मंडी: आजकल तेजी से स्ट्रीट फूड में मोमोज और अन्य जंक फूड को बड़े शौक से खाया जाता है. बाजारों में चाइनीज फूड के स्टॉल आपको देखने को मिल जाएंगे, लेकिन दाल बाटी या लिट्टी चोखा जैसे कुछ पारंपरिक व्यंजन आज के जंक फूड और फास्ट फूड को मात दे रहे हैं. इसी तरह हिमाचल की एक पारंपरिक डिश भी है जो स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिए भी अच्छी मानी जाती है. खास बात ये है कि मंडी शहर में दो महिलाएं इस डिश को मोमो के पापा के नाम से बेच रही हैं. उनके पास इस डिश के शौकीन पहुंच रहे हैं.
आखिर क्या है 'मोमो के पापा'
मोमो एक तिब्बती व्यंजन माना जाता है. जिसे स्टीम करके बनाया जाता है लेकिन मंडी में एक हिमाचली डिश मोमो के पापा के नाम से बिक रही है. ये डिश है हिमाचल का पारंपरिक व्यंजन सिड्डू, जिसका स्वाद यहां आने वाले लोगों को भी खूब भा रहा है. पहले सिड्डू सिर्फ घरों में ही खास मौकें पर बनाया जाता था, लेकिन बदलते दौर के साथ सिड्डू भी अब घरों से निकलकर रेस्टोरेंट, होटल और रोड कॉनर्स के फूड स्टॉल्स तक जा पहुंचा है. हिमाचली हो या नॉन हिमाचली ये सबकी पसंद बनता जा रहा है. इसको देखकर ही मुंह में पानी आ जाता है.
मंडी में दो बहनें चला रहीं मोमोज के पापा स्टॉल
देखने में मोमोज और सिड्डू जुड़वा भाई की तरह लगते हैं. दोनों को बनाने का तरीका भी अलग है. लेकिन सिड्डू आकार में मोमो से काफी बड़ा होता है. तभी मंडी के सेरी मंच पर एक छोटा सा स्टॉल लगाने वाली दो महिलाओं ने इसे मोमो के पापा का नाम दिया है. मोमोज और सिड्डू के अंदर होने वाली स्टफिंग में भी अंतर होता है.
कुल्लू की रहने वाली दो बहनों अंजू और अंजना ने सिड्डू को नई पहचान दिलाई है. दोनों बहनों ने मंडी के सेरी मंच पर राष्ट्रीय शहरी अजिविका मिशन के तहत हफ्ते में दो दिन शुक्रवार और शनिवार को देसी हाट में अपना स्टॉल लगाती हैं. 'मोमो के पापा सिड्डू' नाम से उनका स्टॉल है जिसपर स्वाद के चाहने वालों की भीड़ रहती है.
कैसे मिला 'सिड्डू के पापा' नाम ?
अंजना शर्मा के मुताबिक एक बार स्ट्रीट वेंडर फेस्टिवल के लिए दिल्ली गईं थी जहां उन्होंने लोगों को हिमाचल के पारंपरिक फूड सिड्डू के बारे में रूबरू करवाया था. लेकिन हिमाचल से बाहर लोग इसे नहीं जानते थे. इसलिये उन्हें सिड्डू को मोमो के पापा कह दिया और उसके बाद से यही जैसे उनका ब्रांड बन गया.
अंजू देवी ने बताया कि, 'हालांकि मोमोज मैदा और सिड्डू आटे का बना होता है, लेकिन यह दोनों व्यंजन भाप के माध्यम से बनाए जाते हैं, इसलिए उन्होंने इसे मोमोज के पापा का नाम दिया है. मंडी शहर में भी आज वो मोमो के पापा के नाम से ही सिड्डू बेच रहीं है, जिससे उन्हें इस पारंपरिक फूड को आगे ले जाने के लिए अलग पहचान भी मिली हैं.'
मोमोज के मुकाबले हेल्दी होता है सिड्डू
मोमोज सिड्डू की मुकाबले काफी हेल्दी माना जाता है. मोमोज की खराब स्टफिंग को लेकर अक्सर शिकायतें आती हैं. साथ ही कई बार मोमोज में घटिया और खराब किस्म की सब्जियों के इस्तेमाल की शिकायतें भी मिलती हैं, लेकिन सिड्डू के साथ ऐसा नहीं है. गेहूं के आटे से बनने वाले इस पारंपरिक फूड को खाने के लिए काफी हैवी माना जाता है, क्योंकि सिड्डू के अंदर अखरोट और अन्य ड्राइ फ्रूट डाले जाते हैं. स्टफिंग के अलावा आटे का बना होने के कारण इसे मोमो से हेल्दी माना जाता है, इसकी तासीर के कारण इसे सर्दियों में बहुत ही फायदेमंद माना जाता है. अब ये दोनों बहनें कई दूसरी तरह के सिड्डू भी लोगों को परोस रही हैं.
अंजू देवी ने बताया कि, 'हम गेंहू के आटे के अलावा रागी से भी सिड्डू बना रही हैं, जिसमें अखरोट पोस्त के साथ काजू, बादाम, मूंगफली, तिल और अलसी के साथ अन्य ड्राइ फ्रूट डालते हैं. इस देसी हाट में हफ्ते के दो दिन 200-300 सिड्डू बनाकर बेच देती हैं. साथ ही उन्होंने इन दिनों नमकीन सिड्डू के साथ मीठा सिड्डू भी तैयार किया है. एक सिड्डू की कीमत 50 से 60 रुपये रहती है.'
चटनी या घी के साथ खाया जाता है सिड्डू
अंजना ने बताया कि, 'ड्राइ फ्रूट के साथ बने इस सिड्डू को नारियल, पुदीना और हरी मिर्च की चटनी के साथ खाया जाता है. वहीं कुछ लोग इसे देसी घी के साथ भी खाना पंसद करते हैं. इनके द्वारा बनाए गए मोमो के पापा सिड्डू की लोगों को खूब पसंद आ रहें हैं.'
वहीं, अंजना देवी ने बताया कि, 'वर्ष 2016 से वो अंबिका स्वयं सहायता समूह के जुड़ी हैं और पिछले एक साल से सेरी मंच पर स्टॉल लगाकर सिड्डू भी बेच रही हैं. सेरी मंच पर देशी हाट लगाने के अलावा अंजू और अंजना नगर निगम मंडी के तहत आउटसोर्सिंग पर गार्बेज शुल्क कलेक्शन और हाउस टैक्स पर्ची बांटने का काम भी करती हैं.'
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