वाराणसीः वर्तमान में साइबर ठगी फ्रॉड एक बड़ी समस्या है. जिससे हर आदमी दो-चार हो रहा है. ऐसे में इस ठगी से लोगों को राहत दिलाने का काम वाराणसी के मृत्युंजय कर रहे हैं. इन्होंने बाकायदा इसके लिए 'शैतान सेना' बनाई है. खास बात यह है कि 'शैतान सेना' सिर्फ पैसों की ही वापसी नहीं कराई जाती बल्कि यदि किसी के अकाउंट का मिसयूज हो रहा है तो उन लोगों की भी मदद की जाती है. अब तक 100 करोड़ से ज्यादा एसेट की वापसी भी कराई है. आइए जानते हैं कि मृत्युंजय सिंह की 'शैतान सेना' कैसे करती है काम.
बैकबेंचर से शुरू हुआ सफर बने देश के टॉप 10 हैकर
वाराणसी के रहने वाले 26 वर्षीय मृत्युंजय ने एक एथिकल हैकर के रूप में कैरियर की शुरुआत की थी. उन्होंने स्टार्टअप के तहत वीजीएम सिक्योरिटी कंपनी की शुरुआत की है और लोगों की मदद कर रहे हैं. मृत्युंजय बताते हैं कि उनका बचपन चंदौली के औरैया गांव में बीता है और प्राइवेट स्कूल से स्कूलिंग की. कॉलेज की पढ़ाई छत्तीसगढ़ में हुई. इसके बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय से उन्होंने पीजी किया. उनके पिता छत्तीसगढ़ रायपुर में एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करते हैं. उन्होंने बताया कि शुरू से ही फिजिक्स केमिस्ट्री मैथ जैसे विषयों से दूर रहे हैं. वह अपने क्लास में बैकबेंचर्स थे. 10th के बाद उनके पिता उनको लेकर रायपुर चले गए, जहां पर उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई कंप्लीट की और वहीं से बैकबेंचर्स का सफर एथिकल हैकर बनने की ओर आगे बढ़ पड़ा. आज देश के टॉप टेन एथिकल हैकर में शामिल है.
2014 में हुई हैकिंग करियर की शुरुआत
मृत्युंजय ने बताया कि 2014 में एथिकल हैकर की जर्नी की शुरुआत हुई थी. वह छत्तीसगढ़ में पार्क में घूम रहे थे. इस दौरान उनकी मुलाकात एक एक्सपर्ट हैकर से हुई, जिन्होंने उन्हें एथिकल हैकिंग के बारे में बताया. यह पहला मौका था जब उन्होंने हैकर्स शब्द को सुना. इसके बाद उन्होंने उनसे एथिकल हैकिंग सीखी और पुलिस स्टेशन व सरकारी दफ्तरों में सेवा देने लगे. उन्होंने कई सारे लोगों की मदद की और अलग-अलग पुलिस व सरकारी दफ़्तर में काम किया. इस दौरान छत्तीसगढ़ में ही अपनी एक हैकिंग कंपनी बनाई, जिसे आज भी वह चलाते हैं. जहां साइबर सिक्योरिटी सॉल्यूशन प्रोवाइड करते है. इस दौरान उन्होंने कई अन्य बड़ी संस्थाओं के साथ भी काम किया है.
2018 में लोगो की मदद के लिए बनाया शैतान सेना
मृत्युंजय बताते हैं कि हैकिंग सीखने के बाद लोगों की मदद के लिए उन्होंने 2018 में एक ग्रुप बनाया, जिसका नाम शैतान सेना रखा. इस ग्रुप का नाम उन्होंने महादेव से इंस्पायर होकर बनाया है. इस देश-दुनिया के लगभग 27000 से ज्यादा हैकर्स, जिन्हें वह वॉरियर्स कहते हैं. ये सभी वॉरियर्स लोगों की मदद करते हैं. यह ऑर्गेनाइजेशन फ्री में साइबर फ्रॉड के शिकार हुए लोगों की 24 से 48 घंटे के अंदर मदद करता है. उन्होंने बताया कि इस सेना का मुख्य उद्देश्य लोगों को साइबर फ्रॉड, साइबर पुलिंग, साइबर क्राइम, न्यूड वीडियो कॉल वॉइस क्लोन एआई के शिकार हुए, अपने पैसे गवां चुके लोगों की मदद करना है.
5 सालों में 100 करोड़ एसेट को किया रिकवर
मृत्युंजय ने बताया कि अब तक हमारे पास 1000 से ज्यादा केस आ चुके हैं. जिनमें सबसे ज्यादा केस स्टूडेंट के जुड़े हुए हैं, जो न्यूड वीडियो कॉल के जरिए ब्लैकमेल किया जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि साइबर फ्रॉड में मनी रिकवरी के केस हमारे पास सबसे ज्यादा आता है. हर दिन 4 से 5 कंप्लेंट आती है, जिनमें पति-पत्नी, गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड के विवाद से लेकर न्यूड कॉल व मनी रिकवरी के कंप्लेंट होती है. जून में हमारे पास लगभग 17 महत्वपूर्ण कंप्लेन आए थे. मृत्युंजय ने बताया कि उनके ऑर्गनाइजेशन में पिछले 5 सालों में लगभग 10 करोड़ से ज्यादा रुपए की रिकवरी कराई है. इसके साथ ही 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की वैल्यू के एसेट को रिकवर किया है.
ऐसे ले सकते हैं मदद
मृत्युंजय सिंह ने उन्होंने बताया कि साइबर ठगी से पीड़ित सोशल मीडिया के माध्यम से हमसे सम्पर्क करते है. इसे लिए वो गूगल, लिंक्डइन,पर हमारी वेबसाइट पर आते हैं, हमें मेल करते हैं या फिर फोन करते हैं. हम लोग उनके केस को असाइन करते हैं और ग्रुप से जुड़े हुए वॉरियर्स 48 से 72 घंटे में गारंटी के साथ उनके पैसे को रिकवर कर देते हैं. यदि कोई क्रिटिकल मामला होता है तो इसमें 15 से 20 दिन का समय लग जाता है. उन्होंने कहा कि यदि कोई भी व्यक्ति देश-विदेश के किसी भी कोने में बैठकर हमसे मदद चाहता है तो हमें गूगल के जरिए सहजता से ढूंढ सकता है. गूगल पर Shaitansena.com नाम से हमारी वेबसाइट है. इसके साथ ही गूगल पर मृत्युंजय हैकर नाम से सर्च करते है तो सबसे पहले वेबसाइट में मेरा नाम और नंबर मिल सकता है, वहां के जरिए भी हमसे संपर्क कर सकते हैं निशुल्क ने मदद दी जाएगी.
लोगों की मदद करने पर गर्व महसूस होता है
मृत्युंजय के साथ काम करने वाले आशीष विश्वकर्मा बताते हैं कि उनके लिए यह सौभाग्य की बात है कि उन्हें लोगों की मदद करने का मौका मिला है. उन्होंने एथिकल हैकिंग सीखी है. उनके साथ अन्य लोग भी आकर के यह हैकिंग सीख रहे हैं, इससे उन्हें रोजगार भी मिल रहा है और सेल्फ सेटिस्फेक्शन भी मिल रहा है कि वह लोगों की मदद कर सकते हैं.
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