शाजापुर। मध्य प्रदेश में संभवत: पहली बार शाजापुर में राजस्व क्षेत्र से काले हिरणों को बोमा पद्धति से पकड़ा जाएगा. बोमा तैयार करने के लिए दक्षिण अफ्रीका से सामग्री समुद्र के रास्ते जहाज से गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पहुंच चुकी है. इसे लेने के लिए वन विभाग की टीम मुद्रा पोर्ट के लिए रवाना हो गई है. यह सामग्री कस्टम की औपचारिकताएं पूर्ण होने के बाद शाजापुर जिले के लिए रवाना होगी. इसके बाद दक्षिण अफ्रीका का दल शाजापुर जिले में पहुंचकर काले हिरण और नीलगाय को पकड़ेगा. इस अभियान को लेकर वन विभाग की क्षेत्रीय टीम द्वारा सतत सर्वे किया जा रहा है और ग्रामीण भी इसमें सहयोग कर रहे हैं.
हिरणों की संख्या अधिक होने के कारण यहां पर तेंदूए सहित कई जंगली जानवर हैं
शाजापुर जिले में वन विभाग की भूमि नहीं होने के बाद भी लगातार काले हिरण और अन्य जंगली जानवरों की संख्या बढ़ रही है. वहीं, हिरणों की संख्या तो इतनी ज्यादा है कि ये फसलें बर्बाद कर रहे हैं. इसके साथ ही नीलगाय की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. हिरणों की संख्या अधिक होने के कारण यहां पर तेंदूए, लोमड़ी, सियार सहित अन्य कई जानवर घूमते रहते हैं. इसके अलावा बाघ भी इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है.
काले हिरण और नीलगाय के कारण किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है
जिले के कई क्षेत्रों में हिरण और नीलगाय के कारण फसलों का नुकसान उठा रहे किसानों ने इनकी रोकथाम के लिए अधिकारियों को ज्ञापन भी दिया है. ऐसे में अब किसानों की परेशानी को दूर करने के लिए काले हिरण और नीलगाय को पकड़ने के लिए दक्षिण अफ्रीका का दल क्षेत्र में आ रहा है. यहां पर बोमा पद्धति से हिरणों और नीलगाय को पकड़ा जाएगा. जिले में दक्षिण अफ्रीका का दल 400 काले हिरण और 100 नीलगाय को पकड़ा जाएगा. इनको पकड़ने में करीब 3 करोड़ रुपए का खर्च होगा.
बोमा के तहत जानवरों को हेलिकॉप्टरों से हांका जायेगा
जानवरों को एकत्रित करना और उन्हें वाहन में ले जाना काफी टेढ़ी खीर है. इसके लिए एक प्रक्रिया अपनाई जाएगी जिसे बोमा कहा जाता है. इसमें जानवरों को हेलिकॉप्टरों के माध्यम से हांका जाएगा. इसके लिए एक विशाल क्षेत्र में परदे की दीवार बनाई जाएगी. जिसके घेरे में यह जानवर रहेंगे और इन जानवरों को हांक कर ट्रकों तक ले जाया जाएगा और ट्रकों के माध्यम से इन्हें बाहर भेजा जाएगा. यह प्रक्रिया इतनी आसान नहीं है. यही वजह है कि इसका प्रशिक्षण देने के लिए दक्षिण अफ्रीका से दल यहां पहुंचेगा, जो बोमा तैयार करने और फिर जानवरों को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम को इसका प्रशिक्षण देगा.
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शाजापुर के डीएफओ मयंक चांदीवाल ने बताया कि- "काले हिरणों और नीलगाय को बोमा पद्धति से पकड़ने के लिए दक्षिण अफ्रीका का दल शाजापुर आयेगा. अभी बोमा के लिए सामग्री को भेजा गया है, जो दो तीन दिन में मुंद्रा पोर्ट पर पहुंच जाएगी. वहां से इस सामग्री को शाजापुर लाया जाएगा. इसके बाद यहां पर दल पहुंचकर जानवरों को पकड़ेगा. साथ ही इसका प्रशिक्षण भी हमे दिया जाएगा. अभी हमें यह नहीं बताया गया है कि पकड़ने के बाद हिरण और नीलगाय को कहां ले जाया जाएगा."