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किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा रेशम उत्पादन, छप्पर फाड़ कमाई से बदला जीवन - Silk production in Pauri

Silk production in Pauri , Farmers benefit silk production पौड़ी जिले में रेशम उत्पादन किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है. इस साल 537 किसानों ने रेशम कीट से कोकून उत्पादन कर 40 लाख रुपये की आमदनी की है.

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फायदे का सौदा साबित हो रहा रेशम उत्पादन (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 31, 2024, 5:58 PM IST

श्रीनगर: उत्तराखंड में पलायन, बेरोजगारी और बंजर पड़े खेत खलियान प्रदेश की सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरें हैं. ऐसे में रेशम विभाग किसानों की आय दोगुना करने में जुटा हुआ है. पौड़ी जिले में इस वित्तीय वर्ष में विभाग ने 537 किसानों के साथ मिलकर रेशम कीट से कोकून उत्पादन कर 40 लाख रुपये की आमदनी की है. इसके साथ ही विभाग किसानों को रेशम उत्पादन , सहतूत उत्पादन से लेकर उपकरणों ती जानकारी भी दे रहा है.

उत्तराखंड देश का एक मात्र ऐसा राज्य है जहां चारों की चारों प्रजातियों के रेशम उत्पादन करने की क्षमता है. यहां रेशम की सबसे अच्छी क्वालिटी का रेशम मलवारी, मूंगा, एरी, टसर मिलता है. पौड़ी जनपद में सहतूत की खेती करने के बाद मलवारी नाम का रेशम उत्पादित किया जाता है. इस वर्ष में 537 किसानों ने रेशम विभाग की मदद से 40 लाख रुपये का लाभ अर्जित किया है. जिसमें हर किसान ने इस वर्ष में एक बार रेशम उत्पादित करने पर 15 से 30 हजार रुपये की आमदनी अर्जित की है. एक किसान एक वर्ष में दो बार रेशम उत्पादित कर लेता है. रेशम के कोकून के वेस्टेज होने के बाद भी ये 40 रुपए किलो के हिसाब से बिकता है. अच्छी क्वालटी के रेशम के कोकून की कीमत 700 रूपये प्रति किलो है.

रेशम विभाग के सहायक निदेशक राजीव कुमार ने ईटीवी भारत से खास बात करते हुए बताया रेशम उत्पादन किसानों के लिए एक फायदे का रोजगार है. इसके जरिये किसान एक वर्ष में अच्छी आमदनी कर सकता है. उन्होंने बताया एक किलो रेशम कोकीन की 600 गोलियां चढ़ाई जाती हैं. एक कोकून के बीज से 400 मीटर रेशम का धागा निकाला जाता है. एक किलो रेशम का धागा बाजार में 27000 हज़ार किलो में बेचा जाता है. रेशम के कोकून से धागा निकालने की विधि भी किसानों को सिखाई जाती है. जिससे किसानों का अधिक से अधिक फायदा हो सके.

पढे़ं- उत्तराखंड में कोचिंग सेंटर्स की तैयार होगी रिपोर्ट, चेकिंग के लिए 5 सदस्यीय कमेटी गठित - coaching center checking committee

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उत्तराखंड देश का एक मात्र ऐसा राज्य है जहां चारों की चारों प्रजातियों के रेशम उत्पादन करने की क्षमता है. यहां रेशम की सबसे अच्छी क्वालिटी का रेशम मलवारी, मूंगा, एरी, टसर मिलता है. पौड़ी जनपद में सहतूत की खेती करने के बाद मलवारी नाम का रेशम उत्पादित किया जाता है. इस वर्ष में 537 किसानों ने रेशम विभाग की मदद से 40 लाख रुपये का लाभ अर्जित किया है. जिसमें हर किसान ने इस वर्ष में एक बार रेशम उत्पादित करने पर 15 से 30 हजार रुपये की आमदनी अर्जित की है. एक किसान एक वर्ष में दो बार रेशम उत्पादित कर लेता है. रेशम के कोकून के वेस्टेज होने के बाद भी ये 40 रुपए किलो के हिसाब से बिकता है. अच्छी क्वालटी के रेशम के कोकून की कीमत 700 रूपये प्रति किलो है.

रेशम विभाग के सहायक निदेशक राजीव कुमार ने ईटीवी भारत से खास बात करते हुए बताया रेशम उत्पादन किसानों के लिए एक फायदे का रोजगार है. इसके जरिये किसान एक वर्ष में अच्छी आमदनी कर सकता है. उन्होंने बताया एक किलो रेशम कोकीन की 600 गोलियां चढ़ाई जाती हैं. एक कोकून के बीज से 400 मीटर रेशम का धागा निकाला जाता है. एक किलो रेशम का धागा बाजार में 27000 हज़ार किलो में बेचा जाता है. रेशम के कोकून से धागा निकालने की विधि भी किसानों को सिखाई जाती है. जिससे किसानों का अधिक से अधिक फायदा हो सके.

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