बिलासपुर: आज से मां दुर्गा को समर्पित शारदीय नवरात्रि शुरू हो गए हैं. नवरात्रि के पहले दिन आज माता के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जा रही है. हिमाचल प्रदेश के मंदिरों में भी नवरात्रि को लेकर खासी धूम है. खासकर प्रदेश के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ लगना शुरू हो गई है. बिलासपुर जिले में स्थित विश्वविख्यात शक्तिपीठ माता नैना देवी मंदिर में भी भक्तों का तांता लगा हुआ है. नवरात्रि के अवसर पर पूरे मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया है.
हरियाणा की संस्था ने की मंदिर की सजावट
हरियाणा की समाजसेवी संस्था द्वारा माता नैना देवी मंदिर की सजावट का जिम्मा उठाया गया है. मंदिर को विभिन्न प्रकार के रंग-बिरंगे फूलों, लाइटों और लड़ियों से सजाया गया है. पिछले चार दिनों से 20 से ज्यादा कारीगर मंदिर की भव्य सजावट में लगे हुए हैं. वहीं, माता नैना देवी मंदिर की सजावट का दृश्य दूर-दूर तक श्रद्धालुओं के मनों में प्राकृतिक सौंदर्य की अपार छटा बिखेर रहा है. वहीं, माता के जयकारों से पूरा वातावरण गुंजायमान हो गया है.
कई राज्यों के श्रद्धालु पहुंचे माता के दरबार
माता श्री नैना देवी के दरबार में हिमाचल प्रदेश के अलावा पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार समेत अन्य कई प्रदेशों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु नवरात्रि की पूजा-अर्चना के लिए पहुंचे हैं. श्रद्धालुओं द्वारा माता के दर्शन कर आशीर्वाद लिया जा रहा है. मंदिर परिसर में नवरात्रि के उपलक्ष्य पर हवन-यज्ञ भी किया जा रहा है. जिसमें श्रद्धालुओं द्वारा अपने घर-परिवार के लिए सुख समृद्धि की कामना की जा रही है. ये सिलसिला अगले 10 दिनों तक यूं ही चलता रहेगा.
मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए पुख्ता इंतजाम
वहीं, नवरात्रि के दौरान हिमाचल प्रदेश सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार मंदिर न्यास द्वारा भी श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की दिक्कतों का सामना न करना पड़े. इसके साथ ही मंदिर परिसर में सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. जिला प्रशासन द्वारा मंदिर परिसर में पुलिस जवानों की तैनाती की गई है, ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके और श्रद्धालु भी बिना किसी परेशानी के माता के दर्शन कर सकें.
माता नैना देवी से जुड़ी पौराणिक कथा
नैना देवी मंदिर के पुजारी दीपक भूषण ने बताया, "पौराणिक कथाओं के अनुसार माता सती के नेत्र यहां पर गिरे थे, इसलिए इस मंदिर का नाम श्री नैना देवी पड़ा है. मान्यताओं के अनुसार जब दक्ष प्रजापति ने यज्ञ का आयोजन किया था तो उसमें माता सती और भगवान शंकर को नहीं बुलाया था, लेकिन माता सत्ती हठ करके अपने पिता दक्ष प्रजापति के यज्ञ में चली जाती हैं, लेकिन वहां पर भगवान शंकर का अपमान होता देखकर क्रोधित होकर यज्ञशाला में कूद गई. जिसके बाद माता सती के अधजले शरीर को उठाकर भगवान शंकर ने ब्रह्मांड का भ्रमण करना शुरू कर दिया. जिस पर भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र के द्वारा माता सती के अंगों को काट डाला और फिर जहां-जहां भी माता सती के अंग गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई. इन्हीं में से एक श्री नैना देवी का दरबार है. यहां पर माता सती के नेत्र गिरे थे. इसलिए इस शक्तिपीठ का नाम श्री नैना देवी पड़ा."
नैना देवी मंदिर से जुड़ी अन्य मान्यता
वहीं, पुजारी दीपक भूषण ने बताया, "एक अन्य मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि माता श्री नैना देवी ने महिषासुर राक्षस का वध किया और देवताओं ने उनसे खुश हो कर जय नयने उद्घोष किया. जिससे इस शक्तिपीठ का नाम श्री नैना देवी पड़ा." उन्होंने कहा कि जो भी श्रद्धालु माता के दरबार में आते हैं, माता रानी उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.