अलीगढ़ः विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के यूनानी मेडिसिन संकाय के आठ विभागों के लिए स्टाईपेंड (वजीफा) की मंजूरी दी है. जिससे स्नातकोत्तर (एमडी) छात्रों को वित्तीय राहत मिलेगी. 1986 में यूनानी चिकित्सा संकाय ने पहली बार तीन स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए स्टाईपेंड देना शुरू किया था. लगभग 35 वर्षों के प्रयासों के बाद प्राप्त 8 विभागों को स्वीकृति एएमयू में यूनानी चिकित्सा की शैक्षणिक और व्यावसायिक स्थिति में सुधार होगा. जराहत, तहफ्फुजी वा समाजी तिब, अमराज-ए-निस्वान वा अतफाल, तशरेच वा मुनाफुल अजा, इजात बिट तदबीर, अमराज-आर-जिल्द वा जोहरावैया, इल्मुल सैदला और इल्मुल अमराज विभाग के एमडी छात्रों को यह स्टाइपेंड मिलेगा.
अजमल खान तिब्बिया कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. बदरुद्दूजा खान ने कहा कि यह स्टाईपेंड न केवल छात्रों को आर्थिक रूप से लाभान्वित करेगा बल्कि संकाय के शैक्षणिक मानकों को भी बढ़ाएगा. उन्होंने कहा कि इससे हमारे प्रवेश मानकों में सुधार होगा. वित्तीय सहायता से छात्रों पर बोझ कम होगा, जिससे वे अपनी पढ़ाई और शोध पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकेंगे. उन्होंने कहा, इस सहायता से छात्र अब वित्तीय बाधाओं के बिना अपनी शिक्षा और शोध पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित कर सकते हैं. उम्मीद है कि इससे एडमिशन के मानकों में सुधार होगा.
डॉ. जमीर अहमद ने कहा कि यूनानी चिकित्सा के एचडी के छात्र पढ़ाई के दौरान अस्पताल में नौकरी भी करते हैं. दिन-रात वह मरीज का इलाज करते हैं और मेहनत करते हैं, जिसका उनको कोई पैसा नहीं मिलता था. लेकिन भारत सरकार के इस फैसले से अब उनको पैसा मिलेगा. इस पैसे से अच्छी तरीके से नई-नई रिसर्च भी कर सकते हैं, जिससे यूनानी चिकित्सक को फायदा होगा. यूनानी के छात्र माज ने भारत सरकार के फैसले का धन्यवाद करते हुए कहा, जो पहले हमें रिसर्च करने में दुश्वारियां होती थी, वह अब नहीं होगी. हम लोगों को नई-नई रिसर्च करने और रिसर्च पेपर प्रजेंट करने में मदद मिलेगी.