सीतामढ़ीः जब वर्तमान ही खतरे में है तो भविष्य को कैसे संवारा जा सकता है ? बिहार के सीतामढ़ी जिले की इस तस्वीर को देखिये और समझिये कि यहां बच्चे अपना भविष्य संवारने के लिए जान की बाजी लगा रहे हैं. जिले के सोनबरसा प्रखंड के पुरनदाहा राजवाड़ा स्थित झीम नदी पर बना चचरी का पुल टूटकर ध्वस्त हो चुका है बावजूद इसके स्कूली बच्चे टूटी हुई चचरी पुल से ही आवाजाही के लिए मजबूर हैं.
पुल के नीचे पानी की तेज धारः पुल बीच से पूरी तरह टूट चुका है. बस कुछ बांस-बल्लियां बची हुई हैं, जिनके सहारे बच्चे स्कूल आते-जाते हैं, लेकिन ये इतना खतरनाक हो चुका है कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. ये पुल झीम नदी पर बना हुआ है और पुल के नीचे पानी का बहाव काफी तेज है. ऐसे में इस पुल से आवाजाही अपनी जान से खेलने जैसा ही है, लेकिन लोगों का कहना है कि मजबूरी है, क्योंकि आवाजाही के लिए और कोई दूसरा रास्ता नहीं है.
बाढ़ में टूटा चचरी का पुलः एक महीने पहले यहां डायवर्सन था जो बाढ़ के तेज पानी में टूट गया. जिसके बाद लोगों के पैदल आवाजाही के चचरी का पुल बनाया जो पुल भी 10 दिनों के अंदर ही टूट कर ध्वस्त हो गया. अब यहां के लोगों के आवागमन का एकमात्र साधन यही टूटा हुआ चचरी का पुल है.
खतरे में जान, प्रशासन अनजानः लोग अपनी जान हथेली पर लेकर आवाजाही कर रहे हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन पूरी तरह लापरवाह बना हुआ है. स्थानीय प्रशासन लोगों की आवाजाही के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं कर रहा है और इलाके के लोगों को अपने हाल पर छोड़ दिया है. लगता है प्रशासन किसी हादसे का इंतजार कर रहा है.