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Special : टैक्स की मार से दम तोड़ती ग्वारगम इंडस्ट्रीज, पड़ोसी राज्यों में कोई टैक्स नहीं - Guargum industries in Rajasthan

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 4, 2024, 2:30 PM IST

Guargum industries in Rajasthan, टैक्स की मार से राजस्थान में ग्वारगम इंडस्ट्रीज दम तोड़ रही है. प्रदेश में कृषि मंडी और सेस मिलाकर 2.60 प्रतिशत टैक्स लग रहा है. जबकि गुजरात, हरियाणा और पंजाब ने पूरी छूट दे रखी है. हालात यह है कि कभी 100 इकाइयां चलती थी, आज अब 5-6 रह गई है. इस बीच 20 हजार लोगों पर रोजगार संकट खड़ा हो गया है.

Guargum industries in Rajasthan
टैक्स की मार से दम तोड़ती ग्वारगम इंडस्ट्रीज (Photo : Etv Bharat)

टैक्स की मार से दम तोड़ती ग्वारगम इंडस्ट्रीज (Video : Etv Bharat)

जोधपुर. कभी राजस्थान सरकार को भरपूर टैक्स की कमाई देने वाली ग्वार इंडस्ट्रीज अब सरकार की नीतियों के चलते ही दम तोड़ रही है. पड़ोसी राज्य गुजरात, हरियाणा और पंजाब में ग्वार गम के प्लांट शिफ्ट हो रहे हैं. वजह है प्रदेश की कृषि मंडी में लगने वाला टैक्स जिसके चलते किसान अपनी उपज सीधे इन राज्यों की इंडस्ट्रीज में जाकर बेच रहा है. इससे उसे मंडी टैक्स 2.60 प्रतिशत की बचत हो रही है. खास बात यह है भी है कि ग्वार बेचने जाना वाला किसान उन्हीं फैक्ट्रियों से वापस पशु आहार के लिए चूरी खरीद कर ला रहा है. इससे सरकार और व्यापारियों को दोहरा नुकसान हो रहा है. किसानों और व्यापारियों का पलायन रोकने के लिए राजस्थान ग्वार गम मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने टैक्स में छूट देने के लिए मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है. एसोसिएशन के सचिव श्रेयांस मेहता ने बताया कि टैक्स की वजह से कभी निर्यात में सबसे आगे रहने वाला ग्वार गम व्यवसाय आज दम तोड़ रहा है.

सबसे बड़ा उत्पाद राजस्थान और खपत भी यहीं : पूरे भारत का 70 फीसदी से अधिक ग्वार राजस्थान में पैदा होता है. इसकी खपत भी सर्वाधिक राजस्थान में होती है. खासकर हनुमानगढ़, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर व सांचौर जिले के पशु पालक इसका उपयोग करते हैं. इसके अलावा इसका पाउडर जिसे गम कहा जाता है, वह एक्सपोर्ट होता था, लेकिन विगत 3 सालों से टैक्स की मार के चलते धीरे-धीरे जोधपुर की इंडस्ट्रीज बंद होने लगी है. कमोबेश यही हाल जैसलमेर और बीकानेर के हैं. अब सरकार पड़ोसी राज्यों की तरह यहां भी टैक्स में छूट दे तो ही वापस इंडस्ट्रीज चल सकेगी और हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा.

इसे भी पढ़ें : Special : अंग्रेजों के जमाने की लाइब्रेरी आज भी है कुचामन की शान, 100 साल बाद भी रौनक बरकरार - Kuchaman Library

हर बोरी पर 140 रुपए तक टैक्स : भारत में सर्वाधिक ग्वार का उत्पादन राजस्थान में होता है, लेकिन किसान प्रदेश की मंडी में बेचने की बजाय ग्वार को पड़ोसी राज्यों में जाकर ज्यादा बेच रहे हैं. इसका कारण है यहां कृषि मडी टैक्स 1.6 प्रतिशत और कृषि सेस 1 प्रतिशत लगता है. यानि कुल 2.6 प्रतिशत टैक्स किसानों को देना होता है. इस हिसाब से ग्वार के अभी भाव 5400 रुपए प्रति क्विंटल है, ऐसे में किसानों को 140 रुपए प्रति बोरी कर देना पड़ता है. इसके अलावा मंडी में करीब चार प्रतिशत आढ़त भी लगती है, जबकि पड़ोसी राज्य गुजरात, हरियाणा और पंजाब में ऐसा कोई टैक्स नहीं है. इसीलिए किसान वहां की फैक्ट्री पर जाकर सीधे फसल बेचने में ज्यादा रुचि ले रहे हैं.

सरकार को भी दोहरा नुकसान : वर्तमान में गुजरात, हरियाणा और पंजाब से लगते जिलों और नजदीकी जिले के किसान ग्वार की फसल वहां ले जा रहे हैं, जो प्रदेश में होनी वाली फसल का करीब 60 से 70 फीसदी है. प्रदेश की मंडियों में 30 से 40 प्रतिशत फसल आ रही है. ऐसे में सरकार को मंडी में मिलने वाले 2.60 फीसदी टैक्स की कमी हो रही है. इसके अलावा प्रदेश की ग्वार मिलों में बनने वाले गम पाउडर और चूरी की बिक्री से मिलने वाले राज्य के हिस्से के 5 से 9 फीसदी जीएसटी का भी नुकसान हो रहा है.

टैक्स की मार से दम तोड़ती ग्वारगम इंडस्ट्रीज (Video : Etv Bharat)

जोधपुर. कभी राजस्थान सरकार को भरपूर टैक्स की कमाई देने वाली ग्वार इंडस्ट्रीज अब सरकार की नीतियों के चलते ही दम तोड़ रही है. पड़ोसी राज्य गुजरात, हरियाणा और पंजाब में ग्वार गम के प्लांट शिफ्ट हो रहे हैं. वजह है प्रदेश की कृषि मंडी में लगने वाला टैक्स जिसके चलते किसान अपनी उपज सीधे इन राज्यों की इंडस्ट्रीज में जाकर बेच रहा है. इससे उसे मंडी टैक्स 2.60 प्रतिशत की बचत हो रही है. खास बात यह है भी है कि ग्वार बेचने जाना वाला किसान उन्हीं फैक्ट्रियों से वापस पशु आहार के लिए चूरी खरीद कर ला रहा है. इससे सरकार और व्यापारियों को दोहरा नुकसान हो रहा है. किसानों और व्यापारियों का पलायन रोकने के लिए राजस्थान ग्वार गम मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने टैक्स में छूट देने के लिए मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है. एसोसिएशन के सचिव श्रेयांस मेहता ने बताया कि टैक्स की वजह से कभी निर्यात में सबसे आगे रहने वाला ग्वार गम व्यवसाय आज दम तोड़ रहा है.

सबसे बड़ा उत्पाद राजस्थान और खपत भी यहीं : पूरे भारत का 70 फीसदी से अधिक ग्वार राजस्थान में पैदा होता है. इसकी खपत भी सर्वाधिक राजस्थान में होती है. खासकर हनुमानगढ़, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर व सांचौर जिले के पशु पालक इसका उपयोग करते हैं. इसके अलावा इसका पाउडर जिसे गम कहा जाता है, वह एक्सपोर्ट होता था, लेकिन विगत 3 सालों से टैक्स की मार के चलते धीरे-धीरे जोधपुर की इंडस्ट्रीज बंद होने लगी है. कमोबेश यही हाल जैसलमेर और बीकानेर के हैं. अब सरकार पड़ोसी राज्यों की तरह यहां भी टैक्स में छूट दे तो ही वापस इंडस्ट्रीज चल सकेगी और हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा.

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हर बोरी पर 140 रुपए तक टैक्स : भारत में सर्वाधिक ग्वार का उत्पादन राजस्थान में होता है, लेकिन किसान प्रदेश की मंडी में बेचने की बजाय ग्वार को पड़ोसी राज्यों में जाकर ज्यादा बेच रहे हैं. इसका कारण है यहां कृषि मडी टैक्स 1.6 प्रतिशत और कृषि सेस 1 प्रतिशत लगता है. यानि कुल 2.6 प्रतिशत टैक्स किसानों को देना होता है. इस हिसाब से ग्वार के अभी भाव 5400 रुपए प्रति क्विंटल है, ऐसे में किसानों को 140 रुपए प्रति बोरी कर देना पड़ता है. इसके अलावा मंडी में करीब चार प्रतिशत आढ़त भी लगती है, जबकि पड़ोसी राज्य गुजरात, हरियाणा और पंजाब में ऐसा कोई टैक्स नहीं है. इसीलिए किसान वहां की फैक्ट्री पर जाकर सीधे फसल बेचने में ज्यादा रुचि ले रहे हैं.

सरकार को भी दोहरा नुकसान : वर्तमान में गुजरात, हरियाणा और पंजाब से लगते जिलों और नजदीकी जिले के किसान ग्वार की फसल वहां ले जा रहे हैं, जो प्रदेश में होनी वाली फसल का करीब 60 से 70 फीसदी है. प्रदेश की मंडियों में 30 से 40 प्रतिशत फसल आ रही है. ऐसे में सरकार को मंडी में मिलने वाले 2.60 फीसदी टैक्स की कमी हो रही है. इसके अलावा प्रदेश की ग्वार मिलों में बनने वाले गम पाउडर और चूरी की बिक्री से मिलने वाले राज्य के हिस्से के 5 से 9 फीसदी जीएसटी का भी नुकसान हो रहा है.

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