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शारदीय नवरात्र का पहला दिन, मां शैलपुत्री को रही है आराधना - Shardiya Navratri 2024

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 2 hours ago

आज से शारदीय नवरात्र का शुभारंभ हो गया है और इस अवसर पर मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जा रही है. नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व है.

शारदीय नवरात्रि का पहला दिन
शारदीय नवरात्रि का पहला दिन (फाइल फोटो ईटीवी भारत GFX)

बीकानेर. हिंदू धर्म शास्त्रों में नवरात्र का बड़ा महत्व है. देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का महापर्व शारदीय नवरात्र आज से शुरू हो गया. आश्विन शुक्ल प्रतिपदा यानी की शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है. . शास्त्रों के मुताबिक जगतपिता ब्रह्मा ने भगवती मां दुर्गा के नौ रूप को अलग-अलग नाम दिए और देवी के इन नौ रूपों की नवरात्र में पूजा होती है. हर देवी की पूजा का दिन निर्धारित है. नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है. प्रतिपदा पर घट स्थापना के साथ ही नौ दिनों की पूजा का क्रम शुरू होता है. देवी की आराधना और पूजा करने के साथ ही नौ दिन तक व्रत भी किया जाता है.

इसलिए पड़ा मां का नाम 'शैलपुत्री' : पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि मां पार्वती ही देवी शैलपुत्री हैं. इनका भगवान शंकर से विवाह हुआ. मां पार्वती के स्वरूप शैलपुत्री का पूजन नवरात्र के पहले दिन होता है. जगत पिता भगवान ब्रह्मा जी ने देवी के अलग-अलग नौ रूपों का नामकरण किया तो मां शैलपुत्री वृषभ की सवारी के साथ प्रकट हुईं. इस दौरान उनके हाथों में त्रिशूल था. किराडू कहते हैं कि मां शैलपुत्री हिमालय की पुत्री हैं. अपने पिता के नाम से ही इनका नाम हुआ. हिमालय का दूसरा नाम शैल है. हिमालय ने मां भगवती की कठोर तपस्या कर पुत्री रूप में देवी को पाने की इच्छा जताई. देवी ने हिमालय की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें मनचाहा वरदान देते हुए उनकी पुत्री रूप में अवतार लिया.

मां शैलपुत्री को रही है आराधना
मां शैलपुत्री को रही है आराधना (फाइल फोटो)

पढ़ें: आज से शारदीय नवरात्र शुरू, इस शुभ मुहूर्त में करेंगे घट स्थापना तो सभी मनोकामनाएं होंगी पूर्ण - Shardiya Navratri 2024

श्वेत पुष्प देवी को है प्रिय : पंचांगकर्ता पंडित राजेन्द्र किराडू ने बताया कि देवी के पूजन में सभी पुष्प अर्पित किए जाते हैं. वे कहते हैं कि शास्त्रों में पूजन से जुड़े उल्लेख में माता शैलपुत्री को श्वेत पुष्प अतिप्रिय बताया गया है. पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा में श्वेत पुष्प चढ़ाना श्रेयस्कर बताया गया है और इससे मनोरथ सिद्ध होता है. पंडित किराडू ने बताया कि नवरात्र में देवी की आराधना के दौरान मंत्रों का जाप कर साधक वरदान प्राप्त करते हैं. नौ दिन तक नवाहन परायण, देवी अथर्वशीर्ष, दुर्गा सप्तशती, श्रीसूक्त कनकधारा स्तोत्र देवी भागवत, देवी पुराण और रामायण का वाचन और परायण भी होता है.

बीकानेर. हिंदू धर्म शास्त्रों में नवरात्र का बड़ा महत्व है. देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का महापर्व शारदीय नवरात्र आज से शुरू हो गया. आश्विन शुक्ल प्रतिपदा यानी की शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है. . शास्त्रों के मुताबिक जगतपिता ब्रह्मा ने भगवती मां दुर्गा के नौ रूप को अलग-अलग नाम दिए और देवी के इन नौ रूपों की नवरात्र में पूजा होती है. हर देवी की पूजा का दिन निर्धारित है. नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है. प्रतिपदा पर घट स्थापना के साथ ही नौ दिनों की पूजा का क्रम शुरू होता है. देवी की आराधना और पूजा करने के साथ ही नौ दिन तक व्रत भी किया जाता है.

इसलिए पड़ा मां का नाम 'शैलपुत्री' : पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि मां पार्वती ही देवी शैलपुत्री हैं. इनका भगवान शंकर से विवाह हुआ. मां पार्वती के स्वरूप शैलपुत्री का पूजन नवरात्र के पहले दिन होता है. जगत पिता भगवान ब्रह्मा जी ने देवी के अलग-अलग नौ रूपों का नामकरण किया तो मां शैलपुत्री वृषभ की सवारी के साथ प्रकट हुईं. इस दौरान उनके हाथों में त्रिशूल था. किराडू कहते हैं कि मां शैलपुत्री हिमालय की पुत्री हैं. अपने पिता के नाम से ही इनका नाम हुआ. हिमालय का दूसरा नाम शैल है. हिमालय ने मां भगवती की कठोर तपस्या कर पुत्री रूप में देवी को पाने की इच्छा जताई. देवी ने हिमालय की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें मनचाहा वरदान देते हुए उनकी पुत्री रूप में अवतार लिया.

मां शैलपुत्री को रही है आराधना
मां शैलपुत्री को रही है आराधना (फाइल फोटो)

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श्वेत पुष्प देवी को है प्रिय : पंचांगकर्ता पंडित राजेन्द्र किराडू ने बताया कि देवी के पूजन में सभी पुष्प अर्पित किए जाते हैं. वे कहते हैं कि शास्त्रों में पूजन से जुड़े उल्लेख में माता शैलपुत्री को श्वेत पुष्प अतिप्रिय बताया गया है. पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा में श्वेत पुष्प चढ़ाना श्रेयस्कर बताया गया है और इससे मनोरथ सिद्ध होता है. पंडित किराडू ने बताया कि नवरात्र में देवी की आराधना के दौरान मंत्रों का जाप कर साधक वरदान प्राप्त करते हैं. नौ दिन तक नवाहन परायण, देवी अथर्वशीर्ष, दुर्गा सप्तशती, श्रीसूक्त कनकधारा स्तोत्र देवी भागवत, देवी पुराण और रामायण का वाचन और परायण भी होता है.

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