी मंदिर में चोरी करने का आरोप जिन लोगों पर लगा था उनकी मौत हो चुकी है. सभी विश्रामपुर के इलाके के ही रहने वाले थे. एक चोर मूर्ति को घर ले गया था और उसे काट रहा था, इस दौरान उसकी पत्नी ने देख लिया था और काटने से मना किया. बाद में चोर की पत्नी ने पूरे मामले की जानकारी अपनी मां को दी थी. पत्नी और उसकी मां एक साथ पुलिस के पास पहुंची और पूरे मामले की जानकारी दी थी. जिसके बाद चोरी की मूर्ति बरामद हुई थी.
2008 में थाना में लगी थी आग, मूर्तियों की हुई थी इंफेंट्री इंट्री
इस मामले को लेकर पलामू एसपी रीष्मा रमेशन ने बताया कि 2008 में विश्रामपुर थाना में आग लगी थी. इस घटना में मलखाना से संबंधित कई दस्तावेज जल गए थे. उसे दौरान हुई इन्फेंट्री इंट्री में मूर्तियों का जिक्र है. कोर्ट की तरफ से अभी तक इन मूर्तियों को रिलीज करने का आदेश नहीं मिला है, जिस कारण यह मलखाना में सुरक्षित रखें हुए हैं.
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