बीकानेर : सनातन धर्म में नवरात्र देवी की उपासना का महापर्व है और देवी के मंत्रों की सिद्धि के लिए नवरात्र में षोडशोपचार पूजन का महत्व है. कहते हैं कि वैसे तो देवी की पूजा अर्चना शुद्ध मन से की गई हो तो सभी प्रकार के अर्पण स्वीकार्य हैं, लेकिन पूजन विधि में कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए. पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि देवी को लाल रंग प्रिय है. लाल रंग जो शक्ति का प्रतीक है. नवरात्र में देवी को जो भोग चढ़ाया जाता है उसके पीछे एक खास मकसद होता है. इसलिए नवरात्र में मां की अलग-अलग स्वरूप के पूजन के साथ ही उनको अर्पित किए जाने वाले भोग का भी महत्व है.
लाल रंग का महत्व : पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं माता भवानी को प्रसन्न करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखा चाहिए. वैसे तो पूजन में प्रयुक्त होने वाले सभी प्रकार के पुष्पों का अपना महत्व है और देवी को सभी प्रकार के पुष्प अर्पित किए जाते हैं, लेकिन यदि शास्त्र अनुसार उल्लेख की बात करें तो कनेरी का लाल पुष्प देवी को अति प्रिय है. इसके अलावा कमल और गुलाब का पुष्प भी देवी को प्रिय है. लाल रंग की चुनरी सुहाग की निशानी का प्रतीक है, इसलिए वह चुनरी देवी को ओढ़ाई जाती है.
प्रसाद में इन बातों का रखें ध्यान : पंडित किराडू ने बताया कि शुद्ध मन से और अपनी सामर्थ्य अनुसार देवी को लगाए गए भोग का फल मिलता है और देवी को भी वो भोग स्वीकार होता है. लेकिन यदि पसंद की बात करें तो देवी को खीर और मालपुआ का भोग लगाना चाहिए. इसका उल्लेख हमारे शास्त्रों में भी मिलता है और अनार का फल देवी को अति प्रिय है. साधक को भी पूजा करते समय इन बातों का विशेष तौर पर ख्याल रखना चाहिए. उन्होंने बताया कि नवरात्र देवी के मंत्रों की सिद्धि का महापर्व है और इस दौरान साधक को नवाहन परायण, देवी अथर्वशीर्ष, दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए.