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सोमवती अमावस्या के दिन ऐसे जलाएं दीपक, इन खास चीजों का करें दान, मिलेगा खुशियों का वरदान - SOMVATI AMAVASYA 2024

हर साल 12 अमावस्याएं मनाई जाती हैं. जो सभी पूर्वजों की पूजा-पाठ के लिए समर्पित हैं. इस दिन दान-स्नान का खास महत्व है.

Somvati Amavasya 2024
Somvati Amavasya 2024 (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : 3 hours ago

Updated : 2 hours ago

कुरुक्षेत्र: इस समय हिंदू वर्ष का पौष महीना चल रहा है और पौष महीने में आने वाली अमावस्या का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. जिसको पौष अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इस बार पौष अमावस्या सोमवार के दिन पड़ रही है. इसलिए इसको सोमवती अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है और सोमवती अमावस्या का सभी अमावस्या में से ज्यादा महत्व बताया गया है. इस दिन विशेष रूप से पवित्र नदियों में स्नान करने उपरांत दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.

पितरों की आत्मा की शांति के लिए भी इस दिन उनकी पूजा अर्चना और पिंडदान किए जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि जो भी इस दिन पितरों की पूजा अर्चना करते हैं. उनको ग्रह दोष से मुक्ति मिलती है. सोमवती अमावस्या 2024 वर्ष की आखिरी अमावस्या है. वहीं, 2025 में कोई भी सोमवती अमावस्या नहीं होगी. अगली सोमवती अमावस्या 2026 में आएगी. इसलिए इसका और भी ज्यादा महत्व बढ़ जाता है. कुछ जातक इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना भी करते हैं. क्योंकि सोमवती अमावस्या सोमवार के दिन आती है और सोमवार भगवान शिव का दिन होता है. तो आईए जानते हैं कब है सोमवती अमावस्या और इसका क्या महत्व है.

कब है सोमवती अमावस्या: पंडित पवन शर्मा तीर्थ पुरोहित कुरुक्षेत्र ने बताया कि इस बार हिंदू पंचांग के अनुसार सोमवती अमावस्या का आरंभ 30 दिसंबर को सुबह 4:01 से होगा. जबकि इसका समापन 31 दिसंबर को सुबह 3:56 पर होगा. इसलिए सोमवती अमावस्या 30 दिसंबर के दिन मनाई जाएगी. सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने उपरांत दान करने का शुभ मुहूर्त का समय सुबह 5:24 से शुरू होकर 6:19 तक रहेगा जो सबसे शुभ समय है. सोमवती अमावस्या के दिन वृद्धि योग भी बनेगा, जो सुबह 8:32 तक रहेगा.

Somvati Amavasya 2024 (Etv Bharat)

सोमवती अमावस्या पर पूजा का विधि विधान: पंडित ने बताया कि सोमवती अमावस्या के दिन सुबह सूर्य उदय से पहले उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और उसके उपरांत दान करें. दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है, तो वहीं स्नान करने से कई प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है. उसके बाद भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें. इस दिन विधिवत रूप से भगवान महादेव की पूजा अर्चना करें. पितरों की आत्मा की शांति के लिए भी पूजा अर्चना और पिंडदान करें. उसके लिए एक लोटे में जल लेकर उसमें तिल डालकर दक्षिण दिशा के मुंह करके पितरों के नाम का तर्पण करें.

सोमवती अमावस्या का महत्व: पंडित ने बताया कि सोमवती अमावस्या का सबसे ज्यादा महत्व होता है और ऐसा भी कहा जाता है कि सोमवती अमावस्या के दिन सभी देवी देवता कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर पर आकर वास करते हैं. इसलिए कुरुक्षेत्र के ब्रह्म सरोवर में या फिर पवित्र नदी गंगा में स्नान करने का इस दिन विशेष महत्व होता है. सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है. घर में सुख समृद्धि आती है. इस दिन विशेष तौर पर गर्म कपड़े, गुड़, तिल कदन करना काफी समय माना जाता है और उनको कई गुना फल की प्राप्ति होती है.

इस दिन महादेव की पूजा अर्चना करने के साथ-साथ पितरों के लिए भी पूजा अर्चना करें और उनके लिए पिंडदान करने उपरांत जरूरतमंद ब्राह्मण को दान अवश्य करें. इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करना भी काफी अच्छा माना जाता है. घर में लक्ष्मी का वास होता है. अगर किसी की कुंडली में चंद्र दोष है, तो उसके लिए सफेद रंग की चीज दान करें. उसे चंद्र दोष दूर होगा. वहीं, पितृ दोष दूर करने के लिए पितरों के लिए पूजा पाठ और पिंडदान करें.

अमावस्या के दिन करें खास उपाय: सोमवती अमावस्या के दिन कुछ खास उपाय करने से पितरों को खुशी मिलती है और घर में सुख समृद्धि आती है. घर के बाहर दक्षिण दिशा में सरसों का तेल डाल कर दिया जलाना चाहिए. इससे उनके पितरों की आत्मा को संतुष्टि मिलती है और घर में सुख समृद्धि आती है. सोमवती अमावस्या के दिन पीपल की भी पूजा अर्चना करें. क्योंकि ऐसा माना जाता है कि पीपल के पेड़ में देवी देवताओं का वास होता है और पितरों का भी वास होता है. इसलिए पीपल के पेड़ के पास तिल या सरसों के तेल का दीपक जरूर जलाएं. घर के मुख्य आधार पर भी सरसों के तेल या तेल का दीपक जलाना काफी लाभकारी माना जाता है. इसे माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है और उनके घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है. आर्थिक संकट से भी मुक्ति मिलती है.

अगर किसी दंपति के बीच मनमुटाव रहता है, तो उनके लिए सोमवती अमावस्या काफी अच्छी मानी जाती है. वह इस दिन उसका व्रत रखें और माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करें. इसे उनका सौभाग्य की प्राप्ति होगी और दंपति जीवन अच्छा रहेगा. इस दौरान माता पार्वती को सोलह सिंगार की सामग्री लाल चुन्नी या लाल सूट अर्पित करें. दंपति मिलकर शिव मंत्र का जाप करें. इस घर में खुशहाली आएगी और उनका दंपति जीवन अच्छा बना रहेगा.

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ये भी पढ़ें: पंचकूला का माता मनसा देवी श्राइन बोर्ड परिसर बनेगा भव्य टूरिस्ट स्पॉट, गेस्ट हाउस बनाने का भी प्रस्ताव

कुरुक्षेत्र: इस समय हिंदू वर्ष का पौष महीना चल रहा है और पौष महीने में आने वाली अमावस्या का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. जिसको पौष अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इस बार पौष अमावस्या सोमवार के दिन पड़ रही है. इसलिए इसको सोमवती अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है और सोमवती अमावस्या का सभी अमावस्या में से ज्यादा महत्व बताया गया है. इस दिन विशेष रूप से पवित्र नदियों में स्नान करने उपरांत दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.

पितरों की आत्मा की शांति के लिए भी इस दिन उनकी पूजा अर्चना और पिंडदान किए जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि जो भी इस दिन पितरों की पूजा अर्चना करते हैं. उनको ग्रह दोष से मुक्ति मिलती है. सोमवती अमावस्या 2024 वर्ष की आखिरी अमावस्या है. वहीं, 2025 में कोई भी सोमवती अमावस्या नहीं होगी. अगली सोमवती अमावस्या 2026 में आएगी. इसलिए इसका और भी ज्यादा महत्व बढ़ जाता है. कुछ जातक इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना भी करते हैं. क्योंकि सोमवती अमावस्या सोमवार के दिन आती है और सोमवार भगवान शिव का दिन होता है. तो आईए जानते हैं कब है सोमवती अमावस्या और इसका क्या महत्व है.

कब है सोमवती अमावस्या: पंडित पवन शर्मा तीर्थ पुरोहित कुरुक्षेत्र ने बताया कि इस बार हिंदू पंचांग के अनुसार सोमवती अमावस्या का आरंभ 30 दिसंबर को सुबह 4:01 से होगा. जबकि इसका समापन 31 दिसंबर को सुबह 3:56 पर होगा. इसलिए सोमवती अमावस्या 30 दिसंबर के दिन मनाई जाएगी. सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने उपरांत दान करने का शुभ मुहूर्त का समय सुबह 5:24 से शुरू होकर 6:19 तक रहेगा जो सबसे शुभ समय है. सोमवती अमावस्या के दिन वृद्धि योग भी बनेगा, जो सुबह 8:32 तक रहेगा.

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सोमवती अमावस्या पर पूजा का विधि विधान: पंडित ने बताया कि सोमवती अमावस्या के दिन सुबह सूर्य उदय से पहले उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और उसके उपरांत दान करें. दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है, तो वहीं स्नान करने से कई प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है. उसके बाद भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें. इस दिन विधिवत रूप से भगवान महादेव की पूजा अर्चना करें. पितरों की आत्मा की शांति के लिए भी पूजा अर्चना और पिंडदान करें. उसके लिए एक लोटे में जल लेकर उसमें तिल डालकर दक्षिण दिशा के मुंह करके पितरों के नाम का तर्पण करें.

सोमवती अमावस्या का महत्व: पंडित ने बताया कि सोमवती अमावस्या का सबसे ज्यादा महत्व होता है और ऐसा भी कहा जाता है कि सोमवती अमावस्या के दिन सभी देवी देवता कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर पर आकर वास करते हैं. इसलिए कुरुक्षेत्र के ब्रह्म सरोवर में या फिर पवित्र नदी गंगा में स्नान करने का इस दिन विशेष महत्व होता है. सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है. घर में सुख समृद्धि आती है. इस दिन विशेष तौर पर गर्म कपड़े, गुड़, तिल कदन करना काफी समय माना जाता है और उनको कई गुना फल की प्राप्ति होती है.

इस दिन महादेव की पूजा अर्चना करने के साथ-साथ पितरों के लिए भी पूजा अर्चना करें और उनके लिए पिंडदान करने उपरांत जरूरतमंद ब्राह्मण को दान अवश्य करें. इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करना भी काफी अच्छा माना जाता है. घर में लक्ष्मी का वास होता है. अगर किसी की कुंडली में चंद्र दोष है, तो उसके लिए सफेद रंग की चीज दान करें. उसे चंद्र दोष दूर होगा. वहीं, पितृ दोष दूर करने के लिए पितरों के लिए पूजा पाठ और पिंडदान करें.

अमावस्या के दिन करें खास उपाय: सोमवती अमावस्या के दिन कुछ खास उपाय करने से पितरों को खुशी मिलती है और घर में सुख समृद्धि आती है. घर के बाहर दक्षिण दिशा में सरसों का तेल डाल कर दिया जलाना चाहिए. इससे उनके पितरों की आत्मा को संतुष्टि मिलती है और घर में सुख समृद्धि आती है. सोमवती अमावस्या के दिन पीपल की भी पूजा अर्चना करें. क्योंकि ऐसा माना जाता है कि पीपल के पेड़ में देवी देवताओं का वास होता है और पितरों का भी वास होता है. इसलिए पीपल के पेड़ के पास तिल या सरसों के तेल का दीपक जरूर जलाएं. घर के मुख्य आधार पर भी सरसों के तेल या तेल का दीपक जलाना काफी लाभकारी माना जाता है. इसे माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है और उनके घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है. आर्थिक संकट से भी मुक्ति मिलती है.

अगर किसी दंपति के बीच मनमुटाव रहता है, तो उनके लिए सोमवती अमावस्या काफी अच्छी मानी जाती है. वह इस दिन उसका व्रत रखें और माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करें. इसे उनका सौभाग्य की प्राप्ति होगी और दंपति जीवन अच्छा रहेगा. इस दौरान माता पार्वती को सोलह सिंगार की सामग्री लाल चुन्नी या लाल सूट अर्पित करें. दंपति मिलकर शिव मंत्र का जाप करें. इस घर में खुशहाली आएगी और उनका दंपति जीवन अच्छा बना रहेगा.

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