भरतपुर: महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय को बीते कई माह से रजिस्ट्रार और फाइनेंस कंट्रोलर (एफसी) नहीं मिल पा रहे हैं. जिम्मेदारों का कहना है कि उन्होंने सरकार को कई बार लिखकर दे दिया, लेकिन उन्हें फुल टाइम रजिस्ट्रार और फाइनेंस कंट्रोलर के रूप में अधिकारी नहीं दिया गया. ऐसे में अब विश्वविद्यालय ने खुद ही रजिस्ट्रार व एफसी की तलाश में विज्ञापन जारी कर दिया है. एक अधिकारी का करीब 5 माह पूर्व एफसी के पद पर स्थानांतरण किया गया, लेकिन उनकी भी ज्वाइनिंग में पेंच फंस गया. हालांकि, विश्वविद्यालय द्वारा खुद के स्तर पर रजिस्ट्रार और एफसी के लिए विज्ञापन जारी करने को नियमविरुद्ध बताया जा रहा है, लेकिन कुलपति का कहना है कि हम पर सरकार का दबाव है, जिसके चलते यह विज्ञापन निकालना पड़ा.
असल में महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार और एफसी का पद बीते कई माह से रिक्त पड़ा है. रजिस्ट्रार का पद जनवरी 2024 से तो एफसी का पद अगस्त 2023 से रिक्त है. ऐसे में दोनों पदों का अतिरिक्त कार्यभार विश्वविद्यालय के उप कुलसचिव डॉ अरुण कुमार पाण्डेय को सौंप रखा है.
ये है नियम: विश्वविद्यालय के नियम अनुसार विश्वविद्यालय में रजिस्ट्रार पद पर एक वरिष्ठ आरएएस अधिकारी और एफसी के पद पर लेखा सर्विस के अधिकारी को ही लगाया जा सकता है. ऐसे में विश्वविद्यालय अपने स्तर पर रजिस्ट्रार और एफसी नहीं लगा सकता. यह पूरी तरह से नियमविरुद्ध है.
एफसी के पद पर नियुक्ति नहीं : असल में विश्वविद्यालय में अगस्त 2023 से रिक्त पड़े फाइनेंस कंट्रोलर के पद के लिए 22 फरवरी 2024 को स्थानीय निधि अंकेक्षण विभाग के संयुक्त निदेशक अवधेश कुमार का स्थानांतरण किया गया, लेकिन 5 माह के बाद भी अवधेश कुमार की ज्वाइनिंग नहीं हो पाई है. इस संबंध में जब विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रमेश चंद्र से बात की तो उन्होंने बताया कि अवधेश कुमार चुनावों के समय ज्वाइन करने आए थे, लेकिन उस समय ज्वाइन नहीं कर सके. उसके बाद वह एपीओ हो गए. वे फिर से ज्वाइन करने आए, हम भी उनको ज्वाइन कराना चाहते हैं, लेकिन एपीओ होने की वजह से नियमानुसार नियुक्ति नहीं दे सकते, यदि उनके पुनः स्थानांतरण आदेश हो जाएं तो हम ज्वाइन करा देंगे. स्थानीय निधि अंकेक्षण विभाग से बृज विश्वविद्यालय में स्थानांतरित हुए अवधेश कुमार से जब इस संबंध में बात की तो उन्होंने बताया कि वो चुनावों में समय ज्वाइन करने गए थे,लेकिन अचार संहिता की वजह से ज्वाइन नहीं कर पाए. अब मैं विश्वविद्यालय में ज्वाइन करना नहीं चाहता.
कार्यवाहक रजिस्ट्रार के नाम से रजिस्ट्रार का विज्ञापन : विश्वविद्यालय प्रशासन ने गत माह जून में रजिस्ट्रार और एफसी पद के लिए विज्ञापन निकाला. रजिस्ट्रार का पद 5 माह से रिक्त पड़ा है. इसके बाद भी कार्यवाहक रजिस्ट्रार डॉ अरुण कुमार पाण्डेय के हवाले से विज्ञापन जारी किया गया है, जो कि सरासर नियम विरुद्ध है.
क्या कहते हैं कुलपति: इस संबंध में कुलपति प्रो रमेश चंद्र ने कहा कि हमें सरकार ने कहा है कि दोनों पदों पर डेपुटेशन पर अधिकारी ले लो. हम ऐसे डेप्युटेशन पर किस को लें, इसलिए हमें विज्ञापन देना पड़ा. सरकार का बार बार दबाव आ रहा था कि क्या एक्शन लिया. हम सरकार को भी दोनों पदों पर अधिकारी लगाने के लिए लिख रहे हैं, लेकिन सरकार के जिम्मेदार हमें पार्ट टाइम देने की बोल रहे हैं. हमने कह दिया हमारा काम पार्ट टाइम वालों से नहीं चलेगा,फुल टाइम अधिकारी चाहिए, यदि सरकार हमें अधिकारी भेजेगी तो उसको ले लेंगे. हालांकि, हमें विधानसभा सत्र के बाद अधिकारी देने का आश्वासन दिया गया है. हम परेशान हैं, स्टाफ नहीं हैं, तीन अधिकारियों से विश्वविद्यालय कैसे चलाएं?.