श्योपुर। मध्य प्रदेश में सरकार के तमाम दावे और वादों को झुठलाती हुई, मन को विचलित कर देने वाली तस्वीर सामने आई है. जिसमें दिख रहा है कि अंतिम संस्कार के लिए परिजन शव को गेहूं के खेतों में से लेकर जा रहे हैं, क्योंकि श्मशान घाट जाने के लिए कोई रास्ता ही नहीं है. जैसे-तैसे पहुंचने के बाद शवदाह के लिए भी काफी मशक्कत करनी पड़ती है.
श्मशान घाट जाने तक का रास्ता नहीं
मामला मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले का है, जहां पच्चिपुरा गांव के देवीशंकर नाम के एक व्यक्ति की नहर में डूबने से मौत हो गई थी. रोते बिलखते परिजन अंतिम संस्कार के लिए पास के श्मशान घाट जा रहे थे, लेकिन श्मशान जाने के लिए रास्ता तक नहीं था.
गेहूं के खेत से ले जाना पड़ा शव
परेशान परिजनों को शव को कंधे पर लेकर खेतों की पगडंडियों से गेहूं, गन्ने और अरहर की फसलों के बीच से गुजरना पड़ा. जैसे-तैसे शव को लेकर श्मशान पहुंचे लेकिन उन्हें शव को जलाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी, क्योंकि श्मशान घाट के आस-पास की जमीन पर स्थानीय लोगों की गेहूं की फसल खड़ी थी, जो पूरी तरह से सूख गई थी, जिससे लाश जलाने पर चिंगारी से फसल में आग लगने का खतरा था. ग्रामीणों ने काफी मशक्कत करके श्मशान घाट के चारों तरफ पानी का छिड़काव किया तब जाके मृतक को मुखाग्नी दी गई.
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सरकार के आदेश की अनदेखी
ये हाल तब है जब हाल ही में एमपी सरकार ने सभी कलेक्टर को श्मशान घाट की भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराकर उसका सौंदर्यीकरण कराने और श्मशान घाट में जरूरी सुविधाओं का इंतजाम करने का आदेश दिया था, लेकिन प्रशासन सरकार के आदेश की भी अनदेखा कर रहा है. इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है.
सीईओ ने झाड़ा पल्ला
इस पूरे मामले पर जनपद सीईओ श्याम भटनागर ने आचार संहिता का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ते हुये कहा कि "मुझे आपके द्वारा इसकी जानकारी दी जा रही है. अभी आचार संहिता लागू है तो कुछ नहीं कर सकते हैं, फिर भी में ग्राम पंचायत सचिव से जानकारी लेता हूं". इससे साफ नजर आता है कि जिम्मेदार अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से दूर भाग रहे हैं.