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मिलिए खास फूड 'मोमोज के पापा' से, दो बहनें चलाती हैं ये खास स्टॉल...दिल्ली में भी चखा चुकी हैं इसका स्वाद

मंडी में दो बहनें 'मोमोज के पापा' के नाम से एक फूड स्टॉल चलाती हैं. दोनों के स्टॉल पर खूब भीड़ देखी जाती है.

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 2 hours ago

मंडी में मोमोज के पापा स्टॉल चलाती हैं अंजू और अंजना
मंडी में मोमोज के पापा स्टॉल चलाती हैं अंजू और अंजना (ETV BHARAT)

मंडी: आजकल तेजी से स्ट्रीट फूड में मोमोज और अन्य जंक फूड को बड़े शौक से खाया जाता है. बाजारों में चाइनीज फूड के स्टॉल आपको देखने को मिल जाएंगे, लेकिन इन चाइनीज जंक फूंड पर हिमाचल का एक ही पारंपरिक व्यंजन भारी है और वो है सिड्डू. पहले सिड्डू सिर्फ घरों में ही बनाया जाता था, लेकिन बदलते दौर के साथ सिड्डू भी अब घरों से निकलकर रेस्टोरेंट, स्टॉल तक जा पहुंचा है. सिड्डू पारंपरिक व्यंजन ही नहीं रह गया है अब ये मार्केट फूड भी बन गया है. इसके अच्छे खासे ग्राहक भी हैं फिर चाहे वो हिमाचली हो या नॉन हिमाचली ये सबकी पसंद बनता जा रहा है. इसको देखकर ही मुंह में पानी आ जाता है.

वैसे हिमाचल में सेपू बड़ी, मंडयाली धाम जैसे कई व्यंजन हैं, लेकिन सिड्डू को लोगों को प्यार ज्यादा मिल रहा है और इसकी खुशबू और स्वाद लोगों को अपना दीवाना बना चुका है. देखने में मोमोज और सिड्डू जुड़वा भाई की तरह लगते हैं. ये रंग, रूप, साइज में देखने में सेम टू सेम लगते हैं. इन्हें बनाने का तरीका भी एक जैसा ही है, लेकिन दोनों के अंदर होने वाली स्टफिंग में अंतर होता है.

मंडी में मोमोज के पापा स्टॉल चलाती हैं अंजू और अंजना (ETV BHARAT)

मंडी में दो बहनें चला रहीं मोमोज के पापा स्टॉल

सिड्डू को मंडी, कुल्लू में बनाया जाता है. अब मंडी की दो बेटियों अंजू शर्मा और अंबिका ने ने सिड्डू को नई पहचान दिलाई है. दोनों मंडी के पड्डल की रहने वाली हैं और रिश्ते में बहनें हैं. दोनों मंडी के सेरी मंच पर राष्ट्रीय शहरी अजिविका मिशन के तहत सप्ताह के दो दिन शुक्रवार और शनिवार को देसी हाट लगाती हैं. दोनों बहनें यहां 'मोमोज के पापा सिड्डू' नाम से स्टॉल लगाकर सिड्डू बेचती हैं. अंजू और अंजना जब स्ट्रीट वेंडर फेस्टिवल के लिए दिल्ली गई तो वहां के लोगों को इस पारंपरिक फूड सिड्डू के बारे में रूबरू करवाने, इसका स्वाद चखाने और इसके बारे में बताने के लिए उनके मुंह से अचानक ही सिड्डू का नाम मोमोज के पापा निकल गया.

कॉन्सेप्ट इमेज
अंजू और अंजना (ETV BHARAT)

आटे का बनता है सिड्डू

अंजू देवी ने बताया कि, 'हालांकि मोमोज मैदा और सिड्डू आटे का बना होता है, लेकिन यह दोनों व्यंजन भाप के माध्यम से बनाए जाते हैं, इसलिए उन्होंने इसे मोमोज के पापा का नाम दिया है. मंडी शहर में भी आज वो मोमोज के पापा के नाम से ही सिड्डू बेच रहीं है, जिससे उन्हें इस पारंपरिक फूड को आगे से आगे ले जाने के लिए अलग पहचान भी मिली हैं.'

मोमोज के पापा स्टॉल में सिड्डू का आनंद लेते लोग
मोमोज के पापा स्टॉल में सिड्डू का आनंद लेते लोग (ETV BHARAT)

मोमेज के मुकाबले हेल्दी होता है सिड्डू

मोमोज सिड्डू की मुकाबले काफी हेल्दी माना जाता है. मोमोज की खराब स्टफिंग को लेकर अक्सर शिकायतें आती हैं. साथ ही कई बार मोमोज में घटिया और खराब किस्म की सब्जियों के इस्तेमाल की शिकायतें भी मिलती हैं, लेकिन सिड्डू के साथ ऐसा नहीं है. गेहूं के आटे से बनने वाले इस पारंपरिक फूड को खाने के लिए काफी भारी माना जाता है, क्योंकि सिड्डू के अंदर अखरोट और अन्य ड्राई फूट डाले जाते हैं. अंजू देवी ने बताया कि, 'इन दिनों वो गेंहू के आटे के अलावा रागी से भी सिड्डू बना रही हैं, जिसमें अखरोट पोस्त के साथ काजू, बादाम, मूंगफली, तिल और अलसी के साथ अन्य ड्राई फ्रूट डाले जातें है. इस देशी हाट में हफ्ते के दो दिन 200-300 सिड्डू बनाकर बेच देती हैं. साथ ही उन्होंने इन दिनों नमकीन सिड्डू के साथ मीठा सिड्डू भी तैयार किया है. एक सिड्डू की कीमत 50 से 60 रुपये रहती है.'

मोमोज के पापा स्टॉल
मोमोज के पापा स्टॉल (ETV BHARAT)

चटनी या घी के साथ खाया जाता है सिड्डू

अंजना ने बताया कि, 'ड्राई फ्रूट के साथ बने इस सिड्डू को नारियल, पुदीना और हरी मिर्च की चटनी के साथ खाया जाता है. वहीं कुछ लोग इसे देसी घी के साथ भी खाना पंसद करते हैं. इनके द्वारा बनाए गए मोमो के पापा सिड्डू की लोगों को खूब पसंद आ रहें हैं.'

वहीं, अंजना देवी ने बताया कि, 'वर्ष 2016 से वो अंबिका स्वयं सहायता समूह के जुड़ी हैं और पिछले एक साल से सेरी मंच पर स्टॉल लगाकर सिड्डू भी बेच रही हैं. सेरी मंच पर देशी हाट लगाने के अलावा अंजू और अंजना नगर निगम मंडी के तहत आउटसोर्सिंग पर गार्बेज शुल्क कलेक्शन और हाउस टैक्स पर्ची बांटने का काम भी करती हैं.'

ये भी पढ़ें: Karwa Chauth 2024: अगर सास न हो तो कौन दे सकता है सरगी? जानें क्या है सरगी और इसका महत्व

मंडी: आजकल तेजी से स्ट्रीट फूड में मोमोज और अन्य जंक फूड को बड़े शौक से खाया जाता है. बाजारों में चाइनीज फूड के स्टॉल आपको देखने को मिल जाएंगे, लेकिन इन चाइनीज जंक फूंड पर हिमाचल का एक ही पारंपरिक व्यंजन भारी है और वो है सिड्डू. पहले सिड्डू सिर्फ घरों में ही बनाया जाता था, लेकिन बदलते दौर के साथ सिड्डू भी अब घरों से निकलकर रेस्टोरेंट, स्टॉल तक जा पहुंचा है. सिड्डू पारंपरिक व्यंजन ही नहीं रह गया है अब ये मार्केट फूड भी बन गया है. इसके अच्छे खासे ग्राहक भी हैं फिर चाहे वो हिमाचली हो या नॉन हिमाचली ये सबकी पसंद बनता जा रहा है. इसको देखकर ही मुंह में पानी आ जाता है.

वैसे हिमाचल में सेपू बड़ी, मंडयाली धाम जैसे कई व्यंजन हैं, लेकिन सिड्डू को लोगों को प्यार ज्यादा मिल रहा है और इसकी खुशबू और स्वाद लोगों को अपना दीवाना बना चुका है. देखने में मोमोज और सिड्डू जुड़वा भाई की तरह लगते हैं. ये रंग, रूप, साइज में देखने में सेम टू सेम लगते हैं. इन्हें बनाने का तरीका भी एक जैसा ही है, लेकिन दोनों के अंदर होने वाली स्टफिंग में अंतर होता है.

मंडी में मोमोज के पापा स्टॉल चलाती हैं अंजू और अंजना (ETV BHARAT)

मंडी में दो बहनें चला रहीं मोमोज के पापा स्टॉल

सिड्डू को मंडी, कुल्लू में बनाया जाता है. अब मंडी की दो बेटियों अंजू शर्मा और अंबिका ने ने सिड्डू को नई पहचान दिलाई है. दोनों मंडी के पड्डल की रहने वाली हैं और रिश्ते में बहनें हैं. दोनों मंडी के सेरी मंच पर राष्ट्रीय शहरी अजिविका मिशन के तहत सप्ताह के दो दिन शुक्रवार और शनिवार को देसी हाट लगाती हैं. दोनों बहनें यहां 'मोमोज के पापा सिड्डू' नाम से स्टॉल लगाकर सिड्डू बेचती हैं. अंजू और अंजना जब स्ट्रीट वेंडर फेस्टिवल के लिए दिल्ली गई तो वहां के लोगों को इस पारंपरिक फूड सिड्डू के बारे में रूबरू करवाने, इसका स्वाद चखाने और इसके बारे में बताने के लिए उनके मुंह से अचानक ही सिड्डू का नाम मोमोज के पापा निकल गया.

कॉन्सेप्ट इमेज
अंजू और अंजना (ETV BHARAT)

आटे का बनता है सिड्डू

अंजू देवी ने बताया कि, 'हालांकि मोमोज मैदा और सिड्डू आटे का बना होता है, लेकिन यह दोनों व्यंजन भाप के माध्यम से बनाए जाते हैं, इसलिए उन्होंने इसे मोमोज के पापा का नाम दिया है. मंडी शहर में भी आज वो मोमोज के पापा के नाम से ही सिड्डू बेच रहीं है, जिससे उन्हें इस पारंपरिक फूड को आगे से आगे ले जाने के लिए अलग पहचान भी मिली हैं.'

मोमोज के पापा स्टॉल में सिड्डू का आनंद लेते लोग
मोमोज के पापा स्टॉल में सिड्डू का आनंद लेते लोग (ETV BHARAT)

मोमेज के मुकाबले हेल्दी होता है सिड्डू

मोमोज सिड्डू की मुकाबले काफी हेल्दी माना जाता है. मोमोज की खराब स्टफिंग को लेकर अक्सर शिकायतें आती हैं. साथ ही कई बार मोमोज में घटिया और खराब किस्म की सब्जियों के इस्तेमाल की शिकायतें भी मिलती हैं, लेकिन सिड्डू के साथ ऐसा नहीं है. गेहूं के आटे से बनने वाले इस पारंपरिक फूड को खाने के लिए काफी भारी माना जाता है, क्योंकि सिड्डू के अंदर अखरोट और अन्य ड्राई फूट डाले जाते हैं. अंजू देवी ने बताया कि, 'इन दिनों वो गेंहू के आटे के अलावा रागी से भी सिड्डू बना रही हैं, जिसमें अखरोट पोस्त के साथ काजू, बादाम, मूंगफली, तिल और अलसी के साथ अन्य ड्राई फ्रूट डाले जातें है. इस देशी हाट में हफ्ते के दो दिन 200-300 सिड्डू बनाकर बेच देती हैं. साथ ही उन्होंने इन दिनों नमकीन सिड्डू के साथ मीठा सिड्डू भी तैयार किया है. एक सिड्डू की कीमत 50 से 60 रुपये रहती है.'

मोमोज के पापा स्टॉल
मोमोज के पापा स्टॉल (ETV BHARAT)

चटनी या घी के साथ खाया जाता है सिड्डू

अंजना ने बताया कि, 'ड्राई फ्रूट के साथ बने इस सिड्डू को नारियल, पुदीना और हरी मिर्च की चटनी के साथ खाया जाता है. वहीं कुछ लोग इसे देसी घी के साथ भी खाना पंसद करते हैं. इनके द्वारा बनाए गए मोमो के पापा सिड्डू की लोगों को खूब पसंद आ रहें हैं.'

वहीं, अंजना देवी ने बताया कि, 'वर्ष 2016 से वो अंबिका स्वयं सहायता समूह के जुड़ी हैं और पिछले एक साल से सेरी मंच पर स्टॉल लगाकर सिड्डू भी बेच रही हैं. सेरी मंच पर देशी हाट लगाने के अलावा अंजू और अंजना नगर निगम मंडी के तहत आउटसोर्सिंग पर गार्बेज शुल्क कलेक्शन और हाउस टैक्स पर्ची बांटने का काम भी करती हैं.'

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