ETV Bharat / state

आदिवासी युवा का पार्टटाइम स्टार्टअप, बिना पूंजी के कड़कनाथ से अब ऐसे कमा रहे सालाना लाखों

Shahdol Tribal Youth Startup: आजकल युवा कई तरह के अलग-अलग स्टार्टअप शुरू कर अपने सपनों को पूरा कर रहे हैं. वहीं शहडोल जिले के एक युवा शिवचरण सिंह ने भी पार्टटाइम स्टार्टअप की शुरुआत की है. जिससे वह सालाना लाखों कमा रहा है.

shahdol tribal youth startup
आदिवासी युवा का पार्टटाइम स्टार्टअप
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 5, 2024, 8:42 PM IST

Updated : Feb 5, 2024, 8:48 PM IST

आदिवासी युवा का पार्टटाइम स्टार्टअप

शहडोल। आजकल युवा कुछ नया करना चाहते हैं. कुछ ऐसा करना चाहते हैं, जिससे वो खुद का काम स्टेबलिश कर सके. शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है और आज हम आपको एक ऐसे ही आदिवासी युवा के बारे में बताने जा रहे हैं. जिन्होंने अभी कुछ साल पहले ही पार्ट टाइम एक नया स्टार्टअप शुरू किया था. पूंजी थी नहीं इसलिए सब कुछ जुगाड़ से किया. जिससे बहुत कम खर्च में एक नया स्टार्टअप किया. अब इस पार्ट टाइम स्टार्टअप से ही ये युवा सालाना लाखों रुपए कमा लेता है. जो दूसरे युवाओं के लिए एक मिसाल बन गया है. अब इसे बड़े लेवल पर करने की तैयारी में जुटा हुआ है.

shahdol tribal youth part time startup
शिवचरण सिंह युवा स्टार्टअप

युवा का पार्टटाइम स्टार्टअप

शहडोल जिले के मैर टोला मीठी गांव के रहने वाले आदिवासी युवा शिवचरण सिंह, जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. इसीलिए वो कुछ और नए काम की तलाश में थे. ऐसे में उन्होंने साल 2020-21 में एक ऐसे पार्ट टाइम स्टार्टअप की शुरुआत की. जो अब दूसरे युवाओं के लिए भी एक बड़ा मिसाल बन गया है. वजह है इस आदिवासी युवा के पास ना तो बहुत बड़ी पूंजी थी. ना ही बहुत ज्यादा एजुकेशन था. सिर्फ 12वीं कक्षा तक ही पढ़े हुए थे, लेकिन कुछ करने का अंदर से जज्बा बहुत ज्यादा था. उन्होंने सब कुछ जुगाड़ से एक ऐसे पार्ट टाइम स्टार्टअप की शुरुआत कर दी. जो लोगों के लिए एक मिसाल बन गया है. युवा आदिवासी शिवचरण सिंह ने कड़कनाथ मुर्गा पालन की शुरुआत की. अब इसी में सफलता हासिल कर रहे हैं.

जुगाड़ से शुरू किया पार्ट टाइम स्टार्टअप

युवा आदिवासी शिवचरण सिंह बताते हैं कि अक्सर इस बारे में सोचते रहते थे कि कोई ना कोई एक नया पार्ट टाइम काम शुरू किया जाए, क्योंकि उनके पास पूंजी तो बहुत बड़ी थी नहीं, इसलिए उन्होंने जुगाड़ से एक पार्ट टाइम स्टार्टअप की शुरुआत की. इसके लिए शिवचरण सिंह बताते हैं कि उनकी मुलाकात कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बृजकिशोर प्रजापति से हुई. उन्हीं के माध्यम से उन्होंने यह नई शुरुआत की. युवा आदिवासी युवा शिवचरण सिंह बताते हैं की कृषि विज्ञान केंद्र से तकनीकि मार्गदर्शन मिला और आत्मा परियोजना से उन्हें 50 कड़कनाथ मुर्गे मिले.

shahdol tribal youth part time startup
कड़कनाथ पालन

फिर उसी को लेकर उन्होंने घर पर ही एक जुगाड़ से पोल्ट्री फार्म तैयार किया. जिसमें मेहनत खुद से की और जो थोड़ा बहुत खर्च आया. वह बहुत ही कम था. इस तरह से उन्होंने 50 कड़कनाथ मुर्गों के साथ अपने नए पार्टटाइम स्टार्टअप की शुरुआत की. जिसकी संख्या अब 350 से 400 कड़कनाथ मुर्गो तक पहुंच चुकी है.

कड़कनाथ से कितना कमाते हैं ?

शिवचरण सिंह बताते हैं की अब उनके पोल्ट्री फार्म में लगभग 350 से 400 कड़कनाथ मुर्गे हैं. शुरुआत में दिक्कत जरूर हुई, क्योंकि लोग इसके बारे में जानते नहीं थे, तो उन्हें वो रेट नहीं मिल पा रहा था, लेकिन अब लोग जानने भी लग गए हैं. इसकी डिमांड भी अच्छी हो रही है. सबसे अच्छी बात यह है कि आसपास के लगे क्षेत्र जयसिंहनगर, ब्यौहारी से तो लोग लेकर जाते ही हैं, इसके अलावा छत्तीसगढ़ जनकपुर तक से भी आकर लोग इस कड़कनाथ मुर्गे को उनके पास से खरीद कर लेकर जाते हैं. उनके पोल्ट्री फार्म से ही यह कड़कनाथ मुर्गे बिक जाते हैं. महीने में 10 से ₹12 हजार रुपये तक वो हर महीने फायदे के तौर पर कमा लेते हैं, इस तरह से सालाना देखा जाए तो लाख रुपए के ऊपर लगभग वह 1 साल में इस पार्ट टाइम काम को करके कमा लेते हैं.

सोशल मीडिया का लिया सहारा

शिवचरण सिंह कहते हैं की शुरुआत में इन कड़कनाथ मुर्गों की जानकारी आसपास के क्षेत्र में बहुत ज्यादा नहीं थी. लोग इन्हें आम मुर्गे की तरह ही ट्रीट करते थे. इसलिए अच्छे दाम भी नहीं मिलते थे. इसके बारे में जानकारी के लिए उन्होंने सोशल मीडिया का सहारा लिया. व्हाट्सएप फेसबुक का सहारा लिया और आज उनका एक अच्छा मार्केट बन गया है. उनके घर से ही आसपास के क्षेत्र के लोग आकर के इन कड़कनाथ मुर्गों को अच्छे दामों में खरीद कर ले जाते हैं.

पार्टटाइम स्टार्टअप

शिवचरण सिंह कहते हैं कि इसकी शुरुआत उन्होंने पार्ट टाइम स्टार्टअप के तौर पर की थी. सुबह 2 घंटे देते हैं शाम को 2 घंटे देते हैं. बीच में जो थोड़ा बहुत समय लगता है, तो उनके माता-पिता देख लेते हैं, लेकिन बहुत कुछ ज्यादा नहीं करना पड़ता है. इससे अच्छी कमाई भी होती है.

shahdol tribal youth part time startup
शिवचरण सिंह युवा स्टार्टअप

अब कुछ बड़ा करने की ख्वाहिश

युवा आदिवासी शिवचरण सिंह कहते हैं कि उन्होंने इसकी शुरुआत तो पार्ट टाइम की थी, लेकिन अब वो इसमें और ज्यादा निवेश करना चाहते हैं. इसीलिए उनका एक पोल्ट्री फार्म तो बनकर तैयार है और दूसरा बन रहा है. अभी उनका मुख्य काम मोटर बाइंडिंग का है, लेकिन उसमें भी बहुत ज्यादा कमाई नहीं हो पाती है. इसलिए वो कड़कनाथ के काम को आगे बढ़ाएंगे, क्योंकि इसमें उन्हें फ्यूचर ज्यादा अच्छा लग रहा है. उन्हें उम्मीद है कि इसमें वह ज्यादा से ज्यादा पैसे कमा सकते हैं, क्योंकि कड़कनाथ मुर्गों की डिमांड अब उनके क्षेत्र में बहुत ज्यादा हो रही है.

यहां पढ़ें...

दूसरे युवाओं के लिए बने मिसाल

युवा शिवचरण सिंह का यह पार्ट टाइम स्टार्टअप लोगों को काफी पसंद आ रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि जो दूसरे आदिवासी युवा हैं, वह भी इस ओर आकर्षित हो रहे हैं. कई आदिवासी युवा उनसे ट्रेनिंग लेना चाह रहा हैं. कई आदिवासी युवा ऐसे ही नए स्टार्टअप करने की कोशिश कर रहे हैं. खुद का काम शुरू करने की शुरुआत करने में जुटे हुए हैं. कहना गलत नहीं होगा कि शिवचरण सिंह आदिवासी युवाओं के लिए एक बड़े रोल मॉडल बन चुके हैं.

आदिवासी युवा का पार्टटाइम स्टार्टअप

शहडोल। आजकल युवा कुछ नया करना चाहते हैं. कुछ ऐसा करना चाहते हैं, जिससे वो खुद का काम स्टेबलिश कर सके. शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है और आज हम आपको एक ऐसे ही आदिवासी युवा के बारे में बताने जा रहे हैं. जिन्होंने अभी कुछ साल पहले ही पार्ट टाइम एक नया स्टार्टअप शुरू किया था. पूंजी थी नहीं इसलिए सब कुछ जुगाड़ से किया. जिससे बहुत कम खर्च में एक नया स्टार्टअप किया. अब इस पार्ट टाइम स्टार्टअप से ही ये युवा सालाना लाखों रुपए कमा लेता है. जो दूसरे युवाओं के लिए एक मिसाल बन गया है. अब इसे बड़े लेवल पर करने की तैयारी में जुटा हुआ है.

shahdol tribal youth part time startup
शिवचरण सिंह युवा स्टार्टअप

युवा का पार्टटाइम स्टार्टअप

शहडोल जिले के मैर टोला मीठी गांव के रहने वाले आदिवासी युवा शिवचरण सिंह, जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. इसीलिए वो कुछ और नए काम की तलाश में थे. ऐसे में उन्होंने साल 2020-21 में एक ऐसे पार्ट टाइम स्टार्टअप की शुरुआत की. जो अब दूसरे युवाओं के लिए भी एक बड़ा मिसाल बन गया है. वजह है इस आदिवासी युवा के पास ना तो बहुत बड़ी पूंजी थी. ना ही बहुत ज्यादा एजुकेशन था. सिर्फ 12वीं कक्षा तक ही पढ़े हुए थे, लेकिन कुछ करने का अंदर से जज्बा बहुत ज्यादा था. उन्होंने सब कुछ जुगाड़ से एक ऐसे पार्ट टाइम स्टार्टअप की शुरुआत कर दी. जो लोगों के लिए एक मिसाल बन गया है. युवा आदिवासी शिवचरण सिंह ने कड़कनाथ मुर्गा पालन की शुरुआत की. अब इसी में सफलता हासिल कर रहे हैं.

जुगाड़ से शुरू किया पार्ट टाइम स्टार्टअप

युवा आदिवासी शिवचरण सिंह बताते हैं कि अक्सर इस बारे में सोचते रहते थे कि कोई ना कोई एक नया पार्ट टाइम काम शुरू किया जाए, क्योंकि उनके पास पूंजी तो बहुत बड़ी थी नहीं, इसलिए उन्होंने जुगाड़ से एक पार्ट टाइम स्टार्टअप की शुरुआत की. इसके लिए शिवचरण सिंह बताते हैं कि उनकी मुलाकात कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर बृजकिशोर प्रजापति से हुई. उन्हीं के माध्यम से उन्होंने यह नई शुरुआत की. युवा आदिवासी युवा शिवचरण सिंह बताते हैं की कृषि विज्ञान केंद्र से तकनीकि मार्गदर्शन मिला और आत्मा परियोजना से उन्हें 50 कड़कनाथ मुर्गे मिले.

shahdol tribal youth part time startup
कड़कनाथ पालन

फिर उसी को लेकर उन्होंने घर पर ही एक जुगाड़ से पोल्ट्री फार्म तैयार किया. जिसमें मेहनत खुद से की और जो थोड़ा बहुत खर्च आया. वह बहुत ही कम था. इस तरह से उन्होंने 50 कड़कनाथ मुर्गों के साथ अपने नए पार्टटाइम स्टार्टअप की शुरुआत की. जिसकी संख्या अब 350 से 400 कड़कनाथ मुर्गो तक पहुंच चुकी है.

कड़कनाथ से कितना कमाते हैं ?

शिवचरण सिंह बताते हैं की अब उनके पोल्ट्री फार्म में लगभग 350 से 400 कड़कनाथ मुर्गे हैं. शुरुआत में दिक्कत जरूर हुई, क्योंकि लोग इसके बारे में जानते नहीं थे, तो उन्हें वो रेट नहीं मिल पा रहा था, लेकिन अब लोग जानने भी लग गए हैं. इसकी डिमांड भी अच्छी हो रही है. सबसे अच्छी बात यह है कि आसपास के लगे क्षेत्र जयसिंहनगर, ब्यौहारी से तो लोग लेकर जाते ही हैं, इसके अलावा छत्तीसगढ़ जनकपुर तक से भी आकर लोग इस कड़कनाथ मुर्गे को उनके पास से खरीद कर लेकर जाते हैं. उनके पोल्ट्री फार्म से ही यह कड़कनाथ मुर्गे बिक जाते हैं. महीने में 10 से ₹12 हजार रुपये तक वो हर महीने फायदे के तौर पर कमा लेते हैं, इस तरह से सालाना देखा जाए तो लाख रुपए के ऊपर लगभग वह 1 साल में इस पार्ट टाइम काम को करके कमा लेते हैं.

सोशल मीडिया का लिया सहारा

शिवचरण सिंह कहते हैं की शुरुआत में इन कड़कनाथ मुर्गों की जानकारी आसपास के क्षेत्र में बहुत ज्यादा नहीं थी. लोग इन्हें आम मुर्गे की तरह ही ट्रीट करते थे. इसलिए अच्छे दाम भी नहीं मिलते थे. इसके बारे में जानकारी के लिए उन्होंने सोशल मीडिया का सहारा लिया. व्हाट्सएप फेसबुक का सहारा लिया और आज उनका एक अच्छा मार्केट बन गया है. उनके घर से ही आसपास के क्षेत्र के लोग आकर के इन कड़कनाथ मुर्गों को अच्छे दामों में खरीद कर ले जाते हैं.

पार्टटाइम स्टार्टअप

शिवचरण सिंह कहते हैं कि इसकी शुरुआत उन्होंने पार्ट टाइम स्टार्टअप के तौर पर की थी. सुबह 2 घंटे देते हैं शाम को 2 घंटे देते हैं. बीच में जो थोड़ा बहुत समय लगता है, तो उनके माता-पिता देख लेते हैं, लेकिन बहुत कुछ ज्यादा नहीं करना पड़ता है. इससे अच्छी कमाई भी होती है.

shahdol tribal youth part time startup
शिवचरण सिंह युवा स्टार्टअप

अब कुछ बड़ा करने की ख्वाहिश

युवा आदिवासी शिवचरण सिंह कहते हैं कि उन्होंने इसकी शुरुआत तो पार्ट टाइम की थी, लेकिन अब वो इसमें और ज्यादा निवेश करना चाहते हैं. इसीलिए उनका एक पोल्ट्री फार्म तो बनकर तैयार है और दूसरा बन रहा है. अभी उनका मुख्य काम मोटर बाइंडिंग का है, लेकिन उसमें भी बहुत ज्यादा कमाई नहीं हो पाती है. इसलिए वो कड़कनाथ के काम को आगे बढ़ाएंगे, क्योंकि इसमें उन्हें फ्यूचर ज्यादा अच्छा लग रहा है. उन्हें उम्मीद है कि इसमें वह ज्यादा से ज्यादा पैसे कमा सकते हैं, क्योंकि कड़कनाथ मुर्गों की डिमांड अब उनके क्षेत्र में बहुत ज्यादा हो रही है.

यहां पढ़ें...

दूसरे युवाओं के लिए बने मिसाल

युवा शिवचरण सिंह का यह पार्ट टाइम स्टार्टअप लोगों को काफी पसंद आ रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि जो दूसरे आदिवासी युवा हैं, वह भी इस ओर आकर्षित हो रहे हैं. कई आदिवासी युवा उनसे ट्रेनिंग लेना चाह रहा हैं. कई आदिवासी युवा ऐसे ही नए स्टार्टअप करने की कोशिश कर रहे हैं. खुद का काम शुरू करने की शुरुआत करने में जुटे हुए हैं. कहना गलत नहीं होगा कि शिवचरण सिंह आदिवासी युवाओं के लिए एक बड़े रोल मॉडल बन चुके हैं.

Last Updated : Feb 5, 2024, 8:48 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.