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लोकसभा चुनाव 2024: मुकाबला मजबूत भाजपा से, आपस में ही बयानों के तीर छोड़ने में व्यस्त हैं इंडिया दलों के नेता

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 25, 2024, 10:22 AM IST

Updated : Feb 25, 2024, 10:56 AM IST

Lok Sabha elections. लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहा है. सभी दल रेस हो चुके हैं. भाजपा पूरे दमखम के साथ तैयारियों में जुट गई है. वहीं झारखंड में इंडि गठबंधन के दलों में एकता नहीं दिख रही है. परस्पर विरोधी बयान आ रहे हैं. अब देखने वाली बात होगी कि ऐसी परिस्थिति में वो एनडीए का मुकाबला कैसे कर पाते हैं.

Statements of leaders of India parties regarding Lok Sabha elections
Statements of leaders of India parties regarding Lok Sabha elections
चुनाव की तैयारी को लेकर नेताओं के बयान

रांची: लोकसभा चुनाव 2024 की दहलीज पर देश खड़ा है. भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दल यहां तक कि उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों में इंडि गठबंधन में भी चुनावी तैयारी और गठबंधन आकार लेता दिख रहा है, लेकिन 14 लोकसभा सीट वाले झारखंड में माहौल दूसरा ही है. झारखंड में भारतीय जनता पार्टी और उसकी सहयोगी आजसू पार्टी जहां लगातार कार्यक्रम और बैठक कर रही है. वहीं इंडिया दलों के बीच आपस में ही घमासान मचा है. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि पहले से ही बेहद मुश्किल लोकसभा चुनाव में भाजपा के विरोध के लिए एकजुट हुई पार्टियों के अंदर का असंतोष क्या गुल खिलाने जा रहा है.

झारखंड में भाजपा के सामने सत्ताधारी दलों की तैयारियां कहीं दिख नहीं रही हैं. दिख रही है तो सिर्फ आपसी खींचतान और गुटबाजी. ऐसे में झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता को उम्मीद है कि इस बार झारखंड के लोकसभा चुनाव देशभर से अलग होगा. यहां की जनता हेमंत सोरेन पर किये गए जुल्म के खिलाफ स्वतः गोलबंद होकर भाजपा और उसके सहयोगी दलों को सबक सिखाएगी.

इंडि गठबंधन में दोस्ताना संघर्ष के बन रहे हैं हालात

राज्य में जिस तरह से सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई माले, मासस, राजद और आप की लोकसभा चुनाव लड़ने की चाहत है. झामुमो-कांग्रेस एक सीमा तक ही बड़ा दिल दिखाने को तैयार है. बहुत मुमकिन है कि झारखंड में लोकसभा चुनाव की स्थिति कमोबेश 2019 जैसी न हो जाए. तब राजद को महागठबंधन में एक लोकसभा सीट पलामू मिला था और तब चतरा से भी राजद ने कांग्रेस के खिलाफ उम्मीदवार दे दिया था और भाजपा ने चतरा और पलामू दोनों सीट जीत ली थी.
सीपीआई के राज्य सचिव महेंद्र पाठक कहते हैं कि हजारीबाग में कांग्रेस का कोई आधार नहीं है. भाजपा को वहां दो बार किसी ने हराया है तो वह सीपीआई ही है.

चुनाव की घोषणा होते ही कई नेता पाला भी बदलेंगे

इंडिया दल एक-दूसरे पर बयानबाजी ही नहीं कर रहे हैं. सूत्र बताते हैं कि बहुत संभव है कि लोकसभा चुनाव की घोषणा होते ही राज्य में इंडिया दलों के नेता दल बदल भी करेंगे. सूत्र बताते हैं कि इंडिया दल के कई नेता ने अलग अलग लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की उम्मीदें पाल रखी हैं. अगर वह पूरा नहीं होता दिखा तो दलबदल से भी ऐसे नेताओं को कोई परहेज नहीं होगा.

क्या राज्य के इंडिया दल बढ़ा पायेंगे लोकसभा सीट या NDA कर जाएगा क्लीन स्वीप

2019 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को एक और झामुमो को एक लोकसभा सीट मिली थी. 11 सीट पर भाजपा और 1 सीट उसकी सहयोगी पार्टी आजसू को मिली थी. ऐसे में अब सवाल उठता है कि क्या इस बार भी यही होने जा रहा है या 2019 से सबक लेने की कोई तैयारी इंडिया दलों ने की है.

कांग्रेस और झामुमो के नाराज माननीय कितना बिगाड़ेंगे खेल

काँग्रेस के प्रदेश संगठन और चार मंत्रियों के खिलाफ 12 विधायकों की नाराजगी जारी है. वहीं मंत्री नहीं बनाए जाने के बाद से झामुमो विधायक सीता सोरेन ने रहस्यमयी चुप्पी साध ली है तो लोबिन हेम्ब्रम ने उलगुलान की तैयारी कर ली है. इस बीच बैद्यनाथ राम के मंत्री नहीं बनाए जाने के बाद इसे दलित समुदाय का अपमान बनाने का मुद्दा अपनी जगह बना हुआ है और इसका फायदा लेने के लिए भाजपा तैयार बैठी है. राज्य के वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार कहते हैं कि अगर राज्य में भाजपा को परास्त करना है तो इंडिया के सभी दलों को दिल से एक साथ होना होगा और एक-दूसरे की मदद करने के लिए तैयार रहना होगा, अन्यथा राज्य में इंडि गठबंधन का बेहतरीन प्रदर्शन बहुत मुश्किल है.

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झामुमो-कांग्रेस के रवैये से झारखंड राजद और वामपंथी नेता नाराज, कहा- हमारे समर्थन के बिना बीजेपी को हराना नामुमकिन


चुनाव की तैयारी को लेकर नेताओं के बयान

रांची: लोकसभा चुनाव 2024 की दहलीज पर देश खड़ा है. भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दल यहां तक कि उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों में इंडि गठबंधन में भी चुनावी तैयारी और गठबंधन आकार लेता दिख रहा है, लेकिन 14 लोकसभा सीट वाले झारखंड में माहौल दूसरा ही है. झारखंड में भारतीय जनता पार्टी और उसकी सहयोगी आजसू पार्टी जहां लगातार कार्यक्रम और बैठक कर रही है. वहीं इंडिया दलों के बीच आपस में ही घमासान मचा है. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि पहले से ही बेहद मुश्किल लोकसभा चुनाव में भाजपा के विरोध के लिए एकजुट हुई पार्टियों के अंदर का असंतोष क्या गुल खिलाने जा रहा है.

झारखंड में भाजपा के सामने सत्ताधारी दलों की तैयारियां कहीं दिख नहीं रही हैं. दिख रही है तो सिर्फ आपसी खींचतान और गुटबाजी. ऐसे में झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता को उम्मीद है कि इस बार झारखंड के लोकसभा चुनाव देशभर से अलग होगा. यहां की जनता हेमंत सोरेन पर किये गए जुल्म के खिलाफ स्वतः गोलबंद होकर भाजपा और उसके सहयोगी दलों को सबक सिखाएगी.

इंडि गठबंधन में दोस्ताना संघर्ष के बन रहे हैं हालात

राज्य में जिस तरह से सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई माले, मासस, राजद और आप की लोकसभा चुनाव लड़ने की चाहत है. झामुमो-कांग्रेस एक सीमा तक ही बड़ा दिल दिखाने को तैयार है. बहुत मुमकिन है कि झारखंड में लोकसभा चुनाव की स्थिति कमोबेश 2019 जैसी न हो जाए. तब राजद को महागठबंधन में एक लोकसभा सीट पलामू मिला था और तब चतरा से भी राजद ने कांग्रेस के खिलाफ उम्मीदवार दे दिया था और भाजपा ने चतरा और पलामू दोनों सीट जीत ली थी.
सीपीआई के राज्य सचिव महेंद्र पाठक कहते हैं कि हजारीबाग में कांग्रेस का कोई आधार नहीं है. भाजपा को वहां दो बार किसी ने हराया है तो वह सीपीआई ही है.

चुनाव की घोषणा होते ही कई नेता पाला भी बदलेंगे

इंडिया दल एक-दूसरे पर बयानबाजी ही नहीं कर रहे हैं. सूत्र बताते हैं कि बहुत संभव है कि लोकसभा चुनाव की घोषणा होते ही राज्य में इंडिया दलों के नेता दल बदल भी करेंगे. सूत्र बताते हैं कि इंडिया दल के कई नेता ने अलग अलग लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की उम्मीदें पाल रखी हैं. अगर वह पूरा नहीं होता दिखा तो दलबदल से भी ऐसे नेताओं को कोई परहेज नहीं होगा.

क्या राज्य के इंडिया दल बढ़ा पायेंगे लोकसभा सीट या NDA कर जाएगा क्लीन स्वीप

2019 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को एक और झामुमो को एक लोकसभा सीट मिली थी. 11 सीट पर भाजपा और 1 सीट उसकी सहयोगी पार्टी आजसू को मिली थी. ऐसे में अब सवाल उठता है कि क्या इस बार भी यही होने जा रहा है या 2019 से सबक लेने की कोई तैयारी इंडिया दलों ने की है.

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काँग्रेस के प्रदेश संगठन और चार मंत्रियों के खिलाफ 12 विधायकों की नाराजगी जारी है. वहीं मंत्री नहीं बनाए जाने के बाद से झामुमो विधायक सीता सोरेन ने रहस्यमयी चुप्पी साध ली है तो लोबिन हेम्ब्रम ने उलगुलान की तैयारी कर ली है. इस बीच बैद्यनाथ राम के मंत्री नहीं बनाए जाने के बाद इसे दलित समुदाय का अपमान बनाने का मुद्दा अपनी जगह बना हुआ है और इसका फायदा लेने के लिए भाजपा तैयार बैठी है. राज्य के वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार कहते हैं कि अगर राज्य में भाजपा को परास्त करना है तो इंडिया के सभी दलों को दिल से एक साथ होना होगा और एक-दूसरे की मदद करने के लिए तैयार रहना होगा, अन्यथा राज्य में इंडि गठबंधन का बेहतरीन प्रदर्शन बहुत मुश्किल है.

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Last Updated : Feb 25, 2024, 10:56 AM IST
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