जयपुर. राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने नई पहल की है. विधानसभा में पहली बार अधिकारियों के अभिविन्यास कार्यक्रम की शुरुआत हुई. इसमें विधायी कार्यों के अधिकारियों को दो दिन प्रशिक्षण दिया जाएगा. साथ ही पांच सत्रों में विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञों के व्याख्यान होंगे. इससे पहले 16वीं विधानसभा के आरंभ में विधानसभा के नियमों, विनियमों की जानकारी देने के लिए विधायकगणों के लिए प्रबोधन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. वहीं, अब विधानसभा के अधिकारियों को विधायी कार्यों से अपडेट रखने के लिए विषय विशेषज्ञों से रूबरू कराया जा रहा है.
सर्वश्रेष्ठ विधानसभा बनाए : विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि विधानसभा का कार्य विशेष प्रकार का होता है. यहां से बनने वाले कानूनों में आमजन की आंकाक्षाएं निर्भर होती है. इसलिए पारित होने वाले कानूनों का प्रत्येक शब्द महत्वपूर्ण होता है. उन्होंने कहा कि अधिकारियों का दायित्व है कि वे कानून निर्माण प्रक्रिया में देश और अन्य राज्यों में हुए परिवर्तनों का भी ध्यान रखें. देवनानी ने कहा कि राजस्थान विधानसभा देश की श्रेष्ठ विधानसभाओं में से एक है. यहां की श्रेष्ठता को बनाए रखना है. उन्होंने कहा कि राजस्थान विधानसभा को देश की सर्वश्रेष्ठ विधानसभा बनाने के लिए सभी को मिलजुलकर प्रयास करना होगा. संस्थान में छोटे से लेकर बड़े तक प्रत्येक कर्मचारी और अधिकारी का अहम योगदान होता है.
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गुण को देखने की दृष्टि हो : देवनानी ने कहा कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती है और न ही कोई व्यक्ति हर विषय में पारंगत होता है. उन्होंने कहा कि सदैव दूसरे के गुणों को पहचानने की क्षमता रखें. यदि कोई गुण छोटे कर्मचारी में है तो उससे भी हमें सीख लेनी चाहिए. गुण को देखने और परखने की दृष्टि होगी तो हम अपने जीवन में उन्हें ग्रहण कर सफल अधिकारी बन सकते हैं. देवनानी ने कहा कि सभी को सुने. उसमें से अच्छा सीखे और उसे क्रियान्वयन करें. इससे कार्यालय का वातावरण सकारात्मक बनता है. इससे कार्य की गति में भी तीव्रता आती है. कार्यालय में आपसी सदभाव भी बढ़ता है.
संस्थान के रीढ़ की हड्डी होते हैं अधिकारी : देवनानी ने कहा कि अधिकारीगण किसी भी संस्थान के रीढ़ की हड्डी होते हैं. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को नई सोच और नए तरीकों से अपने कार्यों को श्रेष्ठ बनाना चाहिए. विधानसभा में रचनात्मक कार्य करें, इससे समाज, प्रदेश और देश को लाभ होगा. देवनानी ने कहा कि इस विशेष प्रशिक्षण में संवाद दो तरफा होना चाहिए, ताकि अधिकारियों की जिज्ञासाएं पूरी हो सकें. सभी अधिकारियों को निःसंकोच प्रश्न पूछने का स्वभाव रखना चाहिए.
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नवाचारों की प्रबल संभावना : विधानसभा के प्रमुख सचिव महावीर प्रसाद शर्मा ने विशेष प्रशिक्षण कार्यकम के उद्देश्यों की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि ऐसे संवाद कार्यक्रमों से संस्थानों में नवाचारों की संभावनाएं प्रबल होती है. लोकसभा सचिवालय के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य ने कहा कि लोकतंत्र में जबाबदेही आवश्यक होती है. विधायी कार्यों को पूरे मनोयोग से दूरदृष्टि की सोच के अनुरूप किया जाना चाहिए. आचार्य ने विधानसभा की समितियों को प्रभावी बनाने के विषय पर कहा कि समितियों में मुद्दों का निष्पक्ष विश्लेषण होना चाहिए. समितियों के प्रभावी रूप से कार्य करने से सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं.
लेखनी में करें सरल भाषा का प्रयोग : पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के प्रमुख मानस गुब्बी ने संवैधानिक प्रावधानों और संसदीय परंपराओं के अनुसार कानून का मसौदा तैयार करने और पारित कराने में विधानसभा के योगदान के साथ ही बजट और उसके प्रावधानों और राज्य वित्त की जांच, अनुमोदन और अनुपालन में विधानसभा की मौलिक भूमिका के बारे में बताया. गुब्बी ने कहा कि विधायी लेखन की भाषा सरल व स्पष्ट होनी चाहिए. बता दें कि इस दो दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम में सोमवार को विधानसभा के सभी अधिकारियों ने भाग लिया. अधिकारियो ने प्रश्न पूछ कर विधायी कार्यों के विभिन्न पहलुओं पर हो रही चर्चा को जीवंत बना दिया. विधानसभा अध्यक्ष देवनानी की पहल पर राज्य विधानसभा में अधिकारियों का अभिविन्यास कार्यक्रम पहली बार हो रहा है.