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शीतला अष्टमी आज, ऐसे करें मां शीतला की पूजा, गर्म खाने से बचें - Sheetala Ashtami

राजस्थान में चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शीतलाष्टमी मनाई जाती है. इस रिपोर्ट में जानिए कैसे मनाएं शीतलाष्टमी, किन चीजों का करें परहेज तो किन चीजों को अपनाएं.

SHEETALA ASHTAMI
मां शीतला की पूजा
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 1, 2024, 10:18 AM IST

Updated : Apr 2, 2024, 6:28 AM IST

बीकानेर. चैत्र माह की अष्टमी यानी की शीतलाष्टमी पर्व आज मनाया जा रहा है. मां शीतला की विधिवत पूजा-अर्चना करने के साथ-साथ व्रत रखने का विधान है. इस दिन गर्म भोजन करना निषेध माना जाता है. एक दिन पहले सप्तमी को घरों में विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते है और अगले दिन अष्टमी को सुबह माता शीतला को इस ठंडे भोजन का भोग लगाया जाता है. इसलिए इस पर्व को बास्योडा पर्व भी कहा जाता है.

इस तरह से करें पूजा : पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि शीतलाष्टमी के दिन सुबह उठकर स्नान आदि के बाद मां शीतला की पूजा आराधना से दिन की शुरुआत करनी चाहिए. इस दिन मां शीतला की सवारी गदर्भ यानी गधे की भी पूजा करनी चाहिए. मां शीतला की पूजा आराधना के साथ घरों में नई मटकी या घड़ा बदला जाता है. इस दिन दैनिक दिनचर्या में सुबह उठने के साथ ही चाय कॉफी पीने से परहेज करते हुए मां शीतला को एक दिन पहले घर में बनाए भोजन के साथ ही दही, राबड़ी चावल, हलवे का भोग लगाकर दिन की शुरुआत करनी चाहिए. माता शीतला को कुमकुम, हल्दी और रोली का तिलक जरूर लगाएं. माता को भोग लगाने के बाद एक दिन पहले बनाया व्यंजन ही माता के प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए. पूरे दिन गरम पेय पदार्थ व भोजन ग्रहण कतई भी नहीं करना चाहिए. हालांकि खास परिस्थिति में कुछ लोग अगर ऐसा करते है तो माता शीतला से विनती कर माफी भी मांगनी चाहिए ताकि माता की कृपा बनी रहे.

इसे भी पढ़ें : चेचक की देवी है शीतला माता, चाकसू में आमेर राजवंश ने बनाया था मंदिर, लगाते हैं बास्योड़ा पर पहला भोग - Sheetala Saptami 2024

नहीं जलता चूल्हा : पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि शीतलाष्टमी के दिन घर में चूल्हा जलाने से पूरी तरह परहेज ही करना चाहिए. दिनभर कुछ खाने की इच्छा या भूख लगने पर भोजन में एक दिन पहले बनाए व्यंजन को ग्रहण करना चाहिए. माता शीतला को ताजा बना भोग नहीं लगता है. इसलिए शीतला सप्तमी के दिन बनाए गए पकवान का ही भोग लगाएं.

इन बातों का रखें विशेष ध्यान : पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि शीतलाष्टमी के दिन नए वस्त्र व गहरे रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए. इस दिन तामसिक की बजाय सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए. मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. साथ ही क्षौर कार्य जैसे बाल व दाढ़ी नहीं कटवाने चाहिए. पुराने कपड़ों के सुई धागों से सिलाई भी नहीं करनी चाहिए. शीतला अष्टमी के दिन घर में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए. इस दिन निरीह मूक पशु-पक्षियों का विशेष ध्यान रखें और खासतौर से गधे को परेशान न करें, क्योंकि वो माता शीतला की सवारी है.

बीकानेर. चैत्र माह की अष्टमी यानी की शीतलाष्टमी पर्व आज मनाया जा रहा है. मां शीतला की विधिवत पूजा-अर्चना करने के साथ-साथ व्रत रखने का विधान है. इस दिन गर्म भोजन करना निषेध माना जाता है. एक दिन पहले सप्तमी को घरों में विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते है और अगले दिन अष्टमी को सुबह माता शीतला को इस ठंडे भोजन का भोग लगाया जाता है. इसलिए इस पर्व को बास्योडा पर्व भी कहा जाता है.

इस तरह से करें पूजा : पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि शीतलाष्टमी के दिन सुबह उठकर स्नान आदि के बाद मां शीतला की पूजा आराधना से दिन की शुरुआत करनी चाहिए. इस दिन मां शीतला की सवारी गदर्भ यानी गधे की भी पूजा करनी चाहिए. मां शीतला की पूजा आराधना के साथ घरों में नई मटकी या घड़ा बदला जाता है. इस दिन दैनिक दिनचर्या में सुबह उठने के साथ ही चाय कॉफी पीने से परहेज करते हुए मां शीतला को एक दिन पहले घर में बनाए भोजन के साथ ही दही, राबड़ी चावल, हलवे का भोग लगाकर दिन की शुरुआत करनी चाहिए. माता शीतला को कुमकुम, हल्दी और रोली का तिलक जरूर लगाएं. माता को भोग लगाने के बाद एक दिन पहले बनाया व्यंजन ही माता के प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए. पूरे दिन गरम पेय पदार्थ व भोजन ग्रहण कतई भी नहीं करना चाहिए. हालांकि खास परिस्थिति में कुछ लोग अगर ऐसा करते है तो माता शीतला से विनती कर माफी भी मांगनी चाहिए ताकि माता की कृपा बनी रहे.

इसे भी पढ़ें : चेचक की देवी है शीतला माता, चाकसू में आमेर राजवंश ने बनाया था मंदिर, लगाते हैं बास्योड़ा पर पहला भोग - Sheetala Saptami 2024

नहीं जलता चूल्हा : पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि शीतलाष्टमी के दिन घर में चूल्हा जलाने से पूरी तरह परहेज ही करना चाहिए. दिनभर कुछ खाने की इच्छा या भूख लगने पर भोजन में एक दिन पहले बनाए व्यंजन को ग्रहण करना चाहिए. माता शीतला को ताजा बना भोग नहीं लगता है. इसलिए शीतला सप्तमी के दिन बनाए गए पकवान का ही भोग लगाएं.

इन बातों का रखें विशेष ध्यान : पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि शीतलाष्टमी के दिन नए वस्त्र व गहरे रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए. इस दिन तामसिक की बजाय सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए. मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. साथ ही क्षौर कार्य जैसे बाल व दाढ़ी नहीं कटवाने चाहिए. पुराने कपड़ों के सुई धागों से सिलाई भी नहीं करनी चाहिए. शीतला अष्टमी के दिन घर में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए. इस दिन निरीह मूक पशु-पक्षियों का विशेष ध्यान रखें और खासतौर से गधे को परेशान न करें, क्योंकि वो माता शीतला की सवारी है.

Last Updated : Apr 2, 2024, 6:28 AM IST
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