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बड़ी खबर: फिलहाल जगदा बाबू की नाराजगी हुई दूर, लेकिन जल्द RJD को मिलेगा नया प्रदेश अध्यक्ष - JAGDANAND SINGH

जगदानंद सिंह की आरजेडी से नाराजगी की खबरों पर विराम लगा. वहीं कहा जा रहा है मार्च तक नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होगा.

State president Jagdanand Singh
जगदानंद सिंह की नाराजगी हुई दूर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 6 hours ago

पटना: राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पार्टी से नाराज होने की खबर आ रही थी. पिछले 25 नवंबर से जगदानंद सिंह ने राजद के प्रदेश कार्यालय से अपनी दूरी बना ली थी, लेकिन अब खबर आ रही है कि जगदानंद सिंह की नाराजगी खत्म हो गई है. वे आज पार्टी कार्यालय आ सकते हैं. इस तरह से उनकी नाराजगी की अटकलों पर विराम लग गया है.

मार्च तक मिलेगा आरजेडी को नया प्रदेश अध्यक्ष: पार्टी के प्रदेश महासचिव भाई अरुण ने ईटीवी भारत से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि जगदानंद सिंह कल तक पार्टी कार्यालय नहीं आए थे. नाराजगी के सवाल पर उनका कहना था कि नाराजगी की जानकारी उन लोगों को नहीं है. लेकिन भाई अरुण ने कहा कि उनका (जगदा बाबू) कार्यकाल आगामी मार्च महीने तक है. इसलिए इस्तीफा की खबर में बहुत ज्यादा सच्चाई नहीं थी.

State president Jagdanand Singh
लालू यादव के साथ जगदानंद सिंह की तस्वीर (ETV Bharat)

"अभी पार्टी का सदस्यता अभियान चल रहा है. सदस्यता अभियान के बाद प्रखंड और जिला कमेटी का गठन होगा. उसके बाद प्रदेश कमेटी और अध्यक्ष का चुनाव संपन्न होता है."- भाई अरुण, प्रदेश महासचिव, आरजेडी

नाराजगी का कारण: जगदानंद सिंह के नाराजगी का कारण बिहार विधानसभा के चार सीटों पर हुए उपचुनाव का रिजल्ट था. चार सीटों पर हुए उपचुनाव में राजद का प्रदर्शन बहुत खराब हुआ था. आरजेडी अपने कोटे की दोनों सीट सहित महागठबंधन कोटे की तीनों सीट पर हार गई थी.

रामगढ़ सीट भी नहीं बचा पाए: यही कारण है कि हार की जिम्मेदारी लेते हुए जगदानंद सिंह ने इस्तीफा देने की इच्छा राष्ट्रीय अध्यक्ष को जाहिर की थी, लेकिन लालू प्रसाद यादव इसके लिए तैयार नहीं हुए. बिहार विधानसभा की चार सीटों पर हुए उपचुनाव में एक सीट रामगढ़ की सीट भी थी. रामगढ़ की सीट जगदानंद सिंह की परंपरागत सीट रही है, जहां से वह छह बार विधायक चुने जा चुके हैं.

छोटे बेटे की हुई हार: इसी सीट पर 2020 के चुनाव में उनके बड़े बेटे सुधाकर सिंह ने जीत हासिल की थी, लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव में सुधाकर सिंह के बक्सर से सांसद बनने के कारण उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था. सुधाकर सिंह के इस्तीफे के कारण इस सीट पर उपचुनाव हुआ, जहां से जगदानंद सिंह के छोटे बेटे अजीत सिंह को राजद ने अपना उम्मीदवार बनाया. लेकिन इस उपचुनाव में आरजेडी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. अजीत सिंह तीसरे नंबर पर रहे और इस सीट से बीजेपी के प्रत्याशी की जीत हुई.

'नहीं रूठे थे जगदा बाबू': जगदानंद सिंह की नाराजगी दूर होने के सवाल पर ईटीवी भारत ने पार्टी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी से फोन पर बातचीत की तो उन्होंने कहा कि मैंने पहले ही कहा था कि उनकी पार्टी से कोई नाराजगी नहीं है. पार्टी कार्यालय नहीं आने के कई कारण हो सकते हैं. उनका स्वास्थ्य भी इसका कारण हो सकता है.

State president Jagdanand Singh
रामगढ़ उपचुनाव में प्रचार के दौरान तेजस्वी (ETV Bharat)

"जगदानंद सिंह का आरजेडी से रूठने का कोई सवाल ही नहीं है. वह पार्टी के स्थापना काल के नेता हैं. इसीलिए पार्टी को वह कभी कमजोर नहीं कर सकते. हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद और विरोधी दल के नेता तेजस्वी यादव आगामी चुनाव की तैयारी कर रहे हैं. जगदा बाबू के मार्गदर्शन में प्रदेश में पार्टी अच्छे से काम कर रही है."- मृत्युंजय तिवारी, आरजेडी प्रवक्ता

'नाराज कब थे जगदा बाबू': राजद के प्रवक्ता एजाज अहमद से ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत की तो एजाज अहमद ने कहा कि जगदा बाबू कभी पार्टी से नाराज नहीं थे. हालांकि एजाज अहमद ने कहा कि जगदानंद सिंह व्यक्तिगत कारणों से पिछले कुछ दिनों से पार्टी कार्यालय नहीं आ रहे हैं.

"अभी तक वह पार्टी कार्यालय नहीं आए हैं, लेकिन यह जो खबर चल रही थी कि वह पार्टी से रूठ गए हैं, इसमें कोई सच्चाई नहीं थी. वह हमेशा लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के हाथों को मजबूत करते रहेंगे."- एजाज अहमद,आरजेडी प्रवक्ता

जगदा बाबू 3 बार हो चुके हैं नाराज: जगदानंद सिंह जब से राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष बने हैं, तब से वह तीन बार पार्टी कार्यालय आना छोड़ चुके हैं. हर बार यह कहा जा रहा था कि जगदानंद सिंह पार्टी से नाराज होकर पार्टी कार्यालय नहीं आ रहे हैं. इससे पहले भी दो बार उन्होंने पार्टी से नाराज होकर प्रदेश कार्यालय आना छोड़ दिया था.

तेजप्रताप से जगदानंद का टकराव: 5 जुलाई 2021 को छात्र आरजेडी के एक कार्यक्रम में तेजप्रताप यादव ने जगदानंद सिंह को 'हिटलर' तक कह दिया था. तेजप्रताप की इस बात से जगदानंद इतने खफा हुए कि वह पार्टी कार्यालय आना छोड़ दिये थे. स्थिति ऐसी हो गई कि 15 अगस्त को प्रदेश कार्यालय में झंडोतोलन में भी जगदानंद सिंह नहीं पहुंचे थे.

तेजप्रताप यादव के करीबी पर की थी कार्रवाई: तेजस्वी यादव को पार्टी कार्यालय आकर तिरंगा झंडा फहराना पड़ा. काफी मान मनौव्वल के बाद 18 अगस्त को तेजस्वी यादव खुद जगदानंद सिंह को लेकर पार्टी कार्यालय पहुंचे थे, लेकिन पार्टी कार्यालय पहुंचते ही जगदानंद सिंह ने कार्रवाई करते हुए तेजप्रताप यादव के करीबी आकाश यादव को छात्र राजद के प्रदेश अध्यक्ष से हटाकर गगन कुमार को छात्र राजद का अध्यक्ष नियुक्त किया. उनकी कार्यशैली में कोई बदलाव नहीं आया, वह पहले की तरह ही काम करते रहे.

2022 में भी हुए थे नाराज: जगदानंद सिंह ने दूसरी बार 2022 में भी पार्टी कार्यालय से दूरी बना ली थी. जगदानंद सिंह के बड़े बेटे सुधाकर सिंह बतौर कृषि मंत्री लगातार नीतीश कुमार के खिलाफ हमलावर थे. ऐसी स्थिति बनी कि सुधाकर सिंह को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. सुधाकर सिंह के इस्तीफे को स्वीकार किए जाने के बाद से जगदानंद सिंह नाराज थे. वो चाहते थे कि उनके बेटे मंत्री बने रहे लेकिन उनका इस्तीफा ले लिया गया.

दूसरी बार लालू ने मनाया: 2 अक्टूबर 2022 से जगदानंद सिंह ने पार्टी ऑफिस आना बंद कर दिया. आखिरकार सिंगापुर जाने से पहले 28 नवंबर को लालू यादव ने उन्हें मना लिया और जगदानंद सिंह ने फिर से पार्टी कार्यालय आना शुरू किया. जब पत्रकारों ने जगदा बाबू से नाराजगी का कारण पूछा तो उन्होंने अपने सिर पर राजद की टोपी का इशारा कर अपना जबाव दिया था.

जानकारों की राय: जगदानंद सिंह की नाराजगी दूर होने के सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडेय ने ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत में बताया कि जगदानंद सिंह के लिए पार्टी से रूठना कोई नई बात नहीं है. इससे पहले भी वह कई बार पार्टी से नाराज होकर महीनों तक पार्टी कार्यालय आना छोड़ चुके थे. सुनील पांडेय का कहना है कि जगदा बाबू नियम कानून के आधार पर पार्टी चलाना चाहते हैं, लेकिन वह भूल जाते हैं कि वह राजद के प्रदेश अध्यक्ष हैं.

"वर्क कल्चर को लेकर शुरू से ही उनकी टकराहट पार्टी के कार्यकर्ताओं से होती रही है. उन्होंने पार्टी कार्यालय के अंदर अनुशासन बनाने की पहल की थी जिसमें कुछ हद तक वह कामयाब हुए थे. जगदा बाबू लालू प्रसाद यादव के सबसे करीबी मित्रों में से एक हैं इसीलिए उनकी अहमियत को लालू जी जानते हैं. यही कारण है कि बार-बार नाराज होने के बावजूद लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव उनको फिर से मनाने में कामयाब हो जाते हैं."-सुनील पांडेय,वरिष्ठ पत्रकार

'नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश में पार्टी': सुनील पांडेय का कहना है कि अब जगदा बाबू की भी उम्र हो गई है, इसीलिए आरजेडी अब नए अध्यक्ष की तलाश में है. हो सकता है कि 2025 में राजद को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाए.

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मार्च तक मिलेगा आरजेडी को नया प्रदेश अध्यक्ष: पार्टी के प्रदेश महासचिव भाई अरुण ने ईटीवी भारत से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि जगदानंद सिंह कल तक पार्टी कार्यालय नहीं आए थे. नाराजगी के सवाल पर उनका कहना था कि नाराजगी की जानकारी उन लोगों को नहीं है. लेकिन भाई अरुण ने कहा कि उनका (जगदा बाबू) कार्यकाल आगामी मार्च महीने तक है. इसलिए इस्तीफा की खबर में बहुत ज्यादा सच्चाई नहीं थी.

State president Jagdanand Singh
लालू यादव के साथ जगदानंद सिंह की तस्वीर (ETV Bharat)

"अभी पार्टी का सदस्यता अभियान चल रहा है. सदस्यता अभियान के बाद प्रखंड और जिला कमेटी का गठन होगा. उसके बाद प्रदेश कमेटी और अध्यक्ष का चुनाव संपन्न होता है."- भाई अरुण, प्रदेश महासचिव, आरजेडी

नाराजगी का कारण: जगदानंद सिंह के नाराजगी का कारण बिहार विधानसभा के चार सीटों पर हुए उपचुनाव का रिजल्ट था. चार सीटों पर हुए उपचुनाव में राजद का प्रदर्शन बहुत खराब हुआ था. आरजेडी अपने कोटे की दोनों सीट सहित महागठबंधन कोटे की तीनों सीट पर हार गई थी.

रामगढ़ सीट भी नहीं बचा पाए: यही कारण है कि हार की जिम्मेदारी लेते हुए जगदानंद सिंह ने इस्तीफा देने की इच्छा राष्ट्रीय अध्यक्ष को जाहिर की थी, लेकिन लालू प्रसाद यादव इसके लिए तैयार नहीं हुए. बिहार विधानसभा की चार सीटों पर हुए उपचुनाव में एक सीट रामगढ़ की सीट भी थी. रामगढ़ की सीट जगदानंद सिंह की परंपरागत सीट रही है, जहां से वह छह बार विधायक चुने जा चुके हैं.

छोटे बेटे की हुई हार: इसी सीट पर 2020 के चुनाव में उनके बड़े बेटे सुधाकर सिंह ने जीत हासिल की थी, लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव में सुधाकर सिंह के बक्सर से सांसद बनने के कारण उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था. सुधाकर सिंह के इस्तीफे के कारण इस सीट पर उपचुनाव हुआ, जहां से जगदानंद सिंह के छोटे बेटे अजीत सिंह को राजद ने अपना उम्मीदवार बनाया. लेकिन इस उपचुनाव में आरजेडी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. अजीत सिंह तीसरे नंबर पर रहे और इस सीट से बीजेपी के प्रत्याशी की जीत हुई.

'नहीं रूठे थे जगदा बाबू': जगदानंद सिंह की नाराजगी दूर होने के सवाल पर ईटीवी भारत ने पार्टी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी से फोन पर बातचीत की तो उन्होंने कहा कि मैंने पहले ही कहा था कि उनकी पार्टी से कोई नाराजगी नहीं है. पार्टी कार्यालय नहीं आने के कई कारण हो सकते हैं. उनका स्वास्थ्य भी इसका कारण हो सकता है.

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रामगढ़ उपचुनाव में प्रचार के दौरान तेजस्वी (ETV Bharat)

"जगदानंद सिंह का आरजेडी से रूठने का कोई सवाल ही नहीं है. वह पार्टी के स्थापना काल के नेता हैं. इसीलिए पार्टी को वह कभी कमजोर नहीं कर सकते. हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद और विरोधी दल के नेता तेजस्वी यादव आगामी चुनाव की तैयारी कर रहे हैं. जगदा बाबू के मार्गदर्शन में प्रदेश में पार्टी अच्छे से काम कर रही है."- मृत्युंजय तिवारी, आरजेडी प्रवक्ता

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"अभी तक वह पार्टी कार्यालय नहीं आए हैं, लेकिन यह जो खबर चल रही थी कि वह पार्टी से रूठ गए हैं, इसमें कोई सच्चाई नहीं थी. वह हमेशा लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के हाथों को मजबूत करते रहेंगे."- एजाज अहमद,आरजेडी प्रवक्ता

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तेजप्रताप यादव के करीबी पर की थी कार्रवाई: तेजस्वी यादव को पार्टी कार्यालय आकर तिरंगा झंडा फहराना पड़ा. काफी मान मनौव्वल के बाद 18 अगस्त को तेजस्वी यादव खुद जगदानंद सिंह को लेकर पार्टी कार्यालय पहुंचे थे, लेकिन पार्टी कार्यालय पहुंचते ही जगदानंद सिंह ने कार्रवाई करते हुए तेजप्रताप यादव के करीबी आकाश यादव को छात्र राजद के प्रदेश अध्यक्ष से हटाकर गगन कुमार को छात्र राजद का अध्यक्ष नियुक्त किया. उनकी कार्यशैली में कोई बदलाव नहीं आया, वह पहले की तरह ही काम करते रहे.

2022 में भी हुए थे नाराज: जगदानंद सिंह ने दूसरी बार 2022 में भी पार्टी कार्यालय से दूरी बना ली थी. जगदानंद सिंह के बड़े बेटे सुधाकर सिंह बतौर कृषि मंत्री लगातार नीतीश कुमार के खिलाफ हमलावर थे. ऐसी स्थिति बनी कि सुधाकर सिंह को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. सुधाकर सिंह के इस्तीफे को स्वीकार किए जाने के बाद से जगदानंद सिंह नाराज थे. वो चाहते थे कि उनके बेटे मंत्री बने रहे लेकिन उनका इस्तीफा ले लिया गया.

दूसरी बार लालू ने मनाया: 2 अक्टूबर 2022 से जगदानंद सिंह ने पार्टी ऑफिस आना बंद कर दिया. आखिरकार सिंगापुर जाने से पहले 28 नवंबर को लालू यादव ने उन्हें मना लिया और जगदानंद सिंह ने फिर से पार्टी कार्यालय आना शुरू किया. जब पत्रकारों ने जगदा बाबू से नाराजगी का कारण पूछा तो उन्होंने अपने सिर पर राजद की टोपी का इशारा कर अपना जबाव दिया था.

जानकारों की राय: जगदानंद सिंह की नाराजगी दूर होने के सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडेय ने ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत में बताया कि जगदानंद सिंह के लिए पार्टी से रूठना कोई नई बात नहीं है. इससे पहले भी वह कई बार पार्टी से नाराज होकर महीनों तक पार्टी कार्यालय आना छोड़ चुके थे. सुनील पांडेय का कहना है कि जगदा बाबू नियम कानून के आधार पर पार्टी चलाना चाहते हैं, लेकिन वह भूल जाते हैं कि वह राजद के प्रदेश अध्यक्ष हैं.

"वर्क कल्चर को लेकर शुरू से ही उनकी टकराहट पार्टी के कार्यकर्ताओं से होती रही है. उन्होंने पार्टी कार्यालय के अंदर अनुशासन बनाने की पहल की थी जिसमें कुछ हद तक वह कामयाब हुए थे. जगदा बाबू लालू प्रसाद यादव के सबसे करीबी मित्रों में से एक हैं इसीलिए उनकी अहमियत को लालू जी जानते हैं. यही कारण है कि बार-बार नाराज होने के बावजूद लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव उनको फिर से मनाने में कामयाब हो जाते हैं."-सुनील पांडेय,वरिष्ठ पत्रकार

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