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मदर्स डे कार्यक्रम में बोली, आरएएस नीतू राजेश्वर, मैं सोचती हूं कि क्या मैं अपनी मां से बेहतर मां बन पाई - mothers day programme in jaipur

जयपुर में बुधवार को सचिवालय फोरम की ओर से मदर्स डे के उपलक्ष में कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में सामान्य प्रशासन विभाग की संयुक्त सचिव नीतू राजेश्वर मुख्य अतिथि के रूप में रही. नीतू ने इस इस मौके पर कार्यक्रम में मौजूद महिला कर्मचारियों से कहा कि एक वर्किंग वुमन के लिए बड़ी चुनौती होती है, क्योंकि वह दोहरी जिम्मेदारी निभा रही होती है. मैं हमेशा सोचती हूं कि क्या मैं अपनी मां से अपने बच्चों के लिए बेहतर मां बन पाई .

RAS NEETU RAJESHWAR RECITED MEMOIRS,  HONOR OF MOTHERHOOD
मदर्स डे पर जयपुर के सचिवालय में विशेष कार्यक्रम (photo etv bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 15, 2024, 6:09 PM IST

मदर्स डे कार्यक्रम में बोली, आरएएस नीतू राजेश्वर. (etv bharat jaipur)

जयपुर. मदर्स डे भले ही हर साल मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता हो, लेकिन मां को सिर्फ किसी एक ही दिन याद किया जाए ये सम्भव नहीं है और न ही मां को किसी तरह के शब्दों में बांधा जा सकता है. यही वजह है कि मां के लिए तो हर दिन खास होता है. मातृत्व के सम्मान में सचिवालय फोरम की ओर से सचिवालय में कार्यक्रम हुआ. इस कार्यक्रम में दोहरी भूमिका निभाने वाली माताओं की चुनौती पर चर्चा हुई.

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सामान्य प्रशासन विभाग की संयुक्त सचिव नीतू राजेश्वर रही. उन्होंने इस मौके पर कहा कि 'एक वर्किंग वुमन के लिए बड़ी चुनौती होती, क्योंकि वह दोहरी जिम्मेदारी निभा रही होती है. मैं हमेशा सोचती हूं कि क्या मैं अपनी मां से अपने बच्चों के लिए बेहतर मां बन पाई'. नीतू राजेश्वर ने मां के लिए महिला कर्मचारियों को अपने संस्मरण सुनाए. उन्होंने कहा कि बच्चों के संस्कार में मां की सबसे बड़ी भूमिका रहती है, हमारी कोशिश होती है कि हम बच्चों को इस कदर संस्कार दें कि जब वो कहीं से गुजरे तो लोग कहें कि ये उस मां का बेटा या बेटी है. वो बच्चे हमारे गुलदस्ते हैं , जिन्हें हमें अच्छी परिवरिश के साथ आगे बढ़ाना है. हम कितना कर पाए ये अलग बात है, लेकिन अपनी तरफ से बेस्ट करें ये हमेशा होना चाहिए.

पढ़ें: मदर्स डे विशेष : टीचर की पहल से बदली सरकारी स्कूल की फिजा, जरूरतमंद बच्चों को भी लिया गोद

मदर्स डे का सेलिब्रेशन हो रहा है, अच्छी बात है होना भी चाहिए, लेकिन मां के लिए सिर्फ ये एक ही दिन हो ये सम्भव नहीं है. राजेश्वर ने कहा कि एक वर्किंग वुमन के लिए बड़ी चुनौती होती, क्योंकि वह दोहरी जिम्मेदारी निभा रही होती है. मैं हमेशा सोचती हूं कि क्या मैं अपनी मां से अपने बच्चों के लिए बेहतर मां बन पाई. राजेश्वर ने कहा कि मां बन कर कभी किसी महिला को ये नहीं सोचना चाहिए कि उसने कोई एहसान किया है, उसने वही किया जो उसकी मां ने उसके लिए किया. इस मौके पर सचिवालय अधिकारी संघ अध्यक्ष डॉक्टर के के स्वामी, कर्मचारी संघ अध्यक्ष सीताराम चौधरी, सहायक कर्मचारी संघ अध्यक्ष नरपत सिंह, अधिकारी संघ महासचिव योगिता बिश्नोई सहित बड़ी संख्या में महिला कर्मियों- अधिकारी शामिल हुए. इस मौके कार्यक्रम में मौजूद महिला कर्मचारियों और अधिकारियों ने भी अपने - अपने संस्मरण सुनाए.

मदर्स डे कार्यक्रम में बोली, आरएएस नीतू राजेश्वर. (etv bharat jaipur)

जयपुर. मदर्स डे भले ही हर साल मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता हो, लेकिन मां को सिर्फ किसी एक ही दिन याद किया जाए ये सम्भव नहीं है और न ही मां को किसी तरह के शब्दों में बांधा जा सकता है. यही वजह है कि मां के लिए तो हर दिन खास होता है. मातृत्व के सम्मान में सचिवालय फोरम की ओर से सचिवालय में कार्यक्रम हुआ. इस कार्यक्रम में दोहरी भूमिका निभाने वाली माताओं की चुनौती पर चर्चा हुई.

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सामान्य प्रशासन विभाग की संयुक्त सचिव नीतू राजेश्वर रही. उन्होंने इस मौके पर कहा कि 'एक वर्किंग वुमन के लिए बड़ी चुनौती होती, क्योंकि वह दोहरी जिम्मेदारी निभा रही होती है. मैं हमेशा सोचती हूं कि क्या मैं अपनी मां से अपने बच्चों के लिए बेहतर मां बन पाई'. नीतू राजेश्वर ने मां के लिए महिला कर्मचारियों को अपने संस्मरण सुनाए. उन्होंने कहा कि बच्चों के संस्कार में मां की सबसे बड़ी भूमिका रहती है, हमारी कोशिश होती है कि हम बच्चों को इस कदर संस्कार दें कि जब वो कहीं से गुजरे तो लोग कहें कि ये उस मां का बेटा या बेटी है. वो बच्चे हमारे गुलदस्ते हैं , जिन्हें हमें अच्छी परिवरिश के साथ आगे बढ़ाना है. हम कितना कर पाए ये अलग बात है, लेकिन अपनी तरफ से बेस्ट करें ये हमेशा होना चाहिए.

पढ़ें: मदर्स डे विशेष : टीचर की पहल से बदली सरकारी स्कूल की फिजा, जरूरतमंद बच्चों को भी लिया गोद

मदर्स डे का सेलिब्रेशन हो रहा है, अच्छी बात है होना भी चाहिए, लेकिन मां के लिए सिर्फ ये एक ही दिन हो ये सम्भव नहीं है. राजेश्वर ने कहा कि एक वर्किंग वुमन के लिए बड़ी चुनौती होती, क्योंकि वह दोहरी जिम्मेदारी निभा रही होती है. मैं हमेशा सोचती हूं कि क्या मैं अपनी मां से अपने बच्चों के लिए बेहतर मां बन पाई. राजेश्वर ने कहा कि मां बन कर कभी किसी महिला को ये नहीं सोचना चाहिए कि उसने कोई एहसान किया है, उसने वही किया जो उसकी मां ने उसके लिए किया. इस मौके पर सचिवालय अधिकारी संघ अध्यक्ष डॉक्टर के के स्वामी, कर्मचारी संघ अध्यक्ष सीताराम चौधरी, सहायक कर्मचारी संघ अध्यक्ष नरपत सिंह, अधिकारी संघ महासचिव योगिता बिश्नोई सहित बड़ी संख्या में महिला कर्मियों- अधिकारी शामिल हुए. इस मौके कार्यक्रम में मौजूद महिला कर्मचारियों और अधिकारियों ने भी अपने - अपने संस्मरण सुनाए.

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