सिंगरौली: जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर एक गांव में आजादी के इतने वर्षों के बाद भी सड़क नहीं बन पाई है. जिससे ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. सामान्य परिस्थितियों सहित किसी प्रकार की आपातकालीन स्थिति में भी गांव में गाड़ियां नहीं पहुंच पाती. एंबुलेंस नहीं पहुंच पाने से गंभीर मरीजों को काफी दुश्वारियां झेलनी पड़ती है. परेशान ग्रामीणों ने जिम्मेदार अधिकारियों और जनप्रतिनिधि से रोड बनवाने की मांग की, लेकिन कोई जवाब नहीं आया. अब ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा करके 3 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण खुद से कर दिया है.
खेतों की मेड़ से होता था आना-जाना
मामला सिंगरौली की सरई तहसील के मटिया गांव का है. 1 हजार की आबादी वाले इस गांव तक सड़क न होने से ग्रामीणों को खेतों के बीच से होकर आना-जाना पड़ता था. बरसात में ये समस्या और बढ़ जाती थी. एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पाने की वजह से मरीज को खाट से गांव से काफी दूर तक लाना पड़ता था. ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने सड़क बनवाने के लिए अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से भी मांग की, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी. आखिर में थक हारकर गांव वालों ने खुद से सड़क बनाने का फैसला किया.
ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा करके बना डाली सड़क
ग्रामीणों ने इसके लिए गांव के हर घर से चंदा इकट्ठा किया और खुद परिश्रम करके मटिया गांव से अधियरिया पूरैल मार्ग तक कुल 3 किलोमीटर लंबी कच्ची सड़क बना डाली. गांव के मनीराम यादव बताते हैं कि "अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों तक गुहार लगाते-लगाते हम थक चुके थे. अंतत: हमने निर्णय किया कि हम गांव से चंदा इकट्ठा करके खुद से अपने लिए रास्ता बनाएंगे. हमने 50 हजार चंदा इकट्ठा करके काम शुरू किया. मार्ग में जिनकी जमीने आई हमने उनसे विनती करके सड़क बनाने की इजाजत ली और कार्य पूरा किया."
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'प्राइवेट जमीन होने की वजह से नहीं हो पा रहा था निर्माण'
जिला पंचायत के सीईओ अनुराग मोदी से जब मामले की जानकारी ली गई, तो उन्होंने बताया कि "सड़क के कुछ हिस्से में पट्टे की जमीन आ रही थी, जिस वजह से निर्माण शुरू नहीं हो पा रहा था. जब तक भू-स्वामी सहमति नहीं देते, तब तक रोड का निर्माण संभव नहीं था. अगर ग्रामीणों ने कच्ची रोड बना दी है, तो हम इसको पक्की करने की कोशिश करेंगे. इसके लिए ग्रामीणों से बात करेंगे."